
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत और चीन के एक साथ उभरने से संबंधों में संतुलन बनाने की अनूठी चुनौती खड़ी हो गई है. पहले की आदर्शवादी और गलतफहमियों वाली नीतियों ने सहयोग और प्रतिस्पर्धा को बाधित किया, लेकिन पिछले एक दशक में भारत का दृष्टिकोण बदला है. उन्होंने कहा कि 2020 के सीमा विवाद ने संबंधों को जटिल बना दिया है और इन मुद्दों को सुलझाने के प्रयास जारी हैं.
विदेशमंत्री जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों की जटिलताओं और व्यापक भू-राजनीतिक बदलावों पर चर्चा करते हए कहा कि पिछली सरकारों की आदर्शवादी और वास्तविकता से दूर नीतियों ने चीन के साथ न तो सहयोग को बढ़ावा दिया और न ही प्रतिस्पर्धा को. लेकिन पिछले 10 साल में इस दृष्टिकोण बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि हमें दीर्घकालिक संबंधों के विकास पर भी विचार करना चाहिए.
जयशंकर ने भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत को चीन की बढ़ती क्षमताओं से उत्पन्न चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा, विशेष रूप से ऐसी चुनौतियां जो हमारे हितों को सीधे-सीधे प्रभावित करती हैं. इसके लिए राष्ट्रीय ताकत का तेजी से विकास जरूरी है. इसमें बॉर्डर पर स्ट्रक्चर और महासागरीय परिधि की अनदेखी को सुधारना होगा. साथ ही संवेदनशील क्षेत्रों में निर्भरता को कम करना होगा.
'भारत अपनी ताकत मजबूत करने पर ध्यान दे रहा'
विदेशमंत्री ने कहा कि भारत अपनी समग्र ताकत को मजबूत करने पर ध्यान दे रहा है. उन्होंने कहा कि भारत का दृष्टिकोण तीन पारस्परिक सिद्धांतों पर आधारित है - आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित. डॉ. जयशंकर ने जोर दिया कि एशिया में बहुध्रुवीयता का उदय, वैश्विक बहुध्रुवीयता के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा कि भारत-चीन संबंधों का दीर्घकालिक विकास केवल द्विपक्षीय संबंधों को नहीं, बल्कि वैश्विक व्यवस्था को भी प्रभावित करेगा.
विदेशमंत्री का पाकिस्तान को कड़ा संदेश
मुंबई में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान के निरंतर समर्थन पर तीखी टिप्पणी करते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा पर कड़ा संदेश दिया. पाकिस्तान को हमारे पड़ोस में अपवाद बताते हुए जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद के लिए उसका समर्थन एक कैंसर है जो अब उसकी अपनी राजनीतिक व्यवस्था को निगल रहा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान की हरकतें न केवल उसके पड़ोसियों को नुकसान पहुंचाती हैं बल्कि पूरे उपमहाद्वीप को अस्थिर करती हैं. उन्होंने कहा कि पूरे उपमहाद्वीप का साझा हित है कि पाकिस्तान इस दृष्टिकोण को त्याग दे.
म्यांमार और अफगानिस्तान पर कही ये बात
म्यांमार और अफगानिस्तान की ओर मुड़ते हुए जयशंकर ने दोनों देशों के साथ भारत के लंबे समय से चले आ रहे लोगों के बीच संबंधों पर प्रकाश डाला. उन्होंने इन देशों में स्थितियों की जटिलताओं को स्वीकार किया और इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्रीय स्थिरता सबसे महत्वपूर्ण है. उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ कूटनीति के प्रति भारत के दृष्टिकोण को लेकर कहा कि हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जो देश ज्यादा निकट हैं, उनके हित अन्य दूर देशों से काफी अलग हैं.