Advertisement

पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर 11 अगस्त को सुनवाई

आनंद मोहन के सियासी सफर की शुरूआत 1990 में हुई जब वह जनता दल के टिकट पर पहली बार महिषी विधानसभा सीट से विधायक बने. यह वह दौर था जब मंडल कमीशन बनाम मंदिर की राजनीति अपने चरम पर थी और लालू प्रसाद यादव ने इस कमीशन का समर्थन किया जबकि आनंद मोहन ने खुलकर इसकी विरोध किया था.

पूर्व सांसद आनंद मोहन पूर्व सांसद आनंद मोहन
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 8:09 PM IST

बिहार से पूर्व सांसद और डीएम की हत्या के आरोपियों में से एक आनंद मोहन की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई. अब 11 अगस्त को सुनवाई होगी. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष सुनवाई होनी थी. संविधान पीठ को वजह से आज पीठ वहीं बैठी. लिहाजा सुनवाई टल गई. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बिहार सरकार से रिहाई को लेकर सारे रिकॉर्ड भी तलब किए हैं. कोर्ट तय करेगा कि आनंद मोहन की रिहाई कानूनी तौर पर वाजिब है या नहीं.

Advertisement

ऐसे शुरू हुआ सियासी सफर 
आनंद मोहन के सियासी सफर की शुरूआत 1990 में हुई जब वह जनता दल के टिकट पर पहली बार महिषी विधानसभा सीट से विधायक बने. यह वह दौर था जब मंडल कमीशन बनाम मंदिर की राजनीति अपने चरम पर थी और लालू प्रसाद यादव ने इस कमीशन का समर्थन किया जबकि आनंद मोहन ने खुलकर इसकी विरोध किया था. जब जनता दल ने सरकारी नौकरियों में मंडल कमीशन की 27 फीसदी आरक्षण वाली बात का समर्थन किया तो आनंद मोहन ने अपनी राह अलग कर ली और सवर्णों के हक में आवाज उठानी शुरू कर दी. 

बाहुबली ने अपनी सियासी ताकत को आजमाने के लिए खुद की पार्टी बनाई, लेकिन कुछ सालों में ही खुमार उतर गया और फिर दूसरे दलों का दामन थामकर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने लगे. आनंद मोहन बिहार के हर एक दल में रह चुके हैं. जनता दल से लेकर समता पार्टी, आरजेडी, बीजेपी, कांग्रेस और सपा तक के साथ उनका नाता रहा है. इसीलिए कोई भी दल आज खुलकर उनका विरोध करता नजर नहीं आ रहा है.

Advertisement

ससुराल से संसद तक 
1991 में लवली आनंद से शादी करने के दो साल बाद आनंद मोहन ने बिहार पीपुल्स पार्टी नाम के नए दल का गठन किया. इस पार्टी ने आरक्षण का विरोध किया. यहां आनंद मोहन ने भूमिहार और राजपूत जाति को एक मंच पर लाने का काम किया. इसके बाद 1994 में हुए लोकसभा चुनाव में आनंद मोहन ने समता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पत्नी लवली आनंद को वैशाली सीट से उम्मीदवार बना दिया. उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव तब आया जब वैशाली लोकसभा उपचुनाव में उनकी पत्नी लवली आनंद आरजेडी उम्मीदवार को हराकर संंसद पहुंचीं.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement