
देश की धरती पर 70 साल पूर्व विलुप्त हो चुके रफ्तार के सौदागर चीतों को वापस लाकर बसाने के लिए शुरू किए गए चीता प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है. वजह है कि मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए 8 चीतों में से एक मादा चीता की मौत सोमवार को मौत हो गई. 5 साल की साशा किडनी संक्रमण से पीड़ित थी. साशा की मौत की पुष्टि करते हुए कूनो प्रबंधन ने यह खुलासा भी किया है कि भारत की धरती पर आने से पहले ही साशा किडनी की बीमारी से जूझ रही थी और नामीबिया में उसका ऑपरेशन भी हो चुका था. फिलहाल कूनो प्रबंधन ने साशा के शव का पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार कर दिया है.
देश में चीतों का इकलौता घर बने श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट परवान चढ़ रहा था. नामीबिया से 8 और साउथ अफ्रीका से 12 चीते लाकर यहां बसाए जा चुके हैं. चीतों को चरणबद्ध तरीके से पहले क्वारंटीन बाड़े फिर बड़े बाड़े और उसके बाद खुले जंगल में रिलीज करने का सिलसिला जारी था. इसी बीच सोमवार की सुबह एक मादा चीता ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया.
मादा चीता साशा के गत 22-23 जनवरी को बीमार होने के लक्षण पता चले थे. इसके बाद उसे बड़े बाड़े से छोटे बाड़े में शिफ्ट किया गया. साशा खाना नहीं खा रही थी और सुस्त रह रही थी. इसके बाद कूनो नेशनल पार्क में मौजूद तीन डॉक्टर और भोपाल से पहुंची डॉक्टरों ने उसकी जांच की तो मादा चीता की किडनी में इंफेक्शन पाया गया था. मादा चीता साशा बीमार हो गई थी. जिसका दुनिया में चीतों के सबसे बड़े विशेषज्ञ डॉ. एड्रियन टोरडीफ के परामर्श से इलाज भी किया गया, लेकिन अब उसे बचाया नहीं जा सका. कूनो प्रबंधन ने प्रोटोकॉल का पालन करते हुए साशा के शव का पीएम करा उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया है.
कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा ने Aajtak से बातचीत में यह खुलासा भी किया कि मादा चीता भारत लाए जाने से पहले किडनी संक्रमण से पीड़ित थी. यहां पता चलने के बाद उपचार जारी था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. डीएफओ वर्मा का यह भी कहना है कि पार्क में साशा के अलावा शेष 7 नामीबियाई और 12 साउथ अफ्रीका के चीते पूरी तरह स्वस्थ्य हैं.
बता दें कि पिछले साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से लाए गए 8 चीतों (5 मादा और 3 नर) को श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था. सभी 8 चीते बीते चार माह में अपने नए घर कूनो में सर्वाइव भी कर करने लगे थे. सभी चीते अब पूरी तरह फिट होकर शिकार भी कर रहे थे.
उल्लेखनीय है कि साउथ अफ्रीका से भी 18 फरवरी को कूनो नेशनल पार्क में 12 चीते लाए गए थे. इनमें 7 नर और 5 मादा चीते भी क्वारन्टीन बाड़ों में क्वारन्टीन अवधि पूरी कर चुके हैं. इन नए मेहमानों को भी अब छोटे बाड़ों से बड़े बाड़ों में रिलीज करने पर विचार विमर्श किया जा रहा है. फिलहाल 4 नामीबियाई चीतों को ही खुले जंगल में छोड़ा गया है. कूनो में कुल 20 चीतों के कुनबे में से एक चीते की मौत के बाद संख्या 19 रह गई है.
बहरहाल, कूनो पार्क में साशा की मौत के बाद अब सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि नामीबिया से लाए जाने से पहले ही जब साशा किडनी बीमारी से ग्रसित थी तो वन विभाग अब तक क्यों वाकिफ नहीं हो सका था?