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'ISRO पर पिछली सरकार को नहीं था भरोसा...', नंबी नारायणन का वीडियो शेयर कर BJP ने कांग्रेस को घेरा

ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन का एक वीडियो शेयर कर भाजपा ने कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है. वीडियो में नंबी नारायणन कहते हैं कि उनकी (तत्कालीन सरकार की) प्राथमिकताएं अलग-अलग थीं, उन्होंने कभी भी अंतरिक्ष अनुसंधान को प्राथमिकता नहीं दी. तब की सरकार द्वारा धन आवंटित नहीं किया गया.

नंबी नारायणन नंबी नारायणन
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 12:24 PM IST

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन का एक वीडिया भाजपा ने शेयर किया है. इस वीडियो में वो कांग्रेस के शासनकाल के दौरान ISRO के हालातों पर बात कर रहे थे. वीडियो में नंबी कहते हैं कि उनकी प्राथमिकताएं अलग-अलग थीं, उन्होंने कभी भी अंतरिक्ष अनुसंधान को प्राथमिकता नहीं दी. तब की सरकार द्वारा धन आवंटित नहीं किया गया. यही वीडियो शेयर करते हुए भाजपा ने कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है. 

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पूर्व वैज्ञानिक के मुताबिक इसरो के पास अनुसंधान कार्य के लिए कोई जीप या कार नहीं थी. उनके पास सिर्फ एक बस थी, जो शिफ्टों में चलती थी... तब से अब तक... जैसे-जैसे परफॉर्मेंस सुधरी सरकारों का भरोसा बढ़ता गया और हमें सराहा गया. बीजेपी ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने बजट में वृद्धि की है और हमारे वैज्ञानिकों के साथ उनकी सफलताओं और विफलताओं में खड़े हैं, तो भारत के अंतरिक्ष मिशन बहुत आगे बढ़ चुके हैं.

नंबी की जीवन कहानी पर बन चुकी है फिल्म

बता दें कि चंद्रयान-3 की सफलता पर बोलते हुए नंबी नारायणन ने कहा था कि मेरे काम को मान्यता मिली है. नंबी नारायणन वही वैज्ञानिक हैं जिनपर कुछ दिनों पहले फिल्म भी आई थी. एक्टर आर माधवन ने इस पर फिल्म 'रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट' की थी. 

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कौन हैं नंबी नारायणन?

गौरतलब है कि नंबी नारायणन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर थे, जिन्हें जासूसी के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया था. हालांकि, बाद में उन पर लगाए गए सारे आरोप झूठे साबित हुए और सरकार को उन्हें हर्जाना भी देना पड़ा था. भारत में लिक्विड फ्यूल राकेट टेक्नोलॉजी लाने वाले नंबी ही थे. देश में पहले राकेट टेक्नोलॉजी सॉलिड प्रोपेल्लेंट्स पर निर्भर थी, लेकिन 1970 में नंबी लिक्विड फ्यूल राकेट टेक्नोलॉजी भारत में लेकर आए और इसके साथ ही देश में ईंधन रॉकेट प्रौद्योगिकी की शुरुआत हुई. जिसका उपयोग इसरो ने अपने कई रॉकेटों के लिए किया था, जिनमें ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) और जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) शामिल हैं. नंबी नारायणन ने अपने करियर में विक्रम साराभाई, सतीश धवन और एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम किया.

नंबी नारायणन पर लगे थे झूठे आरोप

नंबी नारायण जब इसरो में वैज्ञानिक थे, तो 1994 में भारतीय आंतरिक्ष प्रोग्राम से जुड़ी गोपनीय जानकारी को लीक करने का झूठा आरोप उन पर लगाया गया था. आरोप थे कि उन्होंने आंतरिक्ष प्रोग्राम की जानकारी मालदीव के दो नागरिकों को साझा की है, जिन्होंने इसरो के रॉकेट इंजनों की इस जानकारी को पाकिस्तान को बेच दी थी. इन आरोपों के बाद केरल सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. 50 दिनों की जेल काटने और पुलिस के अत्याचार सहने के बाद नंबी को रिहा कर दिया गया. बाद में उन पर लगे सभी आरोप झूठे पाए गए थे. 

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