Advertisement

अटल टनल से गुजरा सेना का पहला काफिला, लेह पहुंचना हुआ आसान

7 अक्टूबर को इस अटल टनल से सेना का पहला काफिला गुजरा. सेना का ये काफिला लेह की ओर जा रहा था. इस टनल की वजह से भारतीय सेना के लिए लेह-लद्दाख जाना आसान हो गया है.

3 अक्टूबर को अटल टनल के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी (पीटीआई) 3 अक्टूबर को अटल टनल के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी (पीटीआई)
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 08 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 8:29 AM IST
  • अटल टनल से गुजरा सेना का काफिला
  • लेह जा रही है सेना की टुकड़ी
  • अटल टनल ने आसान किया सफर

3 अक्टूबर को अटल टनल के उद्घाटन के 4 दिन बाद यानी कि 7 अक्टूबर को इस सुरंग से सेना का पहला काफिला गुजरा. इस टनल से सेना का एक काफिला लेह के लिए रवाना हुआ. 

चीन के साथ तनाव के दौर में ये सुरंग भारतीय सेना के लिए गेम चेंजर साबित हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को समर्पित किए गए अटल टनलस मनाली और लेह की दूरी को 46 किलोमीटर कम कर देता है. इसके अलावा इस टनल का इस्तेमाल करने पर ट्रैवल टाइम में 5 घंटे की बचत होती है. 

Advertisement

सूत्रों ने आजतक को बताया कि 7 अक्टूबर को इस अटल टनल से सेना का पहला काफिला गुजरा. सेना का ये काफिला लेह की ओर जा रहा था. इस टनल की वजह से भारतीय सेना के लिए लेह-लद्दाख जाना आसान हो गया है. 

हालांकि चीन को ये टनल फूटी आंख भी नहीं सुहा रहा है. इस टनल का उद्घाटन होते ही चीन भारत को गीदड़ भभकी देने पर उतर आया. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक आर्टिकल में लिखा है कि भारत को अटल टनल बनाने से बहुत ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है. ग्लोबल टाइम्स लिखता कि इसका निर्माण सिर्फ सैन्य मकसद से किया गया है. 

इस टनल की कामयाबी से बौखलाए ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा है कि जंग के वक्त, खासकर सैन्य संघर्ष के दौरान इससे भारत को कोई फायदा नहीं होने वाला है. अखबार के मुताबिक पीएलए के पास इस सुरंग को बेकार करने के कई तरीके हैं. भारत और चीन के लिए यही बेहतर है कि दोनों एक-दूसरे के साथ शांतिपूर्ण तरीके से रहें. 

Advertisement

बता दें कि 9.02 किलोमीटर लंबे इस सुरंग को बनाने में भारत सरकार 3200 करोड़ की लागत आई है. ये सुरंग हिमाचल प्रदेश में मनाली और लाहौल स्फीति को जोड़ता है.
 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement