
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि विकसित भारत के लिए एक विदेश नीति होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बदलते हालात के बीच विदेश नीति में बदलाव जरूरी है. एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि जब हम विदेश नीति में बदलाव की बात करते हैं, और अगर नेहरू के बाद की अवधारणा की बात होती है, तो इसे राजनीतिक हमला नहीं माना जाना चाहिए.
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत में लोगों को वास्तव में खुद से पूछना चाहिए कि विदेश नीति में कौन से बदलाव आवश्यक हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 'नेहरू विकास मॉडल' ने 'नेहरू विदेश नीति' को जन्म दिया. जयशंकर ने कहा कि 1940, 1950, 1960 और 1970 के दशक में अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य द्विध्रुवीय था, फिर एकध्रुवीय परिदृश्य बन गया. और ये दोनों परिदृश्य भी बाद में बदल गए हैं. इसके अलावा पिछले 2 दशकों में बहुत तेजी से ग्लोबलाइजेशन हुआ है.
'देशों का एक-दूसरे के प्रति व्यवहार बदला'
जयशंकर ने कहा कि सभी देशों के साथ एक मजबूत अंतरनिर्भरता यानी इंटरडिपेंडेंसी हुई है. इसके साथ ही एक-दूसरे के प्रति देशों का व्यवहार बदल गया है. उन्होंने तर्क दिया कि अगर घरेलू मॉडल बदल गया है, परिदृश्य बदल गया है. अगर देशों के व्यवहार पैटर्न बदल गए हैं और विदेश नीतियों के उपकरण भी बदल गए हैं, तो विदेश नीति एक जैसी कैसे रह सकती है? जयशंकर ने कहा कि इसलिए मेरा कहना है कि जब हम विदेश नीति बदलने की बात करते हैं, और नेहरू के बाद के निर्माण की बात होती है, तो इसे राजनीतिक हमले के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.
'हमें यथार्थवादी होने की जरूरत'
कार्यक्रम के दौरान जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि हमें जमीनी स्तर पर रहने की जरूरत है, हमें यथार्थवादी होने की जरूरत है, हमें इस देश में व्यावहारिक होने की जरूरत है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि विकसित भारत के लिए, एक दृष्टिकोण के लिए एक विदेश नीति की आवश्यकता है.
'सबसे ज़्यादा दोस्त होने पर समस्याएं कम होंगी'
विदेश मंत्री के मुताबिक अगर आज हमारे देश में एक विकसित भारत बनने की आकांक्षा है, तो निश्चित रूप से विकसित भारत के लिए एक विदेश नीति होनी ही चाहिए और मैं कहूंगा कि हमने लगभग एक दशक पहले भारत को एक अग्रणी शक्ति की ओर बढ़ने के बारे में सोचना शुरू करने की आवश्यकता का सुझाव दिया था कि कैसे अधिक महत्वाकांक्षी बनें, कैसे आगे की योजना बनाएं. एक देश के पास अगर सबसे ज़्यादा दोस्त होंगे, तो एक तरह से उसकी समस्याएं कम होंगी. सबसे अच्छे रिश्ते होने पर "न्यूनतम बोझ" और 'विश्व बंधु' की अवधारणा सामने आती है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित 'विकसित भारत' का लक्ष्य 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में बनाना है.