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गोवा: देश का सबसे छोटा राज्य कैसे बन रहा कोरोना का सबसे बड़ा एपिसेंटर, संक्रमण दर 41% के पार

देश के सबसे छोटे राज्य गोवा में कोरोना की दूसरी लहर ने जोरदार दस्तक दी है. जिस राज्य में पहली लहर के दौरान सबकुछ नियंत्रित दिखाई पड़ रहा था, अब स्थिति पूरी तरह पलट चुकी है. गोवा सिर्फ राज्य के मामले में सबसे छोटा है, लेकिन कोरोना संक्रमण दर के मामले सबसे आगे निकल गया है.

गोवा में कोरोना से हाल बेहाल ( फोटो पीटीआई) गोवा में कोरोना से हाल बेहाल ( फोटो पीटीआई)
सुधांशु माहेश्वरी
  • नई दिल्ली,
  • 07 मई 2021,
  • अपडेटेड 10:57 PM IST
  • गोवा बन गया कोरोना का सबसे बड़ा एपिसेंटर
  • गोवा में संक्रमण दर 41% के पार
  • कड़े फैसले लेने में देरी बनी बड़ी वजह
  • राज्य में अब लगा गया है लॉकडाउन

देश के सबसे छोटे राज्य गोवा में कोरोना की दूसरी लहर ने जोरदार दस्तक दी है. जिस राज्य में पहली लहर के दौरान सबकुछ नियंत्रित दिखाई पड़ रहा था, अब स्थिति पूरी तरह पलट चुकी है. गोवा सिर्फ राज्य के मामले में सबसे छोटा है, लेकिन कोरोना संक्रमण दर के मामले सबसे आगे निकल गया है. आंकड़े बताते हैं कि गोवा में पॉजिटिविटी रेट 41% के पार चला गया है.

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गोवा में पिछले 24 घंटे में 3869 नए मामले सामने आए हैं, वहीं एक्टिव केस की संख्या भी 30 हजार के करीब पहुंच गई है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने भी मान लिया है कि गोवा में कोरोना की स्थिति भयावह हो गई है. उन्होंने आशंका जताई है कि राज्य में एक दिन में बहुत जल्द 200 से 300 मौतें भी हो सकती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि देश का सबसे छोटा राज्य अब कोरोना का सबसे बड़ा एपीसेंटर कैसे बन गया. राज्य में स्थिति बद से बदतर कैसे हो गई.

ज्यादा पॉजिटिविटी रेट का क्या मतलब?

कोरोना के मामले बढ़ना तो चिंता का विषय रहता ही है, इसके अलावा संक्रमण दर में बढ़ोतरी होना भी अच्छे संकेत नहीं देता है. जिस भी राज्य में R रेट ज्यादा होता है वहां पर कई लोग संक्रमित पाए जाते हैं. R रेट का मतलब प्रभावी रिप्रोडक्शन नंबर होता है. आसान शब्दों में औसतन एक संक्रमित व्यक्ति से कितने अन्य लोगों को वायरस फैल रहा है, R रेट के जरिए ये पता चलता है. गोवा की बात करें तो वहां पर क्योंकि संक्रमण दर 41 फीसदी से ज्यादा है, ऐसे में कहा जा रहा है कि हर 100 लोगों की टेस्टिंग पर राज्य में 41 लोग कोविड पॉजिटिव निकल रहे हैं.

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वैसे अभी नेशनल लेवल पर पॉजिटिविटी रेट 20 फीसदी के आसपास बना हुआ है. एक्सपर्ट तो इसे भी ज्यादा बताते हैं,लेकिन गोवा में स्थिति ने विक्राल रूप ले लिया है. ये हाल तो तब है जब गोवा में रोज के 5 से 6 हजार टेस्ट हो रहे हैं. अगर टेस्टिंग को बढ़ाया जाता है तो संक्रमित मरीजों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हो सकती है. अभी के लिए तो गोवा का ज्यादा संक्रमण दर बताता है कि कम समय में राज्य में कोरोना ने बहुत तेजी से पैर पसार लिए हैं.

क्लिक करें- गोवा में बढ़ते संक्रमण की वजह से 15 दिन का कोरोना कर्फ्यू, रविवार से 24 मई तक रहेगा जारी 

सिर्फ अप्रैल 21 से मई 4 के बीच में गोवा में सक्रमण दर 41 फीसदी रहा है. अब ये आंकड़ा एक छोटे राज्य के लिहाज से तो खतरनाक है ही, अगर दूसरे राज्यों से तुलना करें तो और ज्यादा चिंता बढ़ाने वाला है. गोवा से पहले देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना का संक्रमण दर 35 फीसदी से ज्यादा दर्ज किया गया था. बंगाल में भी चुनाव के बाद से संक्रमण दर काफी ज्यादा हुआ है. वहीं महाराष्ट्र, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में अब पॉजिटिविटी रेट कम होता दिख रहा है लेकिन गोवा में ना ऐसे कोई संकेत देखने को मिल रहे हैं और ना ही बढ़ते कोरोना मामलों पर अंकुश लग रहा है. आंकड़े इतने खतरनाक हैं कि देश के सबसे छोटे राज्य को कोरोना का नया एपीसेंटर बताया जा रहा है.

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गोवा में ज्यादा सक्रमंण दर से ये तो साफ हो गया है कि राज्य में कोरोना के मामले सरकारी आंकड़ों से काफी ज्यादा हैं, लेकिन हैरानी की बात ये है कि अभी भी टेस्टिंग के मामले में ये राज्य काफी पीछे है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की पहली लहर के दौरान गोवा में रोज के 2000 कोरोना टेस्ट होते थे, अब दूसरी लहर के दौरान 5 हजार से 6 हजार टेस्ट होते दिख रहे हैं. जिस राज्य में रोज के 3000 से ज्यादा मामले आ रहे हों, 70 से ज्यादा लोग रोज अपनी जान गवा रहे हों, वहां सिर्फ 5 से 6 हजार टेस्ट होना चिंता का विषय है. यहीं कारण है कि गोवा का पॉजिटिविटी रेट भी लगातार 40 फीसदी से ऊपर बना हुआ है.

गोवा कैसे बन रहा कोरोना का सबसे बड़ा एपिसेंटर?

अब जब कोरोना काल में सबकुछ बंद किया जा रहा था, लोगों पर तमाम तरह की पाबंदियां लग रही थीं, ऐसे मुश्किल समय में भी गोवा पसंदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बना हुआ था. कई लोग यहां पर छुट्टियां मनाने भी आ रहे थे और बीच पर मौज-मस्ती भी करते देखे गए. जब दूसरे राज्यों में सख्ती दिखाई जा रही थी, तब गोवा में बाहर से आ रहे टूरिस्ट का आना-जाना जारी था. विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा भी बनाया और आरोप लगा दिया था कि राजस्व जोड़ने के चक्कर में राज्य सरकार ने लोगों की आवाजाही पर रोक नहीं लगाई और कोरोना को फैलने का खुला निमंत्रण दे दिया.

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वैसे लापरवाही तो ऐसे भी समझी जा सकती है कि राज्य में लंबे टाइम तक सभी फिल्मों और टीवी सीरियल को शूटिंग करने की अनुमति दी गई थी. जिस समय महाराष्ट्र में कोरोना का कोहराम जारी था और लॉकडाउन लगा शूटिंग पर रोक लगा दी गई थी, तब गोवा में तमाम सीरियल और फिल्मों की शूटिंग होती देखी गई. अब जब गोवा में कोरोना बेकाबू हो गया है, तब इन शूटिंग पर रोक लगाई गई है और पूरे राज्य में भी धारा 144 लागू है. लेकिन फैसले में हुई देरी की वजह से भी गोवा में कोरोना से हालात खराब हो गए हैं.

वो पहलू जहां पर गोवा ने किया शानदार काम

वैसे बढ़ते मामलों के बीच एक पहलू ऐसा भी सामने आया है जहां पर गोवा ने दूसरे राज्यों की तुलना में बेहतर काम किया है. देश के सबसे छोटे राज्य में टीकाकरण की काफी प्रभावी रणनीति बनाई गई है. उसका असर ये हुआ है कि राज्य में वैक्सीन की बर्बादी काफी कम हो रही है. इस मामले में गोवा संग केरल ने भी शानदार काम किया है. लेकिन फिर भी बढ़ते संक्रमण को रोकना गोवा के लिए पहली प्राथमिकता है जो अभी बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. 

ज्यादा संक्रमण दर पर रणदीप गुलेरिया ने क्या बताया है?

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AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने स्पष्ट कहा है कि जिस भी इलाके में कोरोना का संक्रमण दर 10 फीसदी से ज्यादा है, तो वहां पर कड़े लॉकडाउन की जरूरत है. उन्होंने पूरे देश में तो लॉकडाउन लगाने की बात नहीं की है, लेकिन लोकल स्तर पर कड़ी पाबंदियों की पैरवी की है. उन्होंने कहा है कि लोगों की ज्यादा संक्रमण वाली जगह से कम संक्रमण वाली जगह पर जाने पर भी रोक लगानी जरूरी है.

अब सवाल उठता है कि जिस गोवा में लंबे समय से पॉजिटिविटी रेट 40 फीसदी से ज्यादा चल रहा है, क्या वहां पर समय रहते लोगों की आवाजाही पर रोक लगाई गई? जवाब है नहीं क्योंकि गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने 29 अप्रैल को लॉकडाउन की घोषणा की थी जब राज्य में कोरोना से स्थिति पहले ही भयावह हो गई थी. उस लॉकडाउन के बाद भी जब कोरोना की चेन नहीं टूटी तो बाद में कुछ दूसरी कड़ी पाबंदियां लगा दी गईं.

अब उन कड़ी पाबंदियों के दौर के बाद गोवा में फिर लॉकडाउन लगा दिया गया है. राज्य में 9 मई से 15 दिनों के लिए सख्त कर्फ्यू रहने वाला है. लोगों की आवाजाही पर तो रोक है ही, इसके अलावा जरूरी दुकानों को भी सिर्फ दोपहर एक बजे तक खुलने की अनुमति रहेगी. लेकिन जो फैसले काफी पहले लिए जाने थे, उनमें लगातार हुई देरी की वजह से अब देश का सबसे छोटा राज्य कोरोना का नया एपीसेंटर बन गया है.
 

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