
यौन शोषण केस में पत्रकार तरुण तेजपाल को बरी किए जाने के खिलाफ गोवा सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका लगाई है. पिछले दिनों ही गोवा की एक निचली अदालत ने पत्रकार तरुण तेजपाल को यौन उत्पीड़न के एक मामले में बरी करते हुए संदेह का लाभ दिया और कहा कि शिकायतकर्ता महिला द्वारा लगाए गए आरोपों का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं है.
नवंबर 2013 के मामले में 21 मई के अदालत के फैसले की आदेश प्रति मंगलवार को उपलब्ध कराई गई. जस्टिस क्षमा जोशी ने अपने विस्तृत लिखित आदेश में कहा है कि सबूतों पर विचार करने पर आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाता है क्योंकि शिकायतकर्ता लड़की द्वारा लगाए गए आरोपों का समर्थन करने वाला कोई सबूत नहीं है.
500 पन्नों के आदेश में अदालत ने पाया है कि जांच अधिकारी या आईओ (अपराध शाखा अधिकारी सुनीता सावंत) ने आठ साल पुराने मामले के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जांच नहीं की. जस्टिस क्षमा जोशी ने कहा कि रेप पीड़िता के साथ ही यौन शोषण केस के झूठे आरोपी को भी समान संकट और अपमान के साथ नुकसान पहुंचा सकता है.
गोवा की निचली अदालत ने जांच में खामियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि निष्पक्ष जांच आरोपी का मौलिक अधिकार है लेकिन जांच अधिकारी ने जांच करते समय चूक की है. कोर्ट ने कहा है कि जांच अधिकारी ने होटल के 7वें ब्लॉक की पहली मंजिल के सीसीटीवी फुटेज के संदर्भ में महत्वपूर्ण सबूत नष्ट कर दिए, जो आरोपी की बेगुनाही का स्पष्ट सबूत था.
कोर्ट ने होटल के अंदर कुछ सीसीटीवी फुटेज से छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया है. निचली अदालत ने कहा, 'आईओ ने स्वीकार किया है कि सीसीटीवी फुटेज और शिकायतकर्ता लड़की के बयान के बीच विरोधाभास है, फिर भी जांच अधिकारी ने पूरक बयान दर्ज नहीं किया.'
गोवा की निचली अदालत के फैसले को गोवा सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी है. गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने कहा कि हमने फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में एक अपील दायर की है, महिला को न्याय मिलने तक यह केस राज्य सरकार लड़ेगी.