
नॉन्गथोम्बम बीरेन सिंह ने रविवार (9 फरवरी) को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है. मणिपुर में लंबे समय से चली आ रही जातीय हिंसा को लेकर न सिर्फ विपक्ष बल्कि बीजेपी के विधायक भी उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे, इतना ही नहीं, पिछले साल बीजेपी के 19 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बाबत चिट्ठी भी लिखी थी. मणिपुर के मुख्यमंत्री के रूप में बीरेन सिंह का कार्यकाल कई विवादों से घिरा रहा. लेकिन कुकी और मैतेई समुदायों की बीच हुई हिंसा सबसे भारी रही.
बीरेन सिंह ने अपने करियर की शुरुआत फुटबॉलर के रूप में की. इसके बाद वह पत्रकार बन गए. जब वहां भी मन नहीं लगा तो राजनीति में हाथ आजमाया. पॉलिटिक्स में बीरेन सिंह का ऐसा सिक्का चला कि वह 2 बार मणिपुर के मुख्यमंत्री बने. पहली बार 2017 में और दूसरी बार 2022 में. इंफाल ईस्ट जिले की हिंगांग विधानसभा सीट से विधायक हैं
बीरेन सिंह ने 2002 में डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी (DRPP) से राजनीति में एंट्री की और विधानसभा चुनाव जीते. वर्ष 2004 के चुनाव से पहले इस पार्टी का विलय कांग्रेस में हो गया था. इसके बाद उन्होंने 2007 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते. थोड़े ही समय में बीरेन सिंह तत्कालीन मुख्यमंत्री इबोबी सिंह के भरोसेमंद लोगों में से एक बन गए और उन्हें सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण, खेल, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्री बनाया गया.
इसके बाद 2012 में फिर राज्य में विधानसभा चुनाव हुए. इसमें भी बीरेन सिंह ने अपना दबदबा कायम रखा. लेकिन बीरेन सिंह का इबोबी सिंह के साथ मतभेद हो गया. पद पर बने रहना मुश्किल होने पर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और अक्टूबर 2016 में भाजपा में शामिल हो गए.
2017 में पहली बार बने मुख्यमंत्री
फिर साल आया 2017 का. मार्च के महीने में चुनाव हुए जहां कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, लेकिन सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं थीं. ऐसे में बीजेपी ने गठबंधन में सरकार बनाई और बीजेपी ने उन्हें मणिपुर का सीएम बना दिया. फिर 2022 में मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में 32 सीट जीत कर बीजेपी ने सत्ता में वापसी की. जिसके चलते बीजेपी विधायक दल ने लगातर दूसरी एन बीरेन सिंह को विधायक दल का नेता चुना और उन्हें फिर से मणिपुर का मुख्यमंत्री बनाया. तब से बीरेन सिंह का अब तक का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है.
मई 2023 में भड़की जातीय हिंसा
बीरेन सिंह के कार्यकाल का सबसे बड़ा विवाद मई 2023 में भड़की जातीय हिंसा थी. इस दौरान इंफाल घाटी के बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और पहाड़ी इलाकों में बसे कुकी समुदाय के बीच भयंकर संघर्ष हुआ, जिसमें 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग बेघर हो गए. राज्य सरकार इसे रोकने में पूरी तरह से विफल रही, इसके बाद बीरेन सिंह के नेतृत्व को लेकर सवाल उठने लगे. हालांकि दिसंबर 2023 में उन्होंने जनता से माफी मांगते हुए शांति की अपील की. बीरेन सिंह ने सुलह का आह्वान किया, विभिन्न समुदायों से पिछली गलतियों को माफ़ करने और शांतिपूर्ण मणिपुर के पुनर्निर्माण की दिशा में काम करने का आग्रह किया.
फरवरी 2024 में लीक हुआ ऑडियो टेप
फरवरी 2024 में एक नया विवाद तब खड़ा हुआ जब बीरेन सिंह का कथित ऑडियो टेप लीक हुआ, जिसमें उन्हें कथित तौर पर यह चर्चा करते हुए सुना गया कि कैसे उनकी स्वीकृति से जातीय हिंसा भड़काई गई. बीरेन सिंह के मुखर आलोचक कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (KOHUR) ने टेप की प्रामाणिकता की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की. इस कारण सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) को टेप की प्रामाणिकता वेरिफाई करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया.