
उत्तर प्रदेश में जारी ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम संगठनों में मतभेद दिखने लगा है. जमीयत उलेमा ए हिन्द ( महमूद मदनी ग्रुप) ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है. जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने प्रेस नोट जारी कर साफ कर दिया है कि ऐसे मामलों को लेकर सार्वजनिक प्रदर्शन करने से बचना होगा.
प्रेस नोट में लिखा है कि ज्ञानवापी मस्जिद जैसे मुद्दे को सड़क पर न लाया जाए और सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचा जाए. उसी नोट में ये भी कहा गया है कि इस मामले में मस्जिद इंतेजामिया कमेटी एक पक्षकार के रूप में विभिन्न अदालतों में मुकदमा लड़ रही है. उनसे उम्मीद है कि वे इस मामले को अंत तक मजबूती से लड़ेंगे. देश के अन्य संगठनों से अपील है कि वे इसमें सीधे हस्तक्षेप न करें. जो भी सहायता करनी है, वह अप्रत्यक्ष रूप से इंतेजामिया कमेटी की की जाए.
उलेमा, वक्ताओं और गणमान्य व्यक्तियों और टीवी पर बहस करने वालों से अपील है कि वह टीवी डिबेट और बहस में भाग लेने से परहेज करें. यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए सार्वजनिक डिबेट में भड़काऊ बहस और सोशल मीडिया पर भाषणबाजी किसी भी तरह से देश और मुसलमानों के हित में नहीं है.
अब जानकारी के लिए बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर मंगलवार को मौलाना राबे हसन नदवी के नेतृत्व में आपातकालीन बैठक की थी. उस बैठक में बोर्ड से जुड़े देशभर के 45 सदस्य शामिल हुए थे, जिसमें तय हुआ कि बाबरी मस्जिद की तरह देश की दूसरी मस्जिदों को हाथ से नहीं जाने देंगे, वो चाहे काशी की ज्ञानवापी मस्जिद हो या फिर मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने अपनी बैठक में इस बात पर भी सहमति जताई कि वे सीधे तौर पर इन मामलों के साथ नहीं जुड़ने वाले हैं. वे ऐसे किसी भी मामले में पक्षकार नहीं बनने वाले हैं. लेकिन उनकी तरफ से मुस्लिम वकीलों की हर संभव मदद की जाएगी. इसके अलावा बोर्ड 1991 के पूजा स्थल अधिनियम को प्रोटेक्ट करने के लिए भी रणनीति बना रहा है. बोर्ड के सदस्यों का एक प्रतिनिधि मंडल जल्द ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर 1991 के पूजा स्थल अधिनियम को प्रोटेक्ट करने की गुहार लगाएगा.
वैसे इस मामले की कानूनी कार्यवाही की बात करें तो कल यानी की गुरुवार को वारणसी कोर्ट में एक अहम सुनवाई होने जा रही है. वहीं शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट भी एक याचिका पर अपनी सुनवाई जारी रखने वाला है. पिछले आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग वाले इलाके को सुरक्षित करने की बात कही थी. ये भी स्पष्ट कर दिया गया था कि नमाज को नहीं रोका जाएगा.