
शुक्रवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वीडन के पीएम स्टीफन लोफवेन वर्चुअल समिट में एक प्लेटफॉर्म पर आए तो क्या इस दौरान दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग का मुद्दा उठा था?
स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन कर तूफान खड़ा कर दिया था. युवा क्लाईमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा ने किसानों का समर्थन करते हुए कहा था कि हम भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शनों के साथ एकजुटता से खड़े हैं.
अब विदेश मंत्रालय ने इस मामले में अपना बयान दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप से पूछा गया था कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन के बीच डिजिटल माध्यम से आयोजित शिखर वार्ता में क्या ग्रेटा थनबर्ग की टिप्पणी का मुद्दा उठा था? विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने इसके जवाब में कहा कि नहीं. यह भारत और स्वीडन के बीच द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है.
बता दें कि पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व प्रदर्शनों को लेकर अपना एजेंडा थोपने का प्रयास कर रहे हैं, और किसानों के एक छोटे से समूह को कृषि कानूनों पर आपत्ति है जबकि इन कानूनों को पूरी चर्चा के बाद संसद ने पारित किया है.
गौरतलब है कि ग्रेटा थनबर्ग ने सिर्फ किसान आंदोलनों के समर्थन में ट्वीट किया गया, बल्कि उन्होंने इसमें प्रदर्शन कर रहे लोगों की मदद करने वालों के लिये एक टूलकिट साझा किया था. इस टूल किट में कथित तौर पर लोगों को सरकार के खिलाफ भड़काने की कोशिश की गई थी. इस दौरान बीजेपी ने ग्रेटा थनबर्ग का कड़ा विरोध किया था. दिल्ली एनसीआर की सीमा पर कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले 100 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं.