
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 97वीं जयंती पर शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदैव अटल पहुंचे. यहां उन्होंने अटलजी को याद कर पुष्पांजलि अर्पित की. इससे पहले पीएम ने ट्वीट कर कहा कि अटल जी को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन. हम राष्ट्र के लिए उनकी समृद्ध सेवा से प्रेरित हैं. उन्होंने भारत को मजबूत और विकसित बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. उनके विकास पहल ने लाखों भारतीयों को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया.
आदरणीय अटल जी को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन।
Remembering Atal Ji on his Jayanti. We are inspired by his rich service to the nation. He devoted his life towards making India strong and developed.
His development initiatives positively impacted millions of Indians.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह और पीयूष गोयल ने भी पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर 'सदैव अटल' पर पुष्पांजलि अर्पित की. अमित शाह ने कहा कि अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल में अटलजी ने कई दूरदर्शी निर्णय लेकर एक मजबूत भारत की नींव रखी और साथ ही देश में सुशासन की कल्पना को चरितार्थ करके दिखाया. मोदी सरकार हर वर्ष अटलजी के योगदानों का स्मरण कर बड़ी उत्साह से ‘सुशासन दिवस’ मनाती है.
सिंह ने कहा कि मैं अटलजी को उनकी जयंती पर नमन करता हूं. वे एक महान राष्ट्रवादी थे जिन्होंने एक प्रख्यात वक्ता, अद्भुत कवि, सक्षम प्रशासक और एक उल्लेखनीय सुधारवादी के रूप में अपनी पहचान बनाई. भारत के सार्वजनिक जीवन में अटल जी के जबर्दस्त योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.
Delhi | President Ram Nath Kovind and Prime Minister Narendra Modi pay floral tribute at ‘Sadaiv Atal’ on former PM Atal Bihari Vajpayee's birth anniversary
Source: DD News pic.twitter.com/lMRroPtF8t
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था, इस दिन को भारत में बड़ा दिन कहा जाता है. प्रधानमंत्री रहते उनके किए काम अक्सर चर्चा के केंद्र में रहते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक रहे हैं, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी नाम से राजनैतिक पार्टी बनी. 1968 से 1973 तक अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के अध्यक्ष रहे और वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे. उन्होने लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया.
अटल बिहारी वाजपेयी के पिता उत्तर प्रदेश में आगरा जिले के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी थे. अटलजी की बीए की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई. छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे. उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में एमए किया. उन्होंने कानपुर में ही एलएलबी की पढ़ाई भी शुरू की लेकिन उसे बीच में ही छोड़कर पूरी निष्ठा से संघ-कार्य में जुट गए. डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ पढ़ा.
1955 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, पर सफलता नहीं मिली. 1959 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा पहुंचे. 1957 से 1977 जनता पार्टी की स्थापना तक अटलजी 20 साल तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे. मोरारजी देसाई की सरकार में वह 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनाई. 1980 में जनता पार्टी से असंतुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की. 6 अप्रैल, 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयीजी को सौंपा गया.
अटल बिहारी वाजपेयी दो बार राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हुए. अटल बिहारी वाजपेयी ने 1996 में प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली. पहली बार 16 से 31 मई, 1996 तक वे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे. 19 मार्च, 1998 को फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन सरकार ने पांच वर्षों में देश के अंदर प्रगति के अनेक आयाम छुए. 1998 में पोखरण में परमाणु विस्फोट करके उन्होंने देश को दुनिया के कुछ गिने-चुने परमाणु संपन्न देशों में शुमार करवा दिया. पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण कराया और उन्होंने अमेरिका की सीआईए को भनक तक नहीं लगने दी.