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गलवान के 20 वीरों का सम्मान, शहीद कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र, इनको मिला वीर चक्र

चीन के मंसूबों पर पानी फेरने वाले भारतीय सेना के 20 वीर जवानों की कहानी हर किसी की जुबां पर है. इस वर्ष गलवान घाटी में दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र से नवाजा गया है, इसके साथ ही अन्य शहीदों को भी वीर चक्र दिया गया है. 

लद्दाख में सीमा पर तैनात सेना के जवान.(फाइल फोटो) लद्दाख में सीमा पर तैनात सेना के जवान.(फाइल फोटो)
अभिषेक भल्ला
  • नई दिल्ली,
  • 26 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:50 AM IST
  • चीन से हिंसा में भारत के 20 जवान हुए थे शहीद
  • शहीद कर्नल संतोष बाबू को मिला महावीर चक्र

लद्दाख की गलवान घाटी में बीते वर्ष चीनी सैनिकों से बहादुरी से लड़ते हुए शहीद कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र से नवाजा गया है. उनके अलावा गलवान में चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देने वाले 20 अन्य भारतीय वीरों का भी सम्मान हुआ. संतोष बाबू के साथ पांच अन्य सैनिकों को भी मरणोपरान्त वीर चक्र दिया गया, जिसमें नायब सूबेदार नूडूराम सोरेन, हवलदार के पिलानी, हवलदार तेजेंद्र सिंह, नायक दीपक सिंह और सिपाही गुरतेज सिंह को गलवान घाटी के लिए वीरता मेडल दिया गया है.

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वहीं 14 अन्य सैनिकों को सेना मेडल मिला है. 1999 में कारगिल यद्ध के बाद से पहली बार गलवान घाटी में हुए इस संघर्ष में शहीद हुए जवानों को वीरता पुरस्कार दिए गए हैं. 1999 के कारगिल संघर्ष में दिखाए गए बहादुरी के लिए चार परम वीर चक्र पदक और 11 महावीर चक्र दिये गये थे. 

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शहीद कर्नल संतोष बाबू 

ऑपरेशन SNOW LEOPARD के दौरान गलवान घाटी (पूर्वी लद्दाख) में तैनात कमांडिंग ऑफिसर 16 BIHAR के कमांडर कर्नल संतोष बाबू को दुश्मन के सामने एक ऑब्जर्वेशन पोस्ट स्थापित करने का काम सौंपा गया था. कर्नल संतोष बाबू ने बड़ी ही बहादुरी के साथ अपनी बटालियन का नेतृत्व करते हुए दुश्मनों से लोहा लिया. दुश्मनों की संख्या अधिक थी. दुश्मन सैनिकों ने ऊंचाइयों से भारी पथराव के साथ धारदार हथियारों का उपयोग कर हमला किया. गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद शातिर दुश्मन के हमले को रोकने के लिए कर्नल संतोष बाबू अंतिम सांस तक मोर्चे पर डटे रहे और दुश्मनों को आगे नहीं बढ़ने दिया. इस सर्वोच्च बलिदान के लिए कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र से नवाजा गया है. 

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इन शहीदों को मिला वीर चक्र 

गलवान वैली (पूर्वी लद्दाख) में तैनात ऑपरेशन SNOW LEOPARD के दौरान नायब सूबेदार नूडूराम सोरेन ने अपनी पोस्ट का नेतृत्व किया. झड़प के दौरान बुरी तरह घायल होने के बाद भी वे पीछे हटने को तैयार नहीं हुए. उनकी वीरता के आगे दुश्मनों के हौसले भी पस्त हो गये. इस वीरता से लड़ने, साहस का परिचय देने और सर्वोच्च बलिदान के लिये उन्हें वीर चक्र से नवाजा गया है. इनके अलावा हवलदार के पलानी को गलवान घाटी (पूर्वी लद्दाख) में तैनात किया गया था. 15 जून 2020 की रात को गश्त के दौरान दुश्मनों से लड़ते हुए वे शहीद हो गये. साहस और सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें भी वीर च​क्र दिया गया.

नायक दीपक सिंह बटालियन नर्सिंग असिस्टेंट की ड्यूटी कर रहे थे. ऑपरेशन SNOW LEOPARD के दौरान उन्होंने गलवान घाटी में झड़प में घायल जवानों का इलाज किया. युद्ध की स्थिति का आकलन करने के बाद, वह तत्काल चिकित्सा सहायता के लिए आगे बढ़ गए. जैसे ही झड़प हुई और हताहतों की संख्या बढ़ गई, वह घायल सैनिकों को प्राथमिक उपचार देने के लिए अग्रिम पंक्ति में चले गए. भारी पथराव के साथ झड़प में उन्हें गंभीर चोटें आईं, लेकिन वे चिकित्सा सहायता प्रदान करते रहे.

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कई लोगों की जान बचाने के दौरान अंत में वे भी शहीद हो गए. इस अभूतपूर्व कार्य के लिये नायक दीपक सिंह को "वीर चक्र” से सम्मानित किया गया है.

वहीं 15 जून 2020 को, 3 मीडियम रेजिमेंट के हवलदार तेजिंदर सिंह गलवान घाटी (पूर्वी लद्दाख) में तैनात रेजिमेंटल कॉलम का हिस्सा थे. वह अपनी चौकी का नेतृत्व कर रहे थे. सिपाही गुरतेज सिंह दुश्मन को सबक सिखाते हुए खुद गंभीर रूप से घायल हो गए. विशिष्ट वीरता प्रदर्शन करने के लिए सिपाही गुरतेज सिंह को भी वीर चक्र से सम्मानित किया गया है.


 

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