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10 साल में 5200 मनी लॉन्ड्रिंग केस, 40 में सजा, 375 आरोपी जेल में... सरकार ने संसद में बताया डेटा

आंकड़ों से पता चलता है कि इस दौरान राज्य और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कुल 8,719 यूएपीए मामले दर्ज किए गए, जिसमें 567 लोग बरी हो गए और 222 दोषी ठहराए गए.

10 साल में ईडी ने कितने मामलों में लिया एक्शन, सरकार ने बताया. 10 साल में ईडी ने कितने मामलों में लिया एक्शन, सरकार ने बताया.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 9:21 AM IST

केंद्र सरकार की ओर से मंगलवार को संसद में बताया गया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने साल 2014 से अब तक 5,200 से अधिक मनी-लॉन्ड्रिंग मामले दर्ज किए हैं. जिनमें से 40 में दोषसिद्धि हुई और 3 केस में लोग बरी हुए हैं. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी. आंकड़ों के अनुसार, 2014 और 2024 के बीच ईडी द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कुल 5,297 मामले दर्ज किए गए.

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संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, इस दौरान 40 मामलों में सजा हुई. जबकि तीन मामलों में लोगों को बरी किया गया है. मंत्री की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2016 से 2024 के बीच की अवधि के लिए कुल 375 आरोपी धन शोधन रोधी कानून के तहत गिरफ्तार हैं.

UAPA के तहत हुई इतनी गिरफ्तारियां

इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने 2014-22 के बीच आतंकवाद विरोधी कानून के तहत दोषमुक्ति और सजा के अलावा, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामलों का भी डेटा दिया. आंकड़ों से पता चलता है कि इस दौरान राज्य और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कुल 8,719 यूएपीए मामले दर्ज किए गए, जिसमें 567 लोग बरी हो गए और 222 दोषी ठहराए गए.

बता दें कि प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के मुताबिक, पैसों की हेराफेरी या गबन कर कोई संपत्ति या नकदी जुटाई गई तो वो 'आपराधिक आय' होती है और उसे मनी लॉन्ड्रिंग माना जाता है. PMLA के मुताबिक, पैसों की हेराफेरी या गबन कर कोई संपत्ति या नकदी जुटाई गई तो वो 'आपराधिक आय' होती है और उसे मनी लॉन्ड्रिंग माना जाता है.मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में ईडी जब कोई संपत्ति या नकदी जब्त करती है तो अथॉरिटी को उसकी जानकारी देनी होती है.

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यह भी पढ़ें: सोनीपत के कांग्रेस MLA सुरेंद्र पंवार गिरफ्तार, मनी लॉन्ड्रिंग केस में हुआ एक्शन

जब्त नकदी का क्या होता है

कानूनन ईडी को पैसे जब्त करने का अधिकार तो है, लेकिन वो इस बरामद नकदी को अपने पास नहीं रख सकती. प्रोटोकॉल के मुताबिक, जब भी एजेंसी नकदी बरामद करती है तो आरोपी से उसका सोर्स पूछा जाता है. अगर आरोपी सोर्स नहीं बता पाता या ईडी उसके जवाब से संतुष्ट नहीं होती है तो इसे 'बेहिसाब नकदी' या 'गलत तरीके' से कमाई गई रकम माना जाता है. इसके बाद, PMLA के तहत नकदी को जब्त कर लिया जाता है. इसके बाद नोट गिनने के लिए ईडी एसबीआई की टीम को बुलाती है. मशीनों से नोट गिने जाते हैं. फिर ईडी की टीम एसबीआई अधिकारियों की मौजूदगी में सीजर मेमो तैयार किया जाता है. 

कुल कितना कैश बरामद हुआ? किस करंसी के कितने नोट हैं? ये सबकुछ सीजर मेमो में नोट किया जाता है. बाद में गवाहों की मौजूदगी में इसे बक्सों में सील कर दिया जाता है. सील करने और सीजर मेमो तैयार होने के बाद बरामद नकदी को एसबीआई की ब्रांच में जमा कराया जाता है. ये सारी रकम ईडी के पर्सनल डिपॉजिट (PD) अकाउंट में जमा की जाती है.

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