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Google, Facebook को भारत की डिजिटल मीडिया के साथ शेयर करना पड़ सकता है रेवेन्यू, कानून में बदलाव के संकेत

आईटी कानून में संशोधन होने की स्थिति में Google (यूट्यूब के मालिक), मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सएप के मालिक), ट्विटर और अमेजन जैसी वैश्विक कंपनियों को न्यूज पब्लिशर्स को रेवेन्यू के एक हिस्से का भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ जाएगा.

टेक दिग्गजों को जल्द ही अपने प्लेटफॉर्म पर न्यूज पब्लिशर्स का कंटेंट चलाने पर आने वाले राजस्व का एक हिस्सा शेयर करना पड़ सकता है. टेक दिग्गजों को जल्द ही अपने प्लेटफॉर्म पर न्यूज पब्लिशर्स का कंटेंट चलाने पर आने वाले राजस्व का एक हिस्सा शेयर करना पड़ सकता है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 6:53 AM IST
  • केंद्र सरकार IT कानून में बदलाव करने पर विचार कर रही
  • टेक कंपनियों को न्यूज आउटलेट को शेयर करना पड़ेगा रेवेन्यू

डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स के लिए जल्द ही खुशखबरी मिल सकती है. Google और Facebook जैसी टेक दिग्गज कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर न्यूज पब्लिशर्स का कंटेंट चलाने से प्राप्त होने वाला रेवेन्यू (राजस्व) जल्द ही शेयर करना पड़ सकता है. सरकार नियामक हस्तक्षेप पर विचार कर रही है, जिसे लागू करने पर टेक दिग्गजों को प्लेटफॉर्म पर चलने वाले कंटेंट का भुगतान करना पड़ सकता है. 

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डिजिटल न्यूज मीडिया ऐसे प्लेटफॉर्म हैं, जिनके जरिए रीडर्स न्यूज मीडिया वेबसाइट्स के कंटेंट तक आसानी से पहुंचते हैं. आईटी कानून में संशोधन होने की स्थिति में Google (यूट्यूब के मालिक), मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सएप के मालिक), ट्विटर और अमेजन जैसी वैश्विक कंपनियों को ऑरिजनल कंटेंट के लिए भारतीय समाचार पत्रों और डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स को रेवेन्यू के एक हिस्से का भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ जाएगा. इस संबंध में आजतक ने यह जानने की कोशिश की है कि दुनियाभर में इसे लेकर क्या विवाद है और भारत में न्यूज पब्लिशर्स कैसे प्रभावित होते हैं.

इस साल की शुरुआत में कनाडा सरकार ने एक कानून पेश किया, जिसका उद्देश्य डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और Google और Facebook जैसे मध्यस्थ प्लेटफार्मों के बीच रेवेन्यू के बंटवारे में निष्पक्षता लाना है.

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सरकार कानून क्यों ला रही है?

कानून की आवश्यकता इस तथ्य से उपजी है कि Google और Facebook जैसे टेक दिग्गज मीडिया हाउस द्वारा पब्लिश न्यूज कंटेंट से रेवेन्यू हासिल करते हैं, लेकिन ये रेवेन्यू को उचित रूप से शेयर नहीं करते हैं. नए पब्लिशर्स के लिए यह चिंता बढ़ती जा रही है कि डिजिटल न्यूज की मध्यवर्ती संस्थाएं रेवेन्यू को उचित रूप से शेयर नहीं करती हैं और उनके पास पारदर्शी रेवेन्यू मॉडल नहीं हैं, जो स्वयं के प्रति ज्यादा पक्षपाती है.

सरकार संशोधन पर विचार कर रही है..

केंद्र में आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि 'डिजिटल विज्ञापन पर बाजार की ताकत जो वर्तमान में बिग टेक की बड़ी कंपनियों द्वारा प्रयोग की जा रही है. ये भारतीय मीडिया कंपनियों को नुकसान की स्थिति में रखती है. यह एक ऐसा मुद्दा है जिसके नए वैधीकरण और नियमों के संबंध में गंभीरता से जांच की जा रही है.'

इससे पहले दिसंबर 2021 में भारत सरकार की तरफ से कहा गया था कि उसकी फेसबुक और Google जैसी टेक दिग्गजों को न्यूज कंटेंट के लिए स्थानीय पब्लिशर्स को भुगतान करने की कोई योजना नहीं है. हालांकि, डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) की एक शिकायत के बाद भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने इस साल की शुरुआत में Google की डोमिनेंट पॉजिशन के कथित दुरुपयोग की जांच का आदेश दिया था.

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इंडिया टुडे ग्रुप समेत भारत की कुछ सबसे बड़ी मीडिया कंपनियों की एम्ब्रेला बॉडी DNPA ने कहा कि Google ने अपने सदस्यों को उचित विज्ञापन राजस्व देने से इनकार कर दिया है. DNPA ने आरोप लगाया कि समाचार आउटलेट की वेबसाइटों पर कुल ट्रैफिक का 50% से अधिक Google के माध्यम से होता है. हालांकि, Google, अपने एल्गोरिदम के माध्यम से यह निर्धारित करता है कि कौन-सी समाचार वेबसाइट सबसे पहले उसके प्लेटफॉर्मों पर खोजी जाती है.

गूगल और फेसबुक जैसी वैश्विक इंटरनेट दिग्गज अब तक भारत में राजस्व बंटवारे की ऐसी मांगों के प्रति प्रतिबद्ध नहीं रही हैं. हालांकि, उन्हें ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे कुछ देशों में राजस्व शेयर करने के लिए समझौते करने के लिए मजबूर किया गया है.

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