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कौन हैं गीतिका श्रीवास्तव? पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग की कमान संभालने वाली पहली महिला IFS अफसर के बारे में जानिए

गीतिका श्रीवास्तव वर्तमान में विदेश मंत्रालय (एमईए) के मुख्यालय में संयुक्त सचिव के रूप में कार्यरत हैं. वे इंडो पैसिफिक डिवीजन में हैं. उन्होंने विदेशी भाषा ट्रेनिंग के दौरान मंदारिन (चीनी भाषा) सीखी. वे 2007 से 2009 तक चीन में भारतीय दूतावास में तैनात रहीं.

गीतिका श्रीवास्तव (फाइल फोटो) गीतिका श्रीवास्तव (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 8:36 AM IST

आजादी के बाद पहली बार पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग की कमान किसी महिला को दी जा रही है. 2005 बैच की IFS अफसर गीतिका श्रीवास्तव इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में भारत की नई प्रभारी होंगी. वे सुरेश कुमार का स्थान लेंगी, जिनकी जल्‍द नई दिल्ली लौटने की संभावना है.

अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द कर दिया था. इसके बाद से भारत और पाकिस्तान ने राजनयिक संबंधों का दर्जा घटा दिया था. यानी अब दोनों देशों में कोई उच्चायुक्त नहीं है. इसके बाद इस्लामाबाद और दिल्ली में पाकिस्तानी और भारतीय उच्चायोगों का नेतृत्व उनके संबंधित प्रभारी करते हैं. 

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कौन हैं गीतिका श्रीवास्तव?

गीतिका श्रीवास्तव वर्तमान में विदेश मंत्रालय (एमईए) के मुख्यालय में संयुक्त सचिव के रूप में कार्यरत हैं. वे इंडो पैसिफिक डिवीजन में हैं. उन्होंने विदेशी भाषा ट्रेनिंग के दौरान मंदारिन (चीनी भाषा) सीखी. वे 2007 से 2009 तक चीन में भारतीय दूतावास में तैनात रहीं. वे  कोलकाता में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय और विदेश मंत्रालय में हिंद महासागर क्षेत्र प्रभाग के निदेशक के रूप में भी काम कर चुकी हैं. सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही वे इस्लामाबाद में अपना प्रभार संभालेंगी.

1947 में श्रीप्रकाश को पाकिस्तान में पहला भारतीय उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था. इसके बाद से भारत का प्रतिनिधित्व हमेशा पुरुष राजनयिकों द्वारा किया गया है. इस्लामाबाद में अंतिम भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया थे, जिन्हें 2019 में आर्टिकल 370 हटाने के बाद पाकिस्तान द्वारा उच्चायोग की स्थिति को कम करने के फैसले के बाद वापस बुला लिया गया था. 

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हालांकि, महिला राजनयिक पहले भी पाकिस्तान में तैनात रह चुकी हैं. लेकिन कभी भी उन्हें प्रभार नहीं मिला. पाकिस्तान में पोस्टिंग को कठिन माना जाता है, क्योंकि कुछ साल पहले इस्लामाबाद को भारतीय राजनयिकों के लिए "गैर-पारिवारिक" पोस्टिंग घोषित किया गया था.

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