
तिरुपति मंदिर में लड्डू प्रसादम के घी में जानवरों की चर्बी और फिश ऑयल पाए जाने का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक तरफ केंद्र ने आंध्र प्रदेश सरकार मामले को लेकर रिपोर्ट मांगी है तो वहीं कांग्रेस ने पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है. इस बीच अब इस पूरे मामले पर जगदगुरु रामभद्राचार्य की प्रतिक्रिया भी सामने आई है.
पत्रकारों द्वारा सवाल पूछा गया कि सरकार के नियंत्रण के बाद भी तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलवाट का मामला सामने आया. इस पर रामभद्राचार्य ने कहा कि 1857 में जो स्थिति मंगल पांडेय की थी, वह स्थिति हमारी है. अब हम किसी न किसी परिणाम तक पहुंचेंगे. इसलिए हम कह रहे हैं कि मंदिरों का सरकारी अधिग्रहण नहीं होना चाहिए. सरकार हमारा अधिग्रहण बंद करे. दूसरे मंदिरों के प्रसाद की जांच को लेकर भी हम लोग सोच रहे हैं. इस पर विचार हो रहा है.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि बीते हफ्ते आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि पिछली जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान तिरुपति लड्डू बनाने के लिए जानवरों की चर्बी और अन्य घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था. 20 सितंबर को गुजरात स्थित पशुधन लैबोट्री एनडीडीबी सीएएलएफ लिमिटेड की रिपोर्ट सामने आई. जिसमें तिरुपति मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी और फिस ऑयल की पुष्टि की गई. इस रिपोर्ट की कॉपी को टीडीपी के प्रवक्ता अनम वेंकट रमण रेड्डी ने साझा किया था.
टीडीपी प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर बोलते हुए कहा, "सैंपल की लैब रिपोर्ट पुष्टि करती है कि घी की तैयारी में जानवरों की चर्बी, लार्ड और फिश ऑयल का इस्तेमाल किया गया था. जिसे तिरुमाला को सप्लाई किया गया था, जिसकी एस वैल्यू 19.7 है. विवाद के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू से बात की और पूरे मामले पर रिपोर्ट मांग की थी.
रिपोर्ट में फिश ऑयल, एनिमल टैलो और लार्ड की बात
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन लड्डुओं में जिस घी का इस्तेमाल हो रहा है, वो घी मिलावटी है और इसमें फिश ऑयल, एनिमल टैलो और लार्ड की मात्रा भी हो सकती है. एनिमल टैलो का मतलब पशु में मौजूद फैट से होता है. और इसमें लार्ड भी मिला हुआ था. लार्ड का मतलब जानवरों की चर्बी से होता है और इसी रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि इसी घी में फिश ऑयल की मात्रा भी हो सकती है. हालांकि इस रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि कुछ परिस्थितियों के कारण गाय के घी में जानवरों की चर्बी और उनके फैट के अंश पहुंच सकते हैं और जांच में फॉल्स पॉजिटिव रिजल्ट्स आ सकते हैं.