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Guillain-Barre Syndrome से पुणे में दूसरी मौत, अब तक 127 केस, 200 ब्लड सैंपल NIV पुणे भेजे गए

गुलेन बैरी सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है, जो शरीर में अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी का कारण बनती है. इसमें अंगों में गंभीर कमजोरी, दस्त आदि शामिल हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण आमतौर पर जीबीएस का कारण बनते हैं क्योंकि वे रोगियों की इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं. 

पुणे में गुलेन बैरी सिंड्रोम के मरीजों की संख्या बढ़ रही है (AI जेनरेटेड तस्वीर) पुणे में गुलेन बैरी सिंड्रोम के मरीजों की संख्या बढ़ रही है (AI जेनरेटेड तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:55 AM IST

महाराष्ट्र में गुलेन बैरी सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome) से एक और शख्स की मौत हो गई है. इसके साथ ही इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर दो हो गई है जबकि 16 नए मामले सामने आए हैं. 

इस सिंड्रोम के अब तक 127 मामले सामने आ चुके हैं. इससे लगातार बढ़ रही संख्या को लेकर 200 ब्लड सैंपल एनआईवी पुणे भेजे गए हैं. इससे पहले गुलेन बैरी सिंड्रोम से पुणे शहर में पहली मौत का मामला सामने आया था. राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इस संक्रमण में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) का गठन किया था. 

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गुलेन बैरी सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है, जो शरीर में अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी का कारण बनती है. इसमें अंगों में गंभीर कमजोरी, दस्त आदि शामिल हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण आमतौर पर जीबीएस का कारण बनते हैं क्योंकि वे रोगियों की इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं. 

डॉक्टर बताते हैं कि जीबीएस बच्चों और युवाओं में पाया जाता है. लेकिन इससे महामारी होने का खतरा नहीं है. अधिकांश मरीज इलाज से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं. इस बीमारी में मृत्यु दर बहुत कम है इसलिए लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है.

यह भी पढ़ें: 1 मौत, 16 वेंटिलेटर पर...पुणे में फैल रही वो बीमारी जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट की जान गई थी

क्या है गुलेन बैरी सिंड्रोम 

यह एक ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. इस बीमारी में हमारा इम्यून सिस्टम अपनी ही नर्व्स पर अटैक करता है. इसके कारण लोगों को उठने-बैठने और चलने तक में समस्या होती है. यहां तक की लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. लकवा की समस्या भी इस बीमारी का लक्षण है.

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दरअसल, हमारा नर्वस सिस्टम दो हिस्सों में होता है. पहला हिस्सा सेंट्रल नर्वस सिस्टम कहलाता है, जिसमें रीढ़ की हड्डी और ब्रेन वाला पार्ट होता है, जबकि दूसरे हिस्से में पेरिफेरल नर्वस सिस्टम आता है, जिसमें पूरे शरीर की अन्य सभी नर्व्स होती हैं. गुलेन बैरी सिंड्रोम में इम्यून सिस्टम नर्वस सिस्टम के दूसरे हिस्से यानी पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर ही हमला करता है.

क्या है इसका लक्षण 

गुलेन बैरी सिंड्रोम की शुरुआत आमतौर पर हाथों और पैरों में झुनझुनी और कमजोरी से होती है. ये लक्षण तेजी से फैल सकते हैं और लकवे में बदल सकते हैं. इसके शुरुआती लक्षण ये हो सकते हैं...

-हाथों, पैरों, टखनों या कलाई में झुनझुनी. 
-पैरों में कमजोरी. 
-चलने में कमजोरी, सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत.
- बोलने, चबाने या खाना निगलने में दिक्कत. 
- आंखों की डबल विजन या आंखों को हिलाने में दिक्कत. 
- तेज दर्द, खासतौर पर मांसपेशियों में तेज दर्द. - 
-पेशाब और मल त्याग में समस्या.  
-सांस लेने में कठिनाई.

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