
देश में टमाटर की कीमत 120 रुपये किलो तक पहुंच चुकी है. आम जनता की रसोई के साथ-साथ बड़ी कंपनियों के बर्गर से टमाटर गायब होने लगा है. फिलहाल, सरकार पर टमाटर की बढ़ती कीमतों को जल्द कम करने का दबाव है. सरकार ने टमाटर की कीमतों पर एक अनोखा टोमेटो ग्रैंड चैलेंज हैकथॉन आयोजित करने का फैसला लिया है. इस हैकथॉन के तहत सरकार आम जनता से टमाटर की कीमतों को कम करने का सुझाव मांग रही है.
टमाटर की कीमतों पर सरकार ने अलग-अलग वर्ग से मांगे सुझाव
उपभोक्ता मंत्रालय इस हैकथॉन के तहत समाज के अलग-अलग वर्ग से इन्नोवेटिव आइडिया मांग रही है. इन लोगों में छात्र, रिसर्च स्कॉलर, फैकल्टी मेंबर, उद्योग जगत, एमएसएमई प्रोफेशनल लोग, स्टार्टअप क्षेत्रों से जुड़े लोग शामिल हैं. सरकार ने टोमेटो ग्रैंड चैलेंज हैकथॉन को उपभोक्ता मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल के साथ शुरू करने की योजना बनाई है.
दक्षिण और पश्चिम भारत में सबसे ज्यादा टमाटर की पैदावार
टमाटर लगभग देश के हर हिस्से में पाया जाता है. इसकी ज्यादातर पैदावार दक्षिण और पश्चिम भारत में होती है. अगर दोनों क्षेत्रों को मिला दिया जाए तो देशभर के कुल टमाटर उत्पादन का 55 से 58 फीसदी पैदावार यहीं होती है.
टमाटर की कीमतों में क्यों होती है बढ़ोतरी
उपभोक्ता मंत्रालय के मुताबिक, टमाटर की फसल का पीक सीजन दिसंबर से फरवरी के बीच में होता है. जुलाई से लेकर अगस्त और अक्टूबर-नवंबर में टमाटर की पैदावार सबसे कम होती है. सरकार के मुताबिक, जुलाई में मॉनसून आने की स्थिति में टमाटर के वितरण और प्रक्रिया में नुकसान के चलते भी टमाटर की कीमतें बढ़ जाती हैं. टमाटर की कीमतें इस बात पर भी निर्भर करती हैं कि देश में फसल किस मौसम में तैयार हो रही है. मौसम खराब होने के चलते फसलों को होने वाले नुकसान पर भी टमाटर की कीमतें निर्भर करती हैं.
सरकार का क्या है प्लान?
सरकार अब चाहती है कि देश के हर तबके के लोग अपने अनोखे और रचनात्मक सुझाव सामने रखें. इसके चलते टमाटर की पैदावार से लेकर के उसके वितरण प्रणाली में कुछ नया शामिल किया जा सके. इससे न सिर्फ सस्ते रेट पर उपभोक्ताओं को सालभर टमाटर उपलब्ध हो सके बल्कि किसानों को भी उसकी अच्छी कीमत मिल सके.