
देश में H3N2 वायरस (इन्फ्लूएंजा वायरस) से सरकार से लेकर आमजन तक में टेंशन बढ़ गई है. हाल में सरकार ने इस वायरस से कर्नाटक और हरियाणा में एक-एक मौत की पुष्टि की है. इसके बाद से केंद्र सरकार एक्शन में आ गई है. हालांकि, सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह सामान्य बीमारी है और हर साल गर्मियों में होती है. यानी इस बीमारी का प्रभाव गर्मियों में देखने को मिलता है. वहीं, फ्लू के टीकों के दामों को किफायती बनाए जाने पर कहा गया है कि अभी इस संबंध में सरकार विचार नहीं कर रही है.
सूत्रों के मुताबिक, हार्ट अटैक और कोरोना पर ICMR की रिसर्च पर सरकार का कहना है कि 6 महीने में हमारे पास इस संबंध में डेटा आ जाएगा. वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, मंत्रियों का समूह ई फार्मेसी सुविधा को बंद करने के पक्ष में है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने डेटा गोपनीयता से संबंधित चिंताओं और डॉक्टर के पर्चे के बिना दवाओं की बिक्री पर भी ध्यान दिया है. इससे पहले सरकार Tata 1 Mg Pharmeasy, NetMeds, Flipkart, Amazon आदि समेत 20 ई-फार्मेसी कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर चुकी है.
निजी अस्पतालों के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय की बैठक
स्वास्थ्य मंत्रालय के अफसरों ने सोमवार को अच्छी सर्विस देने वाले निजी अस्पतालों के साथ बैठक की. उन्हें बताया कि आपका बिजनेस अस्पताल है, छात्रों का नहीं. ऐसे कई अस्पताल हैं जो चैरिटी से चलते हैं. बड़े अस्पताल जो कॉलेज खोलने के इच्छुक नहीं हैं, उन्हें बेहतर कोऑर्डिनेशन और पॉलिसी फ्रेम वर्क का वादा किया गया है.
3 बाधाएं, जिनका करना पड़ता है सामना...
- भूमि मापदंड
- बेड मापदंड
- बहुत ज्यादा नौकरशाही और कागजी काम.
स्वास्थ्य मंत्रालय अब तक मेडिकल कॉलेज खोलने को लेकर भी सत्य साईं बाबा, मां आनंद माई, ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल, मेदांता समेत देश के 60 से ज्यादा नामी अस्पतालों के साथ बैठक कर चुका है. यह मेडिकल छात्रों की सीटों की संख्या में सुधार के लिए भी किया जा रहा है.
पटना के एम्स में वायरस को लेकर तैयारी
वहीं, एच3एन2 वायरस से होने वाले संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने ऐसे मामलों पर निरंतर निगरानी की मांग करते हुए एक विस्तृत स्वास्थ्य एडवाइजरी जारी की है. पटना के एम्स ने इसके लिए 30 बेड रिजर्व किए हैं. पटना एम्स निदेशक गोपाल कृष्ण पी ने कहा कि वायरस से निपटने के लिए तैयार हैं. इसके लिए 30 बेड निर्धारित किए गए हैं. यहां अब तक किसी भी मरीज में इस तरह के लक्षण नहीं पाए गए हैं.
बीमारी को लेकर एहतियात बरतने की जरूरत
बताते चलें कि H3N2 वायरस को लेकर सभी राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है. इसको लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि एच3एन2 से बचाव के लिए निगरानी और एहतियाती उपायों की आवश्यकता है, लेकिन अभी तक घबराहट का कोई कारण नहीं है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा कि H3N2 वायरस अन्य वैरिएंट की तुलना में अधिक अस्पताल में भर्ती होने का कारण बनता है.
देश में पिछले कुछ महीनों में हजारों मामलों की रिपोर्ट किया गया है. देशभर के अस्पतालों के साथ H3N2 इन्फ्लूएंजा का अचानक प्रकोप देखने को मिला. H3N2 वायरस एक तरह का इन्फ्लूएंजा वायरस है जिसे इन्फ्लूएंजा A वायरस कहा जाता है. यह एक श्वसन वायरल संक्रमण है जो हर साल बीमारियों का कारण बनता है.
H3N2 वायरस के क्या हैं लक्षण
एम्स-दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि इन्फ्लूएंजा के मामले बुखार के साथ गले में खराश, खांसी, शरीर में दर्द और नाक बहने के रूप में देखे जाते हैं. लक्षणों में दस्त, उल्टी और सांस फूलना भी शामिल है. ICMR ने कहा कि बुखार तीन दिनों के बाद चला जाता है, लेकिन खांसी तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है. डॉ गुलेरिया ने कहा कि मामलों में वृद्धि हुई है. लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है.
उपचार और रोकथाम क्या है...
ICMR ने एक एडवाइजरी जारी कर लोगों को इस इन्फ्लूएंजा के प्रकोप में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग से बचने के लिए कहा है. आईसीएमआर ने बुखार और बदन दर्द की स्थिति में पैरासिटामोल के इस्तेमाल की सलाह दी है. डॉ. गुलेरिया ने कहा कि वायरस को पकड़ने से रोकने का तरीका भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना, बार-बार हाथ धोना और शारीरिक दूरी बनाना है.