
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का अगस्त में निधन हो गया था. पूर्व राष्ट्रपति के संस्मरण 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' का जनवरी में विमोचन होना है. विमोचन से पहले प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी और बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी आमने-सामने आ गए हैं. अभिजीत ने चिंता जाहिर करते हुए प्रकाशक से पुस्तक की रिलीज रोकने और उसकी प्रति उपलब्ध कराने की मांग की है. वहीं, शर्मिष्ठा ने ट्वीट कर अभिजीत से पुस्तक के प्रकाशन में कोई बाधा नहीं डालने की अपील की है.
अभिजीत मुखर्जी ने मंगलवार को एक के बाद एक ट्वीट कर पुस्तक की रिलीज रोकने की मांग की है. मीडिया में आए पुस्तक के कुछ अंश को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए अभिजीत मुखर्जी ने कहा है कि मेरे पिता आज जीवित नहीं है इसलिए उनका बेटा होने के नाते में पुस्तक के प्रकाशित होने से पहले इसकी सामग्री देखना चाहता हूं. मेरे पिता आज जीवित होते तो उन्होंने भी ऐसा ही किया होता. मुखर्जी ने प्रकाशक को टैग करते हुए आगे लिखा है कि उनका (प्रणब मुखर्जी) का बेटा होने के नाते अनुरोध करता हूं कि मेरी लिखित सहमति के बगैर इसका प्रकाशन तुरंत रोक दें.
देखें: आजतक LIVE TV
पूर्व राष्ट्रपति के बेटे ने कहा है कि पहले ही इस संबंध में एक विस्तृत पत्र भेजा है, जो जल्द ही आप तक पहुंच जाएगा. गौरतलब है कि अभिजीत मुखर्जी की ओर से पुस्तक का प्रकाशन रोकने की मांग प्रकाशकों की ओर से विमोचन के ऐलान और पुस्तक के कुछ अंश मीडिया के माध्यम से जारी किए जाने के कुछ ही रोज बाद की गई है.
प्रकाशन में न डालें कोई बाधा- शर्मिष्ठा
शर्मिष्ठा ने ट्वीट कर भाई अभिजीत से अनुरोध किया है कि पिता की लिखी अंतिम पुस्तक के प्रकाशन में कोई अनावश्यक बाधा उत्पन्न न करें. उन्होंने कहा है कि बीमार होने से पहले पिता ने पांडुलिपि को पूरा किया था. फाइनल ड्राफ्ट में उनके (प्रणब मुखर्जी) हाथ से लिखे नोट्स और टिप्पणियां हैं.
शर्मिष्ठा ने कहा है कि उनकी ओर से व्यक्त किए गए विचार उनके खुद के हैं. किसी को भी इसे सस्ते प्रचार के लिए प्रकाशित होने से रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा है कि पुस्तक का नाम 'द प्रेसिडेंशियल मेमोयर्स' (The Presidential Memoirs) नहीं, 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' है.
क्या हैं पुस्तक के अंश
मीडिया में आए पुस्तक के एक अंश में पूर्व राष्ट्रपति के हवाले से कहा गया है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं का मत था कि अगर मैं 2004 में प्रधानमंत्री बन गया होता तो 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली हार टल सकती थी. हालांकि, इस दृष्टिकोण से सहमत नहीं हूं लेकिन मुझे विश्वास है कि मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी नेतृत्व का पॉलिटिकल फोकस खो गया. सोनिया गांधी पार्टी के मामलों को संभाल नहीं पा रही थीं. डॉक्टर मनमोहन सिंह की सदन से लंबे समय तक अनुपस्थिति के कारण अन्य सांसदों के साथ व्यक्तिगत संपर्क का अंत हो गया. इस पुस्तक में प्रणब मुखर्जी के हवाले से पीएम मोदी और मनमोहन सिंह की कार्यशैली को लेकर भी टिप्पणी की गई है.
ये भी पढ़ें