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मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, चुराचांदपुर में दो गुटों के बीच फायरिंग

मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है. चुराचांदपुर के तोरबुंग इलाके में फायरिंग की घटना हुई है. जिसके बाद इलाके में तनाव है. स्थानीय लोगों का कहना है कि उपद्रवियों ने बवाल के बीच आगजनी को भी अंजाम दिया है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
आशुतोष मिश्रा
  • इंफाल,
  • 22 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 12:26 AM IST

मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. हाल ही में वहां महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़कों पर दौड़ाने का मामला सामने आया था तो अब चुराचांदपुर में दो गुटों के बीच तनाव की घटना सामने आई है.

चुराचांदपुर के तोरबुंग इलाके में दो गुटों के बीच फायरिंग हुई है. स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि कुछ जगहों पर उपद्रवियों ने आगजनी को भी अंजाम दिया है.

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3 मई से मणिपुर में जारी है हिंसा

बताते चलें कि मणिपुर में पहली बार 3 मई को हिंसा हुई थी. तब से लगातार आगजनी-तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आती रहीं. हालांकि, पिछले कुछ दिन से मणिपुर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा था. इंटरनेट समेत अन्य सेवाएं भी बहाल की जा रही थीं. इस बीच, 19 जुलाई को सोशल वीडियो प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो वायरल हुआ और राज्य एक बार फिर तनाव की चपेट में आ गया.

विरोध करने पर भाई-पिता की हत्या

वीडियो में भीड़ ने कथित तौर पर एक महिला के साथ गैंगरेप किया और जब उसके भाई-पिता ने विरोध किया तो उनकी हत्या कर दी गई. एक अन्य महिला के साथ भी गैंगरेप हुआ है. इस घटना से आक्रोश फैल गया. राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने वारदात की निंदा की. विपक्षी दलों ने संसद में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार को घेरा.

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कुकी समुदाय ने निकाला था विरोध मार्च

इस घटना का वीडियो वायरल हो गया था. वीडियो वायरल होने के एक दिन बाद कुकी समुदाय ने चुराचांदपुर में विरोध मार्च निकाला था. प्रदर्शन करने वाले लोग काले कपड़े पहने हुए थे. उन्होंने उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी, जिन्होंने दो महिलाओं की परेड कराई और उनके साथ गैंगरेप किया. पुलिस ने मुख्य आरोपी  समेत सभी चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. 

मणिपुर में ढाई महीने से हिंसा

मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं. हिंसा की शुरुआत तक हुई, जब कुकी समुदाय ने पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला और मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग का विरोध किया. मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है. वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि कुकी और नागा आदिवासी की संख्या 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

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