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अयोध्या विवाद की राह पर बढ़ रहा है ज्ञानवापी केस?

ज्ञानवापी मामले में आज क्या हुआ और आगे क्या होगा, महाराष्ट्र में बिना नेता प्रतिपक्ष के क्यों चल रहा मानसून सत्र, बिहार मंत्रीमंडल विस्तार में किसे क्या मिलेगा और बैड लोन के जाल में फंसती जा रही है भारतीय बैंक? सुनिए दिन भर में

DIN BHAR DIN BHAR
चेतना काला
  • ,
  • 24 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 8:00 PM IST

उत्तर प्रदेश के अयोध्या का मामला तो कोर्ट में जैसे तैसे सुलझ गया लेकिन वाराणसी का खुल गया. काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब ज्ञानवापी मस्जिद केस की बात हो रही है. अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी सिविल जज के सामने याचिका दायर की। याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोज पूजा और दर्शन की अनुमति मांगी. याचिका के बाद के मसला बड़ा हो गया। अलग - अलग कानूनी कार्यवाहियों से गुजरने लगा। आज सुबह ASI यानी ARCHAEOLOGICAL SURVEY OF INDIA की टीम अपने 30 मेम्बर्स के साथ ज्ञानवापी मस्जिद में एक सर्वे करने पहुंची। ये एक तरह का scientific सर्वे है जिससे पता लगता कि जिस जगह मस्जिद बनी है क्या उस जगह पहले कोई मंदिर था या नहीं . सुबह लगभग 7 बजे ये सर्वे शुरू हुआ। ज्ञानवापी में सर्वे शुरू होने के बाद मस्जिद कमेटी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। कोर्ट ने सर्वे पर तुरंत रोक लगा दी। दोपहर 2 बजे इलाहबाद हाई कोर्ट इस मामले पर सुनवाई के लिए बैठी। अब ये जानने के लिए कि ASI ने अपने सर्वे में क्या किया? सुबह से शुरु हुए इस घमासान में इलाहाबाद हाईकोट ने क्या कहा,  सुनिए ‘दिन भर’ में. 

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बस कि दुश्वार है हर काम का आसां होना, चिचा ग़ालिब ने चाहे जिस संदर्भ में ये बात कही हो, फ़िलहाल महाराष्ट्र की राजनीति के लिए मौजू है. महाराष्ट्र में कांग्रेस के लिए कोई भी काम आसान नहीं रहा. पार्टी सत्ता में थी.. विपक्ष में चली गई. वक़्त का पहिया कुछ ऐसे घूमा कि वो राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बन तो गई लेकिन विपक्षी नेता की कुर्सी हाथ नहीं आ रही. कायदे से विपक्ष के नेता की कुर्सी पर कांग्रेस का पहला हक़ बनता है. पहले अजीत पवार विपक्ष के नेता हुआ करते थे, लेकिन अब वो राज्य के उपमुख्यमंत्री हो चुके हैं.सदन में विधायकों की कुल संख्या 288 है उसमें से 45 कांग्रेस के पास हैं. 17 जुलाई से जारी महाराष्ट्र विधानसभा के मॉनसून सेशन में कोई नेता विपक्ष नहीं है. ऐसी बातें हो रही हैं कि स्टेट युनिट और सेंटर युनिट के बीच इस बात पर मतभेद है कि पार्टी नेता विपक्ष की कुर्सी पर दावा करे या न करे, तो इस रस्साकशी की कहानी,  सुनिए ‘दिन भर’ में. 

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अब चलते हैं देश के उत्तर पूर्वी राज्य बिहार की तरफ. पिछले साल राज्य में विधान सभा चुनाव हुए. नीतीश कुमार की सरकार बनी. इस सरकार में उनके हिस्सेदार लालू प्रसाद की राष्ट्रीय जनता दल और इंडियन नेशनल कांग्रेस थी। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सिस्ट और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी इस सरकार और गठबंधन का हिस्सा बने। 
साल बदला और 2023 लेकर आया लोकसभा चुनाव की चुनौती। इस साल देश भर के सभी राजनीतिक दल तैयारी कर रहे हैं 2024 असेंबली इलेक्शंस की। बिहार से भी इन तैयारियों की कुछ खबरें आई। सुगबुगाहट है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जल्द अपने कैबिनेट मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते है। पिछले दिनों सीएम नीतीश कुमार ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और राज्य के उप - मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी। बीते शनिवार को भी बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान लालू से मिलने उनके घर पहुंचे थे। 243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में 15 प्रतिशत यानी मुख्यमंत्री समेत कुल 36 लोग ही मंत्री पद ग्रहण कर सकते हैं। ऐसे में ये समझने के लिए जेडीयू के साथ गठबंधन में जुड़ी पार्टियों, कांग्रेस या आरजेडी की क्या मांगे है?  सुनिए ‘दिन भर’ में. 

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पिछले पांच सालों में भारतीय बैंकों ने कुल 10 लाख करोड़ रूपए के कर्ज को अपने खाते से हटाया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने एक आरटीआई के जवाब में बताया कि पिछले वित्त वर्ष में 2 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज बैंकों ने अपने खाते से राइट ऑफ कर दिया है। दो वित्त वर्षों की तुलना में ये सबसे ज्यादा है। बैंक की भाषा में ये कर्ज़ bad loan कहे जाते है । ये ऐसे कर्ज होते है, जिन्हें कर्जदार या तो किसी कारणवश या जानबूझकर से बैंकों को नहीं लौटाता।  ऐसे कर्ज लेने वालों को willful defaulter कहते हैं, भारत में 2018 के बाद से इनकी संख्या बढ़ी है. आरबीआई के ताज़ा आंकड़ों से समझ आता है कि बैंक कर्ज वसूली के बजाय अपनी balance sheet साफ करने में लगे हैं। Loan write off के माध्यम से बैंकों का Gross Non performing asset कम किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2012-13 से अभी तक बैंकों ने 15 लाख करोड़ का लोन अपनी  बैलेंस शीट से हटाया है। हालांकि एक लोन रिकवरी प्रॉसेस भी बैकग्राउंड में चलता है। लेकिन इससे कितना पैसा वापस आ पाता है ये ज़रूरी सवाल है, रिकॉर्ड ये भी बताता है कि पिछले पांच वर्षों में केवल 18 प्रतिशत  write off loan recover किए जा सकें है। इस खबर को विस्तार से सुनिए ‘दिन भर’ में.

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