
भारतीय नौसेना ने 20 हजार करोड़ की लागत से 200 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें खरीदने का ऑर्डर दिया है. ये मिसाइलें नौसेना के मिसाइल विध्वंसक, फ्रिगेट्स, कॉर्वेट्स जैसे युद्धपोतों पर लगाएगा. इसके अलावा हो सकता है भविष्य में ये ब्रह्मोस मिसाइलें पनडुब्बी में भी लगाई जा सकती हैं. इसके अलावा नौसेना बहुत जल्द MRSAM, VRSAM, डॉर्नियर 228 विमान, राफेल-एम फाइटर जेट और सिरोस्की एमएच-60 आर हेलिकॉप्टर भी तैनात करेगी.
ब्रह्मोस पर इतना जोर क्यों है? असल में ब्रह्मोस इसलिए मांगी जा रही है, क्योंकि इसके चार नौसैनिक वर्जन मौजूद हैं.
पहली- युद्धपोत से दागी जाने वाली एंटी-शिप मिसाइल.
दूसरी- युद्धपोत से दागी जाने वाला लैंड-अटैक मिसाइल. ये दोनों ही मिसाइलें भारतीय नौसेना में पहले से ऑपरेशनल हैं.
तीसरी- पनडुब्बी से दागी जाने वाला एंटी-शिप मिसाइल. इसका सफल परीक्षण हो चुका है.
चौथी- पनडुब्बी से दागी जाने वाली लैंड-अटैक मिसाइल.
ब्रह्मोस मिसाइल का नौसैनिक वर्जन 200 किलोग्राम वॉरहेड ले जा सकता है. यह 4321 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन की तरफ जाती है. उसे बचने का समय नहीं मिलता. इस मिसाइल के जरिए आप दुश्मन के जहाज, बंकरों, अड्डों, कैंपों, टैंकों आदि पर सीधा और सटीक हमला कर सकते हैं. यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल है.
MRSAM के लगने से बन जाएगा वायु कवच
हाल ही में भारतीय सेना ने मध्यम रेंज मध्यम रेंज की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (Medium Range Surface to Air Missile - MRSAM) का परीक्षण किया था. मिसाइल ने दुश्मन की आती हुई सी-स्किमिंग मिसाइल को मार गिराया. इस मिसाइल को DRDO) ने इजरायल के IAI कंपनी के साथ मिलकर बनाया है. इजरायल से भारत को मिली बराक मिसाइल (Barak Missile) भी MRSAM ही है.
275 किलोग्राम वजनी MRSAM 4.5 मीटर लंबी होती है. इसमें 60 किलोग्राम वजनी प्री-फ्रैगमेंट वॉरहेड लगा सकते हैं. ये मिसाइल लॉन्च होने के बाद धुआं कम छोड़ती है. आसमान में सीधे के नाक की सीध में आ रही दुश्मन की मिसाइल को हवा 16 किमी ऊपर ही उड़ा सकती है. वैसे इसकी रेंज आधा से लेकर 100 किलोमीटर तक है. यानी इस रेंज में आने वाले दुश्मन यान, विमान, ड्रोन या मिसाइल को नेस्तानाबूत कर सकती है.
MRSAM में नया ये है कि इसका रेडियो फ्रिक्वेंसी सीकर. अगर दुश्मन जेट या विमान चकमा देने के लिए सिर्फ रेडियो का उपयोग कर रहा है तो भी यह उसे मार गिराएगी. इसकी गति 2448 किलोमीटर प्रतिघंटा है. इसके पांच रेजिमेंट बनाने की बात है. इस साल के अंत तक इन मिसाइलों को भारतीय नौसेना के कुछ युद्धपोतों में तैनात कर दिया जाएगा.
भारत ने इजरायल से MRSAM मिसाइल के पांच रेजीमेंट खरीदने की बात की है. इसमें 40 लॉन्चर्स और 200 मिसाइल आएंगे. इस डील की कीमत करीब 17 हजार करोड़ रुपए है. इन मिसाइलों की तैनाती से भारत को वायु सुरक्षा कवच बनाने में मदद मिलेगी. उम्मीद है कि साल 2023 तक इनकी तैनाती कर दी जाएगी.
VL-SRSAM यानी नौसेना का 'सीक्रेट हथियार'
डीआरडीओ भारतीय नौसेना के इस सीक्रेट हथियार का कई बार सफल परीक्षण कर चुका है. यह स्वदेशी मिसाइल अपनी गति, सटीकता और मारक क्षमता के लिए जानी जाती है. इसकी गति इतनी ज्यादा है कि यह दुश्मन के राडार के पकड़ में नहीं आती. इस मिसाइल का नाम है वर्टिकल लॉन्च-शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (VL-SRSAM).
इसमें स्वदेशी रेडियो फ्रिक्वेंसी सीकर लगा है जो इसकी सटीकता को बढ़ाता है. रडार को चकमा देकर आ रहे दुश्मन के विमान, ड्रोन, मिसाइल या हेलिकॉप्टर की ये आसानी से धज्जियां उड़ा देगा. यानी भारत को अब दुश्मन चकमा नहीं दे सकता. माना जा रहा है कि इस मिसाइल की तैनाती के बाद नौसेना से बराक-1 मिसाइलों को हटा दिया जाएगा.
इस मिसाइल का वजन 154 किलोग्राम होता है. वीएल-एसआरएसएएम (VL-SRSAM) मिसाइल की रेंज 25 से 30 किलोमीटर है. अधिकतम 12 KM की ऊंचाई तक जा सकती है. इसकी गति बराक-1 से दोगुनी ज्यादा है. यह मैक 4.5 यानी 5556.6 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ती है.
इसे किसी भी जंगी जहाज से दागा जा सकता है. खासियत ये है कि ये 360 डिग्री में घूमकर अपने दुश्मन को खत्म करके ही मानती है. वीएल-एसआरएसएएम इसमें हाई-एक्सप्लोसिव प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड लगाया जाता है. यह कम ऊंचाई पर उड़ने वाले दुश्मन के जहाज या मिसाइल को मार गिरा सकती है.
Rafale-M जल्द तैनात होगा INS Vikrant पर
इस महीने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो भारत आ सकते हैं. उनसे भारत का एक समझौता हो सकता है. वो ये है कि भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) पर राफेल-एम (Rafale-M) फाइटर जेट तैनात हो. एम मतलब मरीन. यानी नौसेना के लिए खास तौर से बनाया गया राफेल फाइटर जेट. खबर है कि इसका नाम फाइनल हो चुका है. इसने प्रतियोगिता में F-18 सुपर हॉर्नेट को हराया है.
राफेल-एम की अधिकतम गति मैक 2 है. यानी 2469.6 KM/घंटा. रेंज 3700 KM से ज्यादा है. राफेल अधिकतम 55 हजार फीट तक जा सकता है. यह 304.8 मीटर प्रति सेकेंड की गति से ऊपर जाता है. इसे एक पायलट उड़ाता है. 50.1 फीट लंबे जेट का विंग स्पैन 35.4 फीट है.
राफेल पर हवा से हवा में मार करने वाली MBDA मेटियोर बेयोंड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल लग सकती है. राफेल में 30 मिमी कैलिबर की GIAT 30M/719B तोप लगी है. यह एक मिनट में 125 राउंड फायर करती है. हवा से जमीन पर हमला करने वाली अपाचे, एमबीडीए स्टॉर्म शैडो, स्कैल्प, हैमर जैसी मिसाइल लगा सकते हैं.
हवा से सतह पर मार करने वाली एमबीडीए एम39-एक्सोसैट एयर लॉन्च्ड एंटी-शिप मिसाइल लगा सकते हैं. भविष्य में इसमें BrahMos का एयर वर्जन लगाया जा सकता है. राफेल मरीन यानी राफेल एम में कई बदलाव हुए हैं. जैसे- रीनफोर्स्ड अंडर कैरिज, नोज व्हील, बड़ा अरेस्टर हुक, इंटीग्रेटेड सीढ़ी आदि.
MH-60R: निगरानी, रेस्क्यू, हमला या ट्रैकिंग सब करेगा 'रोमियो'
भारतीय नौसेना में दो रोमियो हेलिकॉप्टर (Romeo Helicopter) शामिल हुए हैं. रोमियो नाम पर मत जाइए. इसका असली नाम है एमएच 60आर मल्टी रोल हेलिकॉप्टर (MH 60R Multi-Role Helicopter). इसके नाम में लगा R ही रोमियो का शॉर्टफॉर्म है. अभी 19 हेलिकॉप्टर और आएंगे. इसमें तीन साल और लगेंगे. इसे INS Vikrant पर तैनात किया जा रहा है.
रोमियो हेलिकॉप्टर को अमेरिकी कंपनी सिकोरस्की ने बनाया है. इसके पांच वैरिएंट्स मौजूद हैं. इनका उपयोग निगरानी, जासूसी, वीआईपी मूवमेंट, हमला, सबमरीन खोजना और उसे बर्बाद करने में काम आ सकता है. इसे उड़ाने के लिए 3 से 4 क्रू की जरूरत होती है. इनके अलावा इसमें 5 लोग बैठ सकते हैं. इसका अधिकतम टेकऑफ वजन 10,433 किलोग्राम है. यानी पूरे हथियारों, यंत्रों और सैनिकों के साथ. इसकी लंबाई 64.8 फीट है. ऊंचाई 17.23 फीट है.
यह एक बार में 830 किलोमीटर तक जा सकता है. अधिकतम 12 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है. सीधे उठने की गति 1650 फीट प्रति मिनट है. अधिकतम गति 279 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जरूरत पड़ने पर इसे बढ़ाकर 330 किलोमीटर प्रतिघंटा तक ले जा सकते हैं. इस पर दो मार्क 46 टॉरपीडो या MK 50 या MK 54s टॉरपीडो लगा सकते हैं. इसके अलावा 4 से 8 AGM-114 Hellfire Missile लगा सकते हैं.
एमएच 60आर मल्टी रोल हेलिकॉप्टर (MH 60R Multi-Role Helicopter) पर APKWS यानी एडवांस्ड प्रेसिसिशन किल वेपन सिस्टम लगाया जा सकता है. इसके अलावा इस हेलिकॉप्टर पर चार प्रकार की हैवी मशीन गन लगाई जा सकती है. जिनसे दुश्मन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाना आसान हो जाता है. इसके अलावा रैपिड एयरबॉर्न माइन क्लियरेंस सिस्टम (RAMICS) और 30 मिमी की Mk 44 Mod 0 तोप लगा सकते हैं.
Dornier 228: नौसेना के सबसे भरोसेमंद विमानों में से एक
डॉर्नियर विमान भारतीय नौसेना कई वर्षों से इस्तेमाल कर रही है. अब नई पीढ़ी के विमान मंगाने जा रही है. ये हैं डॉर्नियर-228. इसे दो लोग मिलकर उड़ाते हैं. इसमें 19 लोग बैठ सकते हैं. 54.4 फीट लंबे विमान की अधिकतम गति 413 किलोमीटर प्रतिघंटा है. लगातार दस घंटे उड़ान भर सकता है. अधिकतम रेंज 2363 किलोमीटर है.
यह अधिकतम 25 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसकी खासियत ये है कि ये शॉर्ट टेकऑफ और शॉर्ट लैंडिंग कर सकता है. यानी इसे टेकऑफ के लिए 792 मीटर का रनवे और लैंडिंग के लिए सिर्फ 451 मीटर का रनवे चाहिए. इसलिए यह विमान भारतीय मिलिट्री बहुत पसंद करती है.