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कैंडिडेट खड़ा किया, विपक्ष ने नहीं मांगा मत विभाजन... स्पीकर चुनाव पर क्या थी रणनीति?

बीजेपी सांसद ओम बिरला दूसरी बार लोकसभा स्पीकर चुने गए हैं. सदन में ध्वनि मत से फैसला हुआ है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह समेत सत्ता पक्ष के तमाम सांसदों ने लोकसभा स्पीकर पद के लिए ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव रखा. शिवराज सिंह चौहान, नितिन गडकरी समेत आरएलडी और जेडीयू सांसदों ने समर्थन किया. बिरला के स्पीकर चुने जाने पर पीएम मोदी ने बधाई दी और कोराना काल में उनकी संवेदनशीलता का जिक्र किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विपक्ष के नेता राहुल गांधी और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने ओम बिरला को सदन का अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विपक्ष के नेता राहुल गांधी और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने ओम बिरला को सदन का अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई दी.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 जून 2024,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST

तीन बार के BJP सांसद ओम बिरला मंगलवार को लगातार दूसरी बार लोकसभा के स्पीकर चुन लिए गए हैं. बिरला का चुनाव ध्वनिमत से हुआ. पहले ऐसे आसार बन रहे थे कि स्पीकर पर मत विभाजन होगा लेकिन बिरला ध्वनि मत से निर्वाचित घोषित कर लिए गए. विपक्ष ने के सुरेश को अपना उम्मीदवार बनाया था. बिरला ऐसे छठे स्पीकर बन गए हैं जो दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं. वो ऐसे दूसरे स्पीकर हैं, जो एक कार्यकाल पूरा होने के बाद दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए है. बिरला के स्पीकर बनने पर पीएम मोदी उन्हें बधाई दी और कहा, ओम बिरला को बहुत बड़ा दायित्व सौंपा गया है. बिरला का पांच साल का अनुभव काफी काम आएगा. सबको विश्वास है कि आने वाले वक्त में बिरला बतौर स्पीकर सबका मार्गदर्शन करेंगे.

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प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने नतीजे का ऐलान किया. उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विपक्ष के नेता राहुल गांधी और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू बिरला को स्पीकर की कुर्सी तक ले गए और शुभकामनाएं दीं. 

विपक्ष बोला- यह रणनीति का हिस्सा था

स्पीकर चुनाव को लेकर मतदान के कयास लगाए जा रहे थे. हालांकि, बुधवार सुबह मतदान की नौबत नहीं बनी और ध्वनि मत से ही स्पीकर का चुनाव हो गया. विपक्ष ने भी आपत्ति नहीं जताई. हालांकि, कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के नेताओं का कहना है कि स्पीकर चुनाव में उम्मीदवार खड़ा करना हमारी रणनीति का हिस्सा है. यह सैद्धांतिक विरोध है और सरकार को यह संदेश दिया गया है कि हम परंपरा तोड़ने के खिलाफ गए हैं.

नहीं बन पाई थी आम सहमति

दरअसल, शुरुआत में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और विपक्षी अलायंस इंडिया ब्लॉक के बीच स्पीकर पद को लेकर सहमति बन गई थी. एनडीए की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्षी नेताओं से बातचीत की थी. मंगलवार सुबह राजनाथ सिंह ने विपक्षी दल के नेताओं को अपने दफ्तर बुलाया और समर्थन पत्र पर साइन का आग्रह किया. विपक्ष ने स्पीकर के लिए ओम बिरला के समर्थन की एवज में डिप्टी स्पीकर का पद देने की शर्त रख दी, जिसे लेकर बात बिगड़ गई और सत्ता पक्ष ने शर्त मानने से इनकार कर दिया.

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क्यों बिगड़ गई बात?

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने एक बयान कहा था, सहमति बनाने के लिए राजनाथ सिंह ने दो दिन में तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से बात की. मंगलवार सुबह भी राजनाथ और खड़गे के बीच बातचीत हुई. लेकिन व्यस्तता की वजह से उन्होंने कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल को बातचीत की जिम्मेदारी सौंपी. बाद में वेणुगोपाल और डीएमके नेता टीआर बालू सदन में राजनाथ के कमरे में पहुंचे. राजनाथ के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी विपक्ष को मनाने की कोशिश की, लेकिन इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने साफ कर दिया कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परंपरा रही है, इसलिए वह लोकसभा स्पीकर के लिए समर्थन के एवज में सत्ता पक्ष से डिप्टी स्पीकर पद विपक्ष को देने की गारंटी दे. सत्ता पक्ष ने ऐसी कोई गारंटी देने से इनकार कर दिया और यह आश्वासन दिया कि नाम सामने रखे जाने पर बैठकर विचार किया जा सकता है.

विपक्ष भी जानता था परिणाम

सरकार यह नहीं दिखाना चाहती थी कि वो विपक्ष के दबाव में झुक गई है. ऐसे में दोनों पक्षों की चर्चा अंतिम समय पर टूट गई और 48 साल बाद फिर स्पीकर के चुनाव की नौबत बन गई. विपक्ष ने के. सुरेश को आनन-फानन में अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया और दोपहर 12 बजे से पहले नामांकन पत्र दाखिल कर दिया. ऐसे में साफ हो गया कि अब ओम बिरला बनाम के सुरेश के बीच स्पीकर पद को लेकर मुकाबला होगा. हालांकि, विपक्ष बहुमत के आंकड़े से काफी दूर था और सत्ता पक्ष की जीत सुनिश्चित मानी जा रही थी. यह बात विपक्ष भी जानता था. मंगलवार देर रात विपक्ष की बैठक में भी नंबरगेम पर चर्चा हुई.

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ध्वनि मत से स्पीकर चुने जाने का ऐलान

इधर, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने सदन में ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव रखने और चुनाव होने की स्थिति में विपक्ष को मात देने की रणनीति कर ली. एनडीए के सभी सांसदों की सदन में उपस्थित अनिवार्य कर दी. बुधवार सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले ओम बिरला के नाम का स्पीकर के लिए प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समर्थन किया. उसके बाद गृह मंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य एनडीए नेताओं ने भी प्रस्ताव रखा. प्रोटेम स्पीकर ने ध्वनि मत से चुनाव कराए जाने का ऐलान किया. इस पर विपक्ष ने आपत्ति नहीं जताई. ना ही मत विभाजन की मांग की. प्रोटेम स्पीकर ने बिरला को ध्वनि मत में जीतने का ऐलान किया. उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नेता विपक्ष राहुल गांधी और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ओम बिरला को लेकर स्पीकर की कुर्सी तक पहुंचे और शुभकामनाएं दीं.

विपक्ष ने नहीं उठाई मत विभाजन की मांग

हालांकि, अगर विपक्ष ध्वनि मत का विरोध करता तो पेपर स्लिप के लिए मतदान करवाया जा सकता था, लेकिन इंडिया ब्लॉक ने पर्ची से मतदान की मांग नहीं उठाई. चूंकि विपक्ष ने तय किया था कि ध्वनि मत का विरोध नहीं किया जाएगा. विपक्ष का कहना था कि यह एक वैचारिक संदेश है कि विरोध की आवाज को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. विपक्ष की रणनीति सैद्धांतिक विरोध करना था.

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कांग्रेस बोली- हमारा उद्देश्य पूरा हो गया

राज्यसभा में नेता विपक्ष प्रमोद तिवारी कहते हैं कि हम चाहते तो डिवीजन मांग सकते थे, लेकिन हमारा उद्देश्य पूरा हो गया. हमारा विरोध सिर्फ लोकतांत्रिक ढंग से इस परंपरा के खिलाफ था. डिप्टी स्पीकर का पद हमें नहीं दिया गया था. हम इसका विरोध कर रहे थे. वहीं, बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी कहते हैं कि हार की हताशा से कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने डिवीजन नहीं लिया है.

सदन में विपक्षी नेताओं ने क्या कहा...

- नेता विपक्ष राहुल गांधी ने ओम बिरला को विपक्ष की ओर से बधाई दी और कहा, विपक्ष जनता की आवाज है, हमें सदन में बोलने का मौका मिलना चाहिए.
- सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ओम बिरला को बधाई दी और कहा, आपका पिछला अनुभव सदन के काम आएगा. हमें उम्मीद है कि आपकी अगुवाई में सदन बिना भेदभाव के आगे बढ़ेगा. अखिलेश का कहना था कि आपकी भूमिका लोकतांत्रिक न्यायाधीश सरीखी है. आपका अंकुश विपक्ष पर तो रहता ही है, सत्ता पक्ष पर भी रहे.
- टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने ओम बिरला को बधाई  दी और पिछले कार्यकाल की घटनाओं पर ऐतराज जताया. बंदोपाध्याय ने कहा, करीब 150 सांसदों को इसी सदन से निकाला गया था. बिना चर्चा के तमाम बिलों को पास कराया गया था. इस बार इसका ध्यान रखना होगा. इस बार विपक्ष पहले से ज्यादा मजबूत है. विपक्ष को नजर अंदाज नहीं करें.
- शिवसेना UBT सांसद अरविंद सावंत ने ओम बिरला को बधाई दी और ऐतराज जताते हुए कहा, मणिपुर हिंसा और किसानों की मौत पर जब सदन में दुख नहीं प्रकट किया जाता तो बुरा लगता है.
-NCP सांसद सुप्रिया सुले ने ओम बिरला को बधाई दी और कहा, सदन चलाना विपक्ष की ही नहीं सत्ता पक्ष की भी जिम्मेदारी होती है. आशा है मंत्री भी इसमें सहयोग करेंगे.
- अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने भी ओम बिरला को बधाई दी और कहा, हमें उम्मीद है कि महिला होने और छोटे दल का होने के नाते सदन में हमारा ज्यादा ध्यान रखेंगे.
- AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने ओम बिरला को लोकसभा स्पीकर बनने पर बधाई दी और कहा, इस हाउस का कैरेक्टर अब बदल चुका है. अब बीजेपी मनमानी नहीं कर पाएगी.

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हम वोटिंग के लिए तैयार थे: रिजिजू

लोकसभा अध्यक्ष चुनाव में विपक्ष ने विभाजन की मांग की या नहीं? इस पर संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, प्रस्ताव लाने वाले सदस्य को औपचारिक रूप से मत विभाजन के लिए अनुरोध करना होता है. किसी अन्य सदस्य की मांग का कोई मतलब नहीं है. प्रस्ताव रखने वाले विपक्ष के किसी भी सदस्य ने औपचारिक रूप से विभाजन की मांग नहीं की. हम वोटिंग के लिए तैयार थे. क्योंकि हमारे पास नंबर थे.

एनडीए के पास था पूर्ण बहुमत

नामांकन दाखिल करने के बाद के सुरेश ने भी सांकेतिक लड़ाई के संकेत दे दिए थे. के सुरेश ने कहा था, मुझे नहीं पता कि हम जीतेंगे या हारेंगे, लेकिन हम लड़ेंगे. विपक्ष को डिप्टी स्पीकर पद पाने का अधिकार है, लेकिन उन्होंने नहीं दिया. हालांकि, इंडिया ब्लॉक के लिए चुनाव में जीत आसान काम नहीं था. क्योंकि चुनाव जीतने के लिए उन्हें 542 (वायनाड सीट खाली) में से आधे 271 वोटों की जरूरत थी. जहां तक ​​संख्या बल की बात है तो लोकसभा में एनडीए के 293 सदस्य हैं. जबकि इंडिया ब्लॉक के 233 सदस्य हैं. सात सांसद ऐसे थे, जिन्होंने कल तक लोकसभा सदस्य की शपथ नहीं ली थी, इनमें पांच इंडिया ब्लॉक से थे. बुधवार सुबह चुनाव से पहले सिर्फ टीएमसी सांसद दीपक अधिकारी ने शपथ ली. सूत्रों के मुताबिक, स्पीकर के चुनाव के बाद बाकी सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी.

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प्रोटेम स्पीकर की नियुक्त पर भी हुआ था विवाद

इससे पहले प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब की नियुक्ति पर सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध देखने को मिला था. विपक्षी नेताओं ने प्रोटेम स्पीकर की मदद के लिए बने पैनल का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था. विपक्ष ने सरकार पर लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त नहीं करने की परंपरा से हटने का आरोप लगाया था.

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