
अमेरिका के विशेष दूत जॉन केरी का कहना है कि स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हुए संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में, अमेरिकी जलवायु वार्ताकारों की अपने रूसी और चीनी समकक्षों के साथ सार्थक बातचीत हुई.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जलवायु परिवर्तन पर ग्लासगो में आयोजित 'वर्ल्ड लीडर समिट ऑफ कोप-26' (COP26) वार्ता में मौजूद नहीं थे, जिसपर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने निराशा जताई थी और इसे चीनी राष्ट्रपति की बड़ी गलती बताया था.
अब अमेरिका के विशेष दूत जॉन केरी का कहना है कि ने कहा कि शिखर सम्मेलन में अमेरिका ने रूसी अधिकारियों के साथ मीथेन गैस से हो रहे प्रदूषण को कम करने पर बातचीत की. मीथेन, एक बेहद हानिकारक गैस है जो जलवायु को नुकसान पहुंचाती है. साथ ही, इस बारे में भी चर्चा की कि हम एकजुट होकर मीथेन से कैसे निपट सकते हैं.
बता दें कि पिछले सप्ताह बिडेन ने ग्लासगो में आयोजित 'वर्ल्ड लीडर समिट ऑफ कोप-26'(COP26) शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शामिल नहीं होने पर निराशा जताई थी. उन्होंने कहा था, 'चीनी राष्ट्रपति के लिए COP26 में शामिल नहीं होना एक बड़ी गलती है. बाकी दुनिया चीन की तरफ देख रही है और पूछ रही है कि वे क्या योगदान दे रहे हैं. उन्होंने दुनिया और COP में मौजूद लोगों का भरोसा खोया है.' कार्बन उत्सर्जन के मामले में चीन दुनिया का सबसे बड़ा वर्तमान उत्सर्जक है, अमेरिका दूसरा और रूस टॉप 5 देशों में से एक है.
'संयुक्त राष्ट्र की जलवायु वार्ता विफल'- ग्रेटा थनबर्ग
उधर जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने ग्लासगो में आयोजित की गई संयुक्त राष्ट्र की जलवायु वार्ता को विफल करार दिया है. ग्रेटा थनबर्ग ने विश्व नेताओं पर नियमों में जानबूझ कर खामियां छोड़ने का आरोप लगाया. शिखर सम्मेलन स्थल के बाहर एक रैली में थनबर्ग ने गैर-बाध्यकारी संकल्पों के बजाय प्रदूषण करने वालों पर नकेल कसने के लिए सख्त नियमों का आह्वान किया.
उन्होंने कहा कि- "विश्व के नेता साफ तौर पर सच्चाई से डरते हैं, वे कितनी भी कोशिश कर लें, वे इससे बच नहीं सकते हैं. वे वैज्ञानिक सहमति को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते, और सबसे बढ़कर वे हमें अनदेखा नहीं कर सकते, लोगों को अनदेखा नहीं कर सकते, जिनमें उनके अपने बच्चे भी शामिल हैं."