Advertisement

फेक कास्ट सर्टिफिकेट के 9 साल में सामने आए 1084 केस, 92 हुए बर्खास्त, सबसे ज्यादा मामले रेलवे के फिर डाक विभाग

पिछले 9 सालों में अधिकारियों के फर्जी दस्तावेजों की 1,084 शिकायतें सामने आ चुकी हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के रिकॉर्ड से पता चलता है कि 2019 से लेकर अब तक 92 कर्मचारी सेवा से बर्खास्त हो चुके हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 1:52 PM IST

पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर का फर्जीवाड़े सामने आने के बाद फर्जी दस्तावजों के जरिए सरकारी नौकरी हासिल करने वालों की जांच तेज हो गई है. इस बीच यह जानकारी सामने आ रही है कि पिछले 9 सालों में फर्जी दस्तावेजों की 1,084 शिकायतें सामने आ चुकी हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के रिकॉर्ड से पता चलता है कि 2019 से लेकर अब तक 92 कर्मचारी सेवा से बर्खास्त हो चुके हैं. सरकार के अधीन आने वाले 93 मंत्रालयों और विभागों से मिली जानकारी के मुताबिक इस अवधि में रेलवे में 349, डाक विभाग में 259, शिपिंग मंत्रालय में 202 और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग में 138 शिकायतें आईं. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सूत्रों ने बताया कि इनमें से कई मामले अलग-अलग अदालतों में लंबित हैं.

Advertisement

2010 से डेटा इकट्ठा करने की शुरुआत

रिपोर्ट में बताया गया है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने यह डेटा 2010 में इकट्ठा करना शुरू किया. तत्कालीन BJP लोकसभा सांसद रतिलाल कालिदास वर्मा की अध्यक्षता वाली एससी/एसटी कल्याण संसदीय समिति की सिफारिश के बाद इसकी शुरुआत की गई.

दिया गया था 31 मार्च तक का समय

इस संबंध में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने 28 जनवरी 2010 को मंत्रालयों और विभागों को पहला संदेश जारी किया था. इसमें कहा गया था कि वे अपने प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत आने वाले सभी संगठनों से उन मामलों के बारे में जानकारी एकत्र करें, जहां उम्मीदवारों ने झूठे/फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित रिक्तियों पर नियुक्ति प्राप्त कीं. इसके लिए 31 मार्च 2010 तक की समय-सीमा दी गई थी.

Advertisement

सत्यापन राज्य-केंद्र सरकार का जिम्मा

डीओपीटी समय-समय पर सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को जाति प्रमाण पत्र का समय पर सत्यापन सुनिश्चित करने के निर्देश जारी करता रहता है. डीओपीटी कह चुका है कि जाति प्रमाण पत्र जारी करना और उसका सत्यापन करना संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement