
इंडिया टुडे द्वारा किए गए सकल घरेलू व्यवहार (जीडीबी) जनमत सर्वेक्षण ने भारत के नागरिक व्यवहार की एक जटिल तस्वीर पेश की है. इस सर्वेक्षण में देश भर के विभिन्न राज्यों में लोगों के आचरण, नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी को समझने की कोशिश की गई. नतीजों ने क्षेत्रीय अंतर को स्पष्ट रूप से सामने रखा है. इसमें तमिलनाडु नागरिक व्यवहार के मामले में अव्वल रहा है, जबकि पंजाब सबसे निचले पायदान यानी 22वें स्थान पर रहा. यह अंतर न केवल नागरिक चेतना में अलग-अलग स्थिति को सामने रखता है, बल्कि यह भी बताता है कि सामाजिक मूल्य और उनका पालन क्षेत्रीय संस्कृति और परिस्थितियों से कितना प्रभावित होता है.
ईमानदारी में तमिलनाडु आगे
सर्वेक्षण में 12 सवालों के जरिए ईमानदारी, सामाजिक जिम्मेदारी और नागरिक मानदंडों के प्रति लोगों का नजरिया मापा गया. तमिलनाडु ने इन सभी पहलुओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. यह राज्य न केवल सार्वजनिक संपत्ति के सम्मान और सामाजिक सहायता जैसे मुद्दों पर आगे रहा, बल्कि भ्रष्टाचार और अनैतिकता के खिलाफ भी मजबूत रुख दिखाया. उदाहरण के लिए, सर्वे में 87% लोगों ने बिजली मीटरों से छेड़छाड़ का विरोध किया और 86% ने सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाने को गलत बताया. तमिलनाडु में इन सवालों पर सकारात्मक जवाबों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक रहा, जो इसकी नागरिक जागरूकता को रेखांकित करता है.
लेकिन पंजाब पीछे
दूसरी ओर, पंजाब का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. यह राज्य न केवल ईमानदारी और जिम्मेदारी के पैमाने पर पीछे रहा, बल्कि सामाजिक व्यवहार के कई बुनियादी मानदंडों में भी कमजोर दिखा. सर्वे के अनुसार, पंजाब में लोगों का रुझान व्यक्तिगत हितों को नैतिकता से ऊपर रखने की ओर अधिक रहा. मिसाल के तौर पर, जहां तमिलनाडु में सार्वजनिक जिम्मेदारी को लेकर सख्त नजरिया देखा गया, वहीं पंजाब में ऐसे मूल्यों का अभाव नजर आया. यह अंतर क्षेत्रीय संस्कृति, शिक्षा स्तर और सामाजिक संरचना में गहरे अंतर को सामने रखता है.
क्यों सफल है तमिलनाडु?
तमिलनाडु की सफलता के पीछे कई कारक हो सकते हैं. राज्य की ऊंची साक्षरता दर, सामाजिक कल्याण पर जोर और ऐतिहासिक रूप से प्रगतिशील आंदोलनों ने नागरिकों में जिम्मेदारी की भावना पैदा की है. इसके विपरीत, पंजाब में सामाजिक-आर्थिक चुनौतियाँ, जैसे नशे की समस्या और आर्थिक असमानता, नागरिक व्यवहार पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं.
सर्वे में यह भी सामने आया कि दक्षिण भारत के राज्य, खासकर तमिलनाडु और केरल, सामाजिक जागरूकता में उत्तरी राज्यों से मीलों आगे हैं. हालांकि, यह सर्वे केवल सतह को छूता है. तमिलनाडु का शीर्ष स्थान और पंजाब का निचला पायदान हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या भारत में नागरिक व्यवहार को एकसमान बनाने के लिए नीतियों और शिक्षा में बदलाव की जरूरत है. यह अंतर सिर्फ आँकड़ों की कहानी नहीं, बल्कि एक गहरे सामाजिक संदेश की ओर इशारा करता है.