
लद्दाख में चीनी सेना के साथ तनाव के बीच भारतीय सेना लद्दाख से लेकर हिमाचल, उत्तराखंड और अरुणाचल तक मुस्तैद है. उत्तराखंड में भारतीय सेना के जवान चमोली में चीन से लगने वाली सरहद पर ऊंचे बर्फीले पहाड़ों में तैनात हैं. शून्य से 10 डिग्री नीचे के तापमान में सेना के जवान हर तरह के हालात से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. हम आपको जवानों की पेट्रोलिंग और खास माउंटेन वारफेयर ट्रेनिंग से रूबरू करवाएंगे. चमोली सरहद से पढ़ें Exclusive रिपोर्ट.
उत्तराखंड में चीन से लगने वाली सरहद पर सेना के जवान दिन रात सरहद की निगरानी कर रहे हैं. चमोली सरहद की फॉरवर्ड पोस्ट पर भारतीय सेना की तैनाती है. कई फॉरवर्ड पोस्ट तक पहुंचने के लिए 6 से 8 किलोमीटर पैदल जाना होता है. हालांकि पिछले सालों से इन इलाकों में सामरिक रोड बनाने का काम तेज हुआ है.
ड्रैगन की हरकत पर नजर रख रहे जवान
जवान 10 से 14 हजार फीट ऊंचे ग्लेशियर में पेट्रोलिंग करके ड्रैगन की हर हरकत पर नजर रखते हैं. 10 जवानों की टुकड़ी हथियारों और जरूरी साजोसामान से लैस होकर ऊंची बर्फीली चट्टानों को पार करते हुए आगे बढ़ती है. फरवरी महीने में भी पूरा इलाका बर्फ से ढका है. तापमान माईनस 5 से 10 तक रहता है. चीन सरहद पर तैनात जवान दिन-रात सरहद की सुरक्षा में लगे हुए हैं.
उत्तराखंड के चमोली जिले में चीन से लगने वाली सरहद पर भारतीय सेना माउंटेन वॉरफेयर की खास ट्रेनिंग करते हैं. इस खास ट्रेनिंग के लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत होना बहुत जरूरी है. इतना ही नहीं यहां जवान स्कीईंग के जरिए पेट्रोलिंग करते हैं. स्की के खास उपकरण से लैस जवान अपने हथियार और 20 किलो के साजोसामान के साथ स्कीइंग करते हैं.
ऊंचे बर्फीले पहाड़ों में अगर दुश्मन के खिलाफ हेलिकॉप्टर के जरिए कोई ऑपरेशन करना हो तो उसके लिए भी सेना के जवान इन ऊंचे बर्फीले पहाड़ों में खास तैयारी करते हैं. सिलिद्रिंग यानि रस्सी के सहारे हेलिकॉप्टर से उतर कर दुश्मन के खिलाफ कार्यवाही को अंजाम दिया जाता है. जानलेवा ठंड और साँस लेने में तकलीफ़ के बावजूद सेना के जांबाज लगातार सिलिद्रिंग की ट्रेनिंग में जुटे हैं. लद्दाख में गलवान की खूनी भिड़ंत के बाद से भारतीय सेना युद्ध के हर मोर्चे पर चीन से मुकाबले की तैयारी में जुटी है.