
ये आकाशवाणी है! अब आप रामानुज प्रसाद सिंह से समाचार सुनिए! दशकों तक रेडियो समाचार श्रोताओं को मुग्ध करने वाली ये दमदार गहरी आवाज और ठहराव वाले अंदाज थम गए. आकाशवाणी में समाचार वाचक कैडर के आखिरी स्तंभ रामानुज प्रसाद सिंह ने 86 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
आकाशवाणी में समाचार वाचक कैडर की आखिरी चौकड़ी देवकी नंदन पांडेय, विनोद कश्यप, अशोक वाजपेयी और रामानुज प्रसाद सिंह की ही रही. इसके बाद ये कैडर समाप्त हो गया और बाद के समाचार वाचक अनुवादक सह समाचार वाचक की श्रेणी में ही आए.
आकाशवाणी में रामानुज के साथ दशकों तक संग संग काम कर चुके त्रिलोकीनाथ याद करते हुए बताते हैं कि शाही तबीयत और मस्त मिजाज वाले थे रामानुज. विराट सुदर्शन व्यक्तित्व के धनी रामानुज हर किसी की मदद को तैयार रहते थे. हर ओर से निराश व्यक्ति उनसे मदद पा ही जाता था.
महाकवि रामधारी सिंह दिनकर के भतीजे रामानुज का भारतीय संस्कृति और भारतीय पोशाक के प्रति जबरदस्त लगाव था. हमेशा सलीके से पहने गए कुर्ता-धोती या पयजामा या फिर सर्दियों में बंद गले का कोट और पैंट.
त्रिलोकीनाथ को याद आया कि एक दिन साथी समाचार वाचिका इंदु वाही जी ने कहा था कि 'अरे त्रिलोकी जी! आप लोगों ने रामानुज जी को जवानी के दिनों में नहीं देखा. एकदम फिल्मी हीरो लगते थे.'
हालांकि लोग उनके विराट लेकिन सौम्य सुदर्शन व्यक्तित्व आगे सहमे से रहते थे लेकिन उनका दिल बहुत सादा और प्यार भरा था. किसी ने उनको किसी के भी साथ ऊंची आवाज में बात करते या बरसते नहीं देखा होगा. साथ काम करने वालों को उनकी उपस्थिति से सदा एक अभिभावक का हाथ सिर के ऊपर रहने का सा अहसास रहता था.