
मणिपुर में कुकी समुदाय की महिलाओं से दरिंदग का वीडियो वायरल होने के बाद पूरे देश में गुस्से का माहौल है. वीडियो में दिखाई दे रहा है कि महिलाओं को निर्वस्त्र कर वहशियों की भीड़ कानून, पुलिस और सरकार सबसे बेखौफ होकर घूम रही है. इस घटना के बाद हर दिल में आक्रोश से भरा हुआ है. सड़क से लेकर संसद तक कोहराम मचा हुआ है. वीडियो सामने आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पीड़ा जताई है. उन्होंने कहा कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. वहीं मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस घटना को अमानवीय बताया है. साथ ही कहा कि अपराधी मौत की सजा के हकदार हैं. उधर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम वीडियो देखकर परेशान हैं. 140 करोड़ नागरिक शर्मसार हुए हैं, क्योंकि देश के जिस पूर्वोत्तर से सूरज उगता है, वहां बेटियों का सम्मान डुबा दिया गया है. बता दें कि मणिपुर केस में पुलिस ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.
पुलिस ने अबतक 4 आरोपी अरेस्ट किए
मणिपुर के घृणित वीडियो के केस में पुलिस ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने कहा कि सबसे पहले हुइरेम हेरादाश सिंह को अरेस्ट किया गया था. हुइरेम उस वीडियो में भीड़ को कंट्रोल करते हुए देखा गया था. गिरफ्तार किए गए अन्य 3 व्यक्तियों की पहचान तत्काल ज्ञात नहीं हो पाई है. वरिष्ठ अधिकारी वीडियो की जांच कर रहे हैं और इसमें शामिल लोगों का गिरफ्तार किए गए लोगों से मिलान कर रहे हैं. वीडियो पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पुलिस ने कहा कि अज्ञात हथियारबंद लोगों के खिलाफ थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज किया गया है.
PM मोदी ने कहा- मेरा दिल पीड़ा और गुस्से से भरा है
मणिपुर की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दो महिलाओं को नग्न घुमाने की घटना ने 140 करोड़ भारतीयों को शर्मसार किया है. कानून अपनी पूरी ताकत से काम करेगा और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने संसद परिसर में कहा कि आज, जब मैं लोकतंत्र के इस मंदिर के सामने खड़ा हूं तो मेरा दिल पीड़ा और गुस्से से भरा हुआ है. पीएम मोदी ने कहा कि मैं देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. कानून अपनी पूरी शक्ति और दृढ़ता से काम करेगा. मणिपुर की इन बेटियों के साथ जो हुआ उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस घटना से पूरे देश का अपमान हुआ है और 140 करोड़ देशवासी शर्म महसूस कर रहे हैं.
सीएम एन. बीरेन सिंह बोले- अपराधी मृत्युदंड के पात्र
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस घटना को अमानवीय बताया और कहा कि अपराधी मृत्युदंड के पात्र हैं. उन्होंने इस घटना की कड़ी निंदा व्यक्त करते हुए इसे मानवता के खिलाफ अपराध करार दिया और कहा कि उनकी सरकार इस जघन्य अपराध पर चुप नहीं रहेगी. उन्होंने कहा कि वीडियो देखने के तुरंत बाद उन्होंने साइबर अपराध विभाग को इसकी प्रामाणिकता की जांच करने का निर्देश दिया था और अधिकारियों को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाने का भी निर्देश दिया था. सीएम ने कहा कि उनकी सरकार राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और इस प्रक्रिया के तहत विभिन्न समुदायों के नागरिक समाज संगठनों, व्यापारियों, धार्मिक संस्थानों के नेताओं के साथ बातचीत की गई है. उन्होंने कहा कि हम लंबे समय से एक साथ रह रहे हैं. समुदायों के बीच गलतफहमी को बातचीत से सुलझाया जा सकता है, ताकि हम फिर से शांति से एक साथ रह सकें.
NHRC ने मणिपुर सरकार को भेजा नोटिस
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मणिपुर सरकार और राज्य के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया है. NHRC ने एक बयान में यह भी कहा कि वह ऐसी "बर्बर घटनाओं" से नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए उठाए गए या प्रस्तावित कदमों के बारे में जानना चाहता है.
NCW ने ट्विटर से वीडियो हटाने के लिए कहा
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने कहा कि उन्होंने ट्विटर को उस वीडियो को हटाने का निर्देश दिया है. एनसीडब्ल्यू ने एक ट्वीट में कहा कि यह वीडियो पीड़ितों की पहचान से समझौता करता है और एक दंडनीय अपराध है.
वीडियो सामने आने के बाद भड़का विपक्ष
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मुद्दा यह नहीं है कि यह देश के लिए शर्म की बात है, बल्कि मुद्दा राज्यभर की महिलाओं पर इससे होने वाला भारी दर्द और आघात है. मणिपुर में हिंसा तुरंत रोकें. वहीं, ममता ने कहा कि हम महिलाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन इस वीडियो को देखकर बहुत दुख हो रहा है. बीजेपी हमें गाली देती है, लेकिन उन महिलाओं के बारे में बीजेपी का क्या कहना है? ममता ने कहा कि भारत अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. भारत मणिपुर के पक्ष में है. हम कुछ मुख्यमंत्रियों के साथ मणिपुर का दौरा करना चाहते हैं. अगर सभी पार्टियां चाहेंगी तो ऐसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि हालांकि मैंने केंद्र को लिखा था कि मुझे पहले मणिपुर जाने दिया जाए, लेकिन अनुमति नहीं दी गई. उधर, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि एक तरफ देश को विश्वगुरु बनाने की बात हो रही, दूसरी तरफ मणिपुर से भयानक मंजर देखने को मिल रहा है.
इस घटना की टाइमलाइन समझिए
- 4 मई को तीन बेटियों के साथ हैवानियत होती है.
- 14 दिन बाद जाकर किसी तरह शिकायत होती है.
- 47 दिन बाद पुलिस FIR दर्ज करती है.
- 77 दिन बाद क्रूरता की वारदात का वीडियो सामने आता है.
- 78 दिन बाद एक आरोपी पकड़कर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह फिर सन्नाटा खींच लेते हैं और कहते हैं कि एक घटना को क्यों पकड़ते हो, ऐसी तो 100 घटनाएं हैं.
क्या है मणिपुर की घटना?
घटना 4 मई की है. कांगपोकपी जिले के बी फाइनॉम गांव पर 1000 सशस्त्र हमलावरों ने हमला किया. कूकी समुदाय के 2 पुरुष और 3 महिलाएं डर के मारे जंगल में छिपे थे, उन्हें हमलावरों ने पकड़ लिया. नॉनपॉक सेकमाई पुलिस ने उन्हें छुड़ाया और सुरक्षित थाने ले जाने लगी, लेकिन भीड़ ने पुलिस से उन्हें छीन लिया. 56 साल के शख्स की वहीं हत्या कर दी. महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया गया. युवती से सरेआम सामूहिक दुष्कर्म किया गया. उसके 19 साल के भाई ने अपनी बहन को बचाने की कोशिश तो उसकी हत्या कर दी गई. बाद में तीनों महिलाएं किसी तरह जान बचा पाईं.
वारदात के बाद क्या हुआ?
इस वारदात के 14 दिन तक किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. 18 मई को गांव के प्रमुख ने पुलिस को शिकायत दी. इस शिकायत के 34 दिन बाद 21 जून को मुकदमा कायम किया गया. और 29 दिन बाद जब वीडियो वायरल हुआ तो सिर्फ एक युवक की गिरफ्तारी हुई.
मणिपुर में 2 समुदायों के बीच बवाल क्यों?
मणिपुर में 3 प्रमुख समुदाय हैं मैतेई, नागा और कुकी. कुकी और नागा आदिवासी समुदाय हैं और 90 फीसदी पहाड़ी इलाकों में फैले हुए हैं. इनकी आबादी 40 फीसदी है. जबकि 53 फीसदी आबादी वाले मैतेई समुदाय घाटी के मैदानी इलाकों में सिर्फ 10 फीसदी हिस्से में रहते हैं. मैतेई समुदाय की मांग है कि 1949 से पहले उन्हें जनजाति माना जाता था. कुकी समुदाय मैतेई को जनजाति घोषित करने की कोशिश का विरोध कर रहा है, क्योंकि राज्य की 60 में से 40 सीटें मैतेई समुदाय के इलाकों से ही आती हैं. जहां मैतेई समुदाय बहुतायत में हैं. अगर इन्हें जनजाति का दर्जा मिला तो कुकी समुदाय को सरकारी रोज़गार में कम मौके मिलेंगे.