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'अडानी ग्रुप की ओर से कोई दबाव नहीं था', राहुल गांधी के आरोप को GVK ग्रुप ने नकारा

संजय रेड्डी ने मंगलवार को एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि मुंबई एयरपोर्ट को बेचने के लिए अडानी समूह या किसी और का बिल्कुल भी दबाव नहीं था. अडानी ग्रुप ने जुलाई 2021 में GVK समूह से मुंबई एयरपोर्ट का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया था.

फाइल फोटो फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:35 AM IST

जीवीके ग्रुप के वाइस चेयरमैन संजय रेड्डी ने मंगलवार को कहा कि मुंबई एयरपोर्ट को बेचने के लिए अडानी ग्रुप या किसी और की ओर से कोई दबाव नहीं था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को लोकसभा में आरोप लगाया था कि मुंबई हवाई अड्डे को सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों का उपयोग करके जीवीके से छीन लिया गया और भारत सरकार द्वारा अडानी को दे दिया गया. 

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अडानी ग्रुप ने जुलाई 2021 में GVK समूह से मुंबई एयरपोर्ट का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया था. संजय रेड्डी ने मंगलवार को टीवी चैनल एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "मुंबई एयरपोर्ट को बेचने के लिए अडानी समूह या किसी और का बिल्कुल भी दबाव नहीं था." 

एयरपोर्ट को बेचने की परिस्थितियों के बारे में बताते हुए रेड्डी ने कहा कि जीवीके ग्रुप एयरपोर्ट के कारोबार के लिए धन जुटाना चाहता है. रेड्डी ने कहा कि उस समय, गौतम अडानी ने उनसे संपर्क किया और कहा कि उनकी एयरपोर्ट में बहुत रुचि है और क्या GVK समूह उनके साथ लेन-देन करने को तैयार है. 

रेड्डी ने अडानी ग्रुप को लेकर दी जानकारी

रेड्डी ने बताया, "उन्होंने (अडानी) आश्वासन दिया कि हम पूरे लेनदेन को एक महीने में पूरा कर लेंगे, जो हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण था. इसलिए उस दृष्टिकोण से हमने जो कुछ भी किया वह कंपनी और ऋणदाताओं के हित में था, जिन्हें हमें चुकाना था. हालांकि हमें अडानी के साथ लेन-देन बंद करना पड़ा. 

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राहुल गांधी ने सरकार पर लगाए आरोप 

मंगलवार को लोकसभा में अडानी-हिंडनबर्ग मुद्दे पर राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार ने अडानी के पक्ष में नियमों को तोड़ा और कहा कि बिना किसी पूर्व अनुभव के उन्हें एयरपोर्ट के प्रबंधन का काम दिया. 

कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया, "सरकार द्वारा इस नियम को बदल दिया गया और अडानी को छह हवाई अड्डे दिए गए. उसके बाद भारत के सबसे रणनीतिक, लाभदायक मुंबई एयरपोर्ट को सीबीआई, ईडी जैसी एजेंसियों का उपयोग करके जीवीके ग्रुप से छीन लिया गया और भारत सरकार द्वारा अडानी को दे दिया गया." 

 

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