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तीन मज़बूत स्तंभों पर टिका है गुजरात में नरेंद्र मोदी का क़द: दिन भर पॉडकास्ट, 8 दिसंबर

कांग्रेस ने क्या गुजरात में BJP को वॉकओवर दे दिया, हिमाचल प्रदेश में क्या बाग़ियों ने बिगाड़ा BJP का खेल, क्यों अब भी मुलायम का गढ़ ज्यों का त्यों और AAP के लिए इस चुनाव से कुछ सबक, सुनिए 'दिन भर' में

तीन मज़बूत स्तंभों पर टिका है गुजरात में नरेंद्र मोदी का क़द: दिन भर पॉडकास्ट, 8 दिसंबर तीन मज़बूत स्तंभों पर टिका है गुजरात में नरेंद्र मोदी का क़द: दिन भर पॉडकास्ट, 8 दिसंबर
कुलदीप मिश्र/शुभम तिवारी
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  • 08 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:58 PM IST

विधानसभा चुनाव: किसको क्या मिला?

भारतीय जनता पार्टी 182 सीटों वाली विधानसभा में से 156 सीटों पर जीतती नज़र आ रही है. चार बार सूबे के मुख्यमंत्री रहे माधव सिंह सोलंकी का वो रिकॉर्ड आज टूट गया, जब 1985 में KHAM समीकरण (यानी क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुसलमान की अम्बरेला) के बूते उन्होंने कांग्रेस को अभूतपूर्व 149 सीटें दिलवाईं थीं. 2002 के गुजरात दंगों के बाद भी बीजेपी को इतना मत प्रतिशत और सीटें नहीं मिली थीं. सवाल है कि कांग्रेस ने क्या वॉकओवर दे दिया या चुनाव से पहले बीजेपी के जो कोर्स करेक्शंस थे, उसने एंटी इनकंबेंसी को एक बार फिर मिथ साबित कर दिया? प्रधानमंत्री की जो छवि वहां है, वो क्यों पिलर हैं? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

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हिमाचल में BJP की हार के तीन कारण

कल एमसीडी और आज गुजरात चुनाव में कांग्रेस को शर्मनाक हार मिली. हालांकि, गुजरात ने जो कोड़े कांग्रेस पर बरसाए हैं, उस पर हिमाचल प्रदेश की जनता ने मरहम लगाया है. 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस 40 सीटें जीतती दिख रही है और उसने बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया है. कुछ ही राज्य हैं भारत में, जहां हर बार देश की दो प्रमुख पार्टियों के बीच सत्ता बदलती रहती है. इस फेनोमेना का कुछ जानकार भारतीय राजनीति का पराठा सिद्धांत भी कहते हैं, इस बार इस तरफ पलटा है तो अगली बार पराठा उस तरफ पलटा जाएगा. हिमाचल प्रदेश में पराठा पलटते हुए कांग्रेस के कार्यकर्ता बहुत उत्साहित हैं. एक तरफ कांग्रेस सरकार बनाने की तैयारी में लग गई है और बीजेपी के आउटगोइंग सीएम जयराम ठाकुर ने हार स्वीकार कर ली. तो बीजेपी की हार क्यों हुई? हिमाचल में पराठे की तरह एक बार इधर तो एक बार उधर, सत्ता पलटती क्यों रहती है? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

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चाचा-भतीजा यूँ ही साथ हों तो!

गुजरात-हिमाचल में कौन जीता, कौन हारा, इसकी चर्चा से थोड़ा आगे. देश के 5 राज्यों की 6 विधानसभा और एक लोकसभा सीट के भी आज नतीजे आए. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी की लोकसभा सीट पौने तीन लाख के मार्जिन से बचाए रखी, लेकिन आज़म ख़ान का गढ़ रामपुर गंवा दिया. रामपुर सदर विधानसभा सीट पर बीजेपी ने बड़ा उलटफेर करते हुए सपा को हरा दिया, 71 साल बाद यहां से बीजेपी जीती है. हालांकि खतौली विधानसभा सीट बीजेपी नहीं बचा पाई और वहां RLD उम्मीदवार की जीत हुई. क्या ये चुनाव परिणाम एक्सपेक्टेड लाइन्स पर थे या फिर कुछ आश्चर्य भी रहा है? शिवपाल यादव आज सपा में शामिल हो गएं, ऐसा नहीं लगता बहुत देर कर दी साथ आते-आते और हां, आगे ये साथ बरकरार रहेगी? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

AAP:मंज़िल अब भी दूर?


हर चुनाव कई भविष्य के इशारे छोड़ जाता है. नरेंद्र मोदी गुजरात की जनता के लिए क्या हैं, ये फिर साबित हुआ. कांग्रेस के पास नैरेटिव का अभाव तो था ही, प्रयासों का अभाव भी लगा. और महज़ दस साल पुरानी आम आदमी ने एक और प्रदेश में अपनी मौजूदगी बनाई. इन चुनावों के जो तीन बड़े स्टेकहोल्डर्स थे, भाजपा, कांग्रेस और आप, इनके वर्तमान और भविष्य को लेकर क्या समझ में आता है और जश्न और उदासियों के बीच के सबक क्या है? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

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