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हामिद अंसारी बोले- भारत में बढ़ी असहिष्णुता, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की काल्पनिक व्यवस्था को लागू करने वाले ट्रेंड उभरे

पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने एक कार्यक्रम में सरकार को घेरते हुए कहा कि आज देश में असहिष्णुता और असुरक्षा बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि लोग चुनावी बहुमत को धार्मिक बहुमत के रूप में पेश कर रहे हैं.

पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी. (फाइल फोटो) पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST
  • हामिद अंसारी ने सरकार की आलोचना की
  • बोले- संवैधानिक मूल्यों से दूर जा रहा देश
  • अंसारी की बात को अमेरिकी सांसदों का साथ

पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी (Hamid Ansari) के एक बयान से विवाद खड़ा हो गया है. गणतंत्र दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में असहिष्णुता बढ़ी है. उन्होंने कहा कि भारत अपने संवैधानिक मूल्यों से दूर जा रहा है. हामिद अंसारी ने ये बातें इंडियन-अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहीं.

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'असुरक्षा को बढ़ावा देना चाहते हैं'

हामिद अंसारी ने कहा कि हालिया सालों में ऐसे ट्रेंड्स उभरे हैं जो पहले से स्थापित नागरिक राष्ट्रवाद के खिलाफ हैं और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की काल्पनिक व्यवस्था को लागू करते हैं.

अंसारी ने कहा, ये चुनावी बहुमत को धार्मिक बहुमत के रूप में पेश करते हैं और राजनीतिक शक्ति पर एकाधिकार करना चाहते हैं. ऐसे लोग चाहते हैं कि लोगों को उनकी आस्था के आधार पर बांट दिया जाए और असुरक्षा को बढ़ावा दिया जाए.

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अंसारी को मिला अमेरिकी सांसदों का साथ

इस कार्यक्रम में अंसारी की बातों को अमेरिकी सांसदों का साथ भी मिला. इस कार्यक्रम में अमेरिकी सांसद एड मर्की, जिम मैकगवर्न, एंडी लेविन और जेमी रस्किन भी शामिल हुए थे. इन तीनों ने भी यहां भारत के खिलाफ बातें कहीं.

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सीनेटर एड मर्की का भारत विरोधी रवैया अपनाने का इतिहास रहा है. उन्होंने इस कार्यक्रम में कहा कि भारत सरकार अल्पसंख्यकों की प्रथाओं को टारगेट कर रही है और ऐसा माहौल बना रही है जो हिंसा और भेदभाव को बढ़ा रही है. 

इस दौरान जेमी रस्किन ने कहा कि भारत में धार्मिक अधिनायकवाद और भेदभाव की समस्याएं बढ़ी हैं. इसलिए हम चाहते हैं कि भारत धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता के रास्ते पर बना रहे. वहीं, एंडी लेविन ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र आज पिछड़ रहा है. वहां मानवाधिकारों पर हमले और धार्मिक राष्ट्रवाद बढ़ रहा है. 

 

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