
G20 सम्मेलन की भव्यता हो या कूटनीतिक कामयाबी. भारत दुनिया पर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहा. भारत ने साबित किया कि आज का भारत दुनिया की ग्लोबल शक्तियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकता है. भारत ने पूरी दुनिया का बता दिया कि आने वाला वक्त भारत है. जी20 के आयोजन को लेकर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी शेरपा अमिताभ कांत की तारीफ की. अब IAS अधिकारी अमिताभ कांत ने भी इसका जवाब दिया है.
दरअसल, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी मौजूदा वैश्विक हालातों के बीच जी20 नेताओं की संयुक्त विज्ञप्ति पर आम सहमति बनाने के लिए जी20 शेरपा अमिताभ कांत की तारीफ की थी. केरल से लोकसभा सांसद ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर कहा, "ऐसा लगता है कि जब आपने आईएएस का चयन किया तो आईएफएस ने एक प्रतिष्ठित राजनयिक खो दिया! 'दिल्ली घोषणा' पर सहमति पर भारत के जी20 शेरपा का कहना है, रूस, चीन के साथ बातचीत हुई, कल रात ही अंतिम मसौदा मिला. G20 में भारत के लिए गर्व का क्षण!"
अब इस पर अमिताभ कांत ने जवाब देते हुए अपने एक्स अकाउंट पर कहा कि शशि थरूर यह आईएएस या आईएफएस के बारे में नहीं है. यह देश के लिए एक टीम के रूप में काम करने के बारे में है.
इन राजनयिकों ने निभाई अहम भूमिका
संयुक्त सचिव ईनम गंभीर और के नागराज नायडू सहित राजनयिकों की टीम ने 300 द्विपक्षीय बैठकें कीं और विवादास्पद यूक्रेन संघर्ष पर अपने समकक्षों के साथ 15 मसौदे वितरित किए, ताकि जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के पहले दिन ही सहमति बन सके. कांत ने बताया कि नायडू और गंभीर के प्रयासों से उन्हें काफी मदद मिली. भारत रूस- यूक्रेन के विवादास्पद मुद्दे पर जी20 देशों के बीच एक अप्रत्याशित सहमति बनाने में कामयाब रहा, जिसमें ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने सफलता तक पहुंचने में अग्रणी भूमिका निभाई.
जी 20 के शेरपा हैं अमिताभ कांत
केरल कैडर के 1980-बैच के आईएएस अधिकारी अमिताभ कांत पूर्व में नीति आयोग के प्रमुख भी रह चुके हैं. अमिताभ कांत ने अपने करियर की शुरुआत इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज केरल कैडर से की थी. अब आपको बता दें कि जी 20 सम्मेलन में जितने भी देश शामिल हो रहे हैं. शेरपा जी20 सम्मेलन में अपने नेताओं की मदद तो करते ही हैं साथ ही उनका काम अपने देश के नीतिगत फैसले से सभी सदस्य देशों को अवगत कराना भी है. आसान भाषा में समझे तो शेरपा का पद किसी राजदूत के बराबर होता है. शेरपा की नियुक्ति सदस्य देशों की सरकार करती है. बैठक की प्लानिंग से लेकर देशी-विदेशी मेहमानों के बीच कोआर्डिनेशन तक का काम शेरपा ही संभालते हैं.