
दिल्ली में चल रहे जी20 शिखर सम्मेलन में दुनिया के 20 ताकतवर देशों के नेताओं ने शिरकत की है. इनमें जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज भी शामिल हैं, जो शनिवार को सम्मेलन के पहले दिन आंख पर पट्टी बांधकर पहुंचे. इसके पीछे के कारण को लेकर उन्होंने कुछ दिन पहले ही ट्वीट कर जानकारी दी थी. दरअसल, 65 वर्षीय ओलाफ स्कोल्ज को पिछले शनिवार को जॉगिंग के दौरान चेहरे पर चोट लग गई थी. चोट को छिपाने के लिए उन्होंने आंख पर पट्टी लगा ली है.
उनके प्रवक्ता स्टीफन हेबेस्ट्रेट ने सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि स्कोल्ज को मामूली चोटें आई हैं और उन्हें अगले कुछ दिनों तक आंखों पर पट्टी बांधनी होगी. स्कोल्ज, जो कई वर्षों से नियमित धावक रहे हैं चोट के बावजूद अच्छी फॉर्म में हैं. इससे पहले जर्मन चांसलर ने एक्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर अपनी फोटो शेयर की थी, जिसमें वह अपनी दाहिनी आंख पर एक काला पैच पहने हुए थे. इसके आसपास चोट के लाल खरोंच के निशान दिखाई दे रहे थे. इस फोटो के साथ उन्होंने लिखा, "शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद. यह इससे भी बदतर लग रहा है! मीम्स देखने के लिए उत्साहित हूं."
बता दें कि 9 और 10 सितंबर को दो दिनों तक चलने वाले जी20 सम्मेलन में सभी 20 देशों के नेता पहली बार एक साथ दिल्ली में एक मंच पर हैं. इसका आयोजन भारत मंडपम में किया जा रहा है. दुनिया के सबसे बड़े और एडवांस कंवेशन सेंटर में से एक भारत मंडपम को जी-20 के लिहाज से खास तरीके से तैयार किया गया है, जहां भारत की संस्कृति और विरासत के अलावा आधुनिक भारत की झलक भी देखने को मिल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार को नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के लिए विश्व नेताओं को शुभकामनाएं दीं. उन्होंने विश्व नेताओं से हाथ मिलाया और गर्मजोशी से गले लगाया.
ये देश हैं G-20 समूह में शामिल
G-20 ग्रुप में भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, जापान, मेक्सिको, जर्मनी, फ्रांस, रूस, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, इंडोनेशिया, इटली, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की और यूरोपीय यूनियन शामिल हैं. दुनिया की जीडीपी (World's GDP) में इसकी हिस्सेदारी 85 फीसदी है. इसके अलावा G-20 देशों में दुनिया का कुल 85 फीसदी प्रोडक्शन होता है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में समूह देशों की हिस्सेदारी 75 फीसदी है. इसका गठन 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद इस समझ के साथ किया गया था कि सीमाओं के पार फैल रहे संकटों से निपटने के लिए बेहतर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग की आवश्यकता है.