
एक दुखद घटना में पश्चिम बंगाल के नदिया और उत्तर 24 परगना के कम से कम चार युवकों की मौत हो गई है. ये मजदूर उन आठ लोगों में शामिल थे, जिनकी दक्षिण मिजोरम के हनथियाल में पत्थर की खदान में दबने से मौत हो गई थी.
खदान में काम कर रहे युवकों के साथ सोमवार शाम को हादसा हुआ था. कई बड़े-बड़े पत्थर ऊपर से टूटकर उन पर गिर पड़े, जिससे वे मलबे के ढेर के नीचे दब गए. इस हादसे में कम से कम 8 मजदूरों की मौत हो गई और 4 मजदूर अभी भी लापता हैं. मृतकों के शव बुधवार को बरामद किए गए हैं.
चार घंटे बाद शुरू हुआ बचाव अभियान
एक मजदूर के मुताबिक, पत्थर गिरने के करीब चार घंटे बाद बचाव कार्य शुरू हुआ. शुरुआत में, रिपोर्टों में कहा जा रहा था कि हादसे के शिकार मजदूर बिहार के थे. मगर, बाद में पता चला कि आठ में से चार मजदूर बंगाल के थे. बचाव अभियान में असम राइफल्स और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) स्थानीय पुलिस, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीम और स्थानीय लोगों जुटे हुए थे.
चार मृतकों की हुई पहचान, सभी पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं
मृतकों की पहचान 24 साल के बुद्धदेव मंडल, 22 साल के मिंटू मंडल, 20 साल के राकेश विश्वास और 23 साल के मदन दास के रूप में हुई है. तीनों मृतक मिंटू, बुद्धदेव और राकेश तेहट्टा के कालीतला पारा इलाके के रहने वाले थे, जबकि मदन दास उत्तर 24 परगना के छपरा के पिपरागाछी इलाके का रहना वाला था.
मिंटू के पिता मधुसूदन मोंडल ने आंखों में आंसू भरे हुए कहा, "वे महत्वाकांक्षी थे. मिंटू मोटरसाइकिल खरीदना चाहता था और अपने परिवार पर बोझ बने बिना अपने दम पर कुछ करना चाहता था. इसलिए वह निर्माण कंपनी में शामिल हो गया.”
स्थानीय अधिकारियों ने किया मृतकों के घरों का दौरा
स्थानीय अधिकारियों ने मृतक लड़कों के घरों का दौरा किया. मधुसूदन ने कहा, "एसडीओ ने हमसे बात की है, लेकिन हम चाहते हैं कि हमारा बच्चा जल्द से जल्द घर वापस आ जाए."
बिस्वास के पड़ोसी ने आजतक को बताया, “लड़के 8 अक्टूबर को ठेकेदार कंपनी के तहत काम करने के लिए मिजोरम गए थे. ठेकेदार मिजोरम में राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कर रहा था. वे उन 13 लोगों में शामिल थे, जिन्होंने हाईवे के निर्माण के दौरान खदान से पत्थर हटाने का काम किया था.”
स्थानीय सूत्रों ने कहा कि चारों लोग एबीसीआई इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के लिए ठेका मजदूरों के रूप में काम करते थे. वह यहां काम करने के लिए पिछले सप्ताह की शुरुआत में अपने घरों से आए थे.
(निलय भट्टाचार्य के इनपुट के साथ)