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Flood Latest Updates: देश के कई राज्यों में बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है. उत्तर प्रदेश के 24 जिले इस वक्त बाढ़ (Flood) की चपेट में हैं. गंगा, यमुना समेत कई नदियां उफान पर हैं, जिसकी मार शहरों पर पड़ रही है. संगम नगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों ही नदियों के पानी ने कहर बरपा रखा है. कई इलाके पूरी तरह से पानी में डूबे हैं. जिसकी वजह से हजारों लोग बाढ़ की चपेट में फंसे हैं.
प्रयागराज में बाढ़ प्रभावित इलाकों में हालात इतने खराब हैं कि खाना-पानी भी मुश्किल से मिल पा रहा है. बता दें कि गंगा-यमुना के उफान ने इन दिनों प्रयागराज में कोहराम मचा रखा है. संगम नगरी प्रयागराज में सबसे बदतर स्थिति चांदपुर सलोरी इलाके की है. जहां हजारों घर बाढ़ में डूबे हुए हैं. सलोरी के कैलाशपुरी मोहल्ले में हर तरफ बस पानी ही पानी है. इलाके में नाव के जरिए लोगों तक पानी की बोतलें और खाने के पैकेट बांटे जा रहे हैं.
वाराणसी में भी नदियों में उफान, बाढ़ के हालात
भोलेनाथ की नगरी वाराणसी में भी गंगा नदी रौद्र रूप दिखा रही है. जलस्तर बढ़ने के बाद वाराणसी में गंगा अलग-अलग रास्तों से शहर में दाखिल हो चुकी है. गांवों का हाल तो और खराब है. बाढ़ से घिरे गांव के लोग घर छोड़ने को मजबूर हैं. वाराणसी में गंगा नदी खतरे के निशाने के ऊपर बह रही है.
वाराणसी में गंगा और वरुणा नदी के किनारे बसे हजारों घरों में बाढ़ का पानी भर गया है. बाढ़ से बचाव के लिए टिकरी गांव के पास प्रशासन ने अस्थायी बांध बनाया था लेकिन उसके बह जाने के बाद रमना बनपुरवा गांव में पानी तेजी से बढ़ने लगा है, गांव वाले पलायन करने पर मजबूर हैं.
गंगा का जलस्तर बढ़ने से गहराया संकट
गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर से पटना में भी संकट बढ़ता जा रहा है. दियारा इलाके के कई गांव पानी में डूबे हुए हैं. 6 पंचायत का संपर्क मुख्यालय से कट गया है. बाढ़ की मार के चलते हजारों की आबादी प्रभावित हुई है, लेकिन सबसे बुरा हाल दियारा के कासिम चक, अकिलपुर और हेतनपुर गांव का है. जहां बाढ़ के चलते कई झोपड़ियां बह गई हैं. ऐसे हालात में लोग पलायन को मजबूर हैं. गांव छोड़ने वाले सैकड़ों लोगों ने राहत शिविरों में शरण ले रखी है.
महाराष्ट्र की महाड तहसील में बाढ़ के कारण हजारों घरों को नुकसान
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले की महाड तहसील में जुलाई में मूसलाधार बारिश (Heavy Rain) और उसके बाद आई बाढ़ (Flood) से 94 मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए जबकि 9,649 मकानों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है. प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार महाड तहसील में 21-22 जुलाई को आई बाढ़ से कुल 45 इमारतों, 1,859 आंशिक रूप से स्थायी मकानों, 23 अस्थायी मकानों और 36 झोपड़ियों को क्षति पहुंची है. इसके अलावा 3,709 दुकानें क्षतिग्रस्त हुई हैं.