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12 दिन पहले की थी बेटी की शादी, 6 दिन पहले टनल में नौकरी पर आए थे डॉक्टर शाहनवाज... आतंकियों ने ले ली जान

गांदरवल में आतंकियों ने जिन 7 लोगों की जान ली, उनमें एक डॉक्टर शाहनवाज डार भी शामिल थे. उन्होंने 12 दिन पहले ही अपनी बेटी की शादी की थी. उनके बेटे ने बताया कि वो छह दिन पहले ही इस सुरंग में काम पर गए थे.

बडगाम में डॉक्टर शाहनवाज के जनाजे में उमड़ी भीड़ (फोटो- PTI) बडगाम में डॉक्टर शाहनवाज के जनाजे में उमड़ी भीड़ (फोटो- PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 10:38 AM IST

जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में आतंकियों ने निर्माणाधीन सुरंग में काम कर रहे सात लोगों की जान ले ली. इस हमले में बड़गाम के रहने वाले डॉक्टर शाहनवाज अहमद डार भी मारे गए. उन्होंने 12 दिन पहले ही अपनी बेटी की शादी की थी और वो अपनी बेटी को पहली बार मायके लाने के लिए उसकी ससुराल जाने वाले थे. डॉक्टर शाहनवाज के बेटे ने बताया कि उनके पिता इस सुरंग में काम करने के लिए छह दिन पहले ही गए थे.  

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डॉक्टर शाहनवाज का शव जब सोमवार को बड़गाम के नदिगाम गांव में पहुंचा तो यहां पूरा गांव उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़ पड़ा. उनकी बेटी भी घर पहुंच चुकी थी, जिसे लाने के लिए वो उसकी ससुराल जाने वाले थे. दरअसल उन्होंने अपनी बेटी की शादी 12 दिन पहले ही की थी और एक रस्म के मुताबिक, पिता या भाई को बेटी को लाने के लिए उसकी ससुराल जाना पड़ता है.

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छह दिन पहले ही उन्हें काम पर रखा गया था  

उनके गांव के लोग डॉक्टर शाहनवाज को भगवान की तरह मानते थे. दरअसल उनका स्वभाव भी बहुत अच्छा था और वो इस गांव के इकलौते डॉक्टर थे, जो लोगों का इलाज करते थे. डॉक्टर के बेटे मोहसिन ने बताया कि पापा को गांदरबल की इस सुरंग में मजदूरों का इलाज करने के लिए छह दिन पहले ही रखा गया था क्योंकि वहां कोई दूसरा डॉक्टर नहीं था.  

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कब हुआ था गांदरबल में आतंकी हमला?  

गांदरबल के सोनमर्ग में निर्माणाधीण सुरंग की साइट पर रविवार रात को आतंकी हमला हुआ था, जिसमें यहां काम कर रहे 7 कर्मचारियों की मौत हो गई थी. इस हमले में एक डॉक्टर और तीन गैर कश्मीरी मजदूर समेत 7 लोगों की जान चली गई, जबकि पांच अन्य घायल हो गए. ये हमला तब हुआ जब गांदरबल के गुंड में सुरंग परियोजना पर काम कर रहे मजदूर और अन्य कर्मचारी देर शाम अपने शिविर में लौट आए थे. इस अटैक के पीछे आतंकी संगठन TRF का  हाथ बताया जा रहा है. लश्कर के मुखौटा संगठन टीआरएफ कई बार माइग्रेंट को निशाना बना चुका है.

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