
पूर्व गोवा विधायक लवू ममलदार की हत्या कर दी गई है. यह घटना कड़े बाजार के श्रीनिवास लॉज के पास हुई, जहां ऑटो ड्राइवर और ममलदार के बीच मामूली विवाद के चलते मारपीट हो गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, ममलदार की कार हल्के से एक ऑटो से टकरा गई थी जिस पर ऑटो ड्राइवर मुजाहिद सनदी ने उन पर हमला किया था. इस हमले के तुरंत बाद ममलदार लॉज की सीढ़ियां चढ़ते समय गिर गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई.
यह पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई. बेलगावी मार्केट पुलिस ने आरोपी मुजाहिद सनदी को गिरफ्तार कर लिया है और जांच शुरू कर दी है. ममलदार 2012-2017 के दौरान पोंडा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं और उस समय वे कांग्रेस में थे.
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क्या है पूरा मामला?
स्थानीय पुलिस ने बताया कि दोपहर 1:00 से 1:30 बजे के बीच राहुल नाम के शख्स और गोवा राज्य के एक पूर्व विधायक के बीच झगड़ा हुआ, जिसमें एक ऑटो चालक भी शामिल था. इस घटना में, वाहन ने ऑटो को टक्कर मार दी थी, जिसकी वजह से बहस हुई. बहस के दौरान ऑटो चालक ने पीड़ित को थप्पड़ मारा था, और जब पीड़ित घटना के बाद अपने ऑफिस के लॉज की सीढ़ियां चढ़ रहे थे, जब वह गिर गए.
पूर्व विधायक को तुरंत बेलगावी के सिविल अस्पताल ले जाया गया, और दोपहर करीब 2 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी की पहचान हो गई है. हमने इसे हत्या का मामला दर्ज किया है. जांच पूरी होने के बाद जल्द ही पूरी जानकारी साझा की जाएगी.
ममलदार का राजनीतिक करियर
ममलदार ने 2012 के गोवा विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्रवादी गोनमतक पार्टी (एमजीपी) के टिकट पर जीत हासिल की थी. हालांकि, 2017 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के रवि नाईक के हाथों हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद, दिसंबर 2021 तक ममलदार तीन महीने तक टीएमसी के नेता रहे. वर्ष 2022 में, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) का दामन थाम लिया.
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टीएमसी से इस्तीफा और आरोप
ममलदार ने टीएमसी पर आरोप लगाया कि पार्टी धर्म आधारित ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है. उन्होंने कहा कि टीएमसी ने हिंदू और ईसाई समुदायों के बीच विभाजन पैदा करने की कोशिश की, ताकि राजनीतिक लाभ उठाया जा सके. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि टीएमसी ने गोवा विधानसभा चुनाव के समय "लक्ष्मी भंडार" योजना के जरिए झूठे वादे किए.