
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष ने वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था. उसके बाद अदालत के आदेश पर उस स्थान को सील कर दिया गया. मुस्लिम पक्ष शुरू से ही शिवलिंग बताए जा रही आकृति को फव्वारा करार दे रहा है. इस मामले में हिंदू पक्ष के वकीलों की ओर से चार बड़ी दलील भी दी जा रही हैं. सबसे पहली यह कि अगर यह शिवलिंग नहीं है तो नंदी का मुंह मस्जिद की तरफ क्यों है?
दरअसल, काशी विश्ननाथ मंदिर में विराजे नंदी का मुंह मस्जिद की तरफ है. मंदिर-मस्जिद के बीच लोहे की ग्रिल लगी हुई है. दावा है कि उस पत्थर से नंदी की दूरी 83 फीट है. इसीलिए हिंदू पक्ष का कहना है कि वजूखाने में शिवलिंग ही है, वहीं हिंदू पक्ष के वकीलाें का कहना है कि अगर यह शिवलिंग नहीं है, तो नंदी का मुंह मस्जिद की ओर क्यों है?
ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन का कहना है कि वजूखाने में मिली आकृति शिवलिंग ही है और नंदी से उसकी दूरी ठीक 83 फीट है. अगर किसी को उसे फव्वरा मानना है तो मान सकता है, लेकिन हम उसे शिवलिंग की मानते हैं.
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दूसरी दलील: फव्वारे का आकार शिवलिंग जैसा क्यों है?
जब वकील विष्णु जैन से पूछा गया कि आप पुख्ता तौर पर शिवलिंग होने का दावा कैसे कर सकते हैं? जवाब में उन्होंने कहा कि फव्वारे और शिवलिंग के आकार में बहुत फर्क होता है. फव्वरा पानी के ऊपर होता है और वजूखाने में नीचे है.
तीसरी दलील: अगर यह फव्वारा है तो चल क्यों नहीं रहा?
जैन ने कहा, अगर वह फव्वारा है तो उसके नीचे पानी की आपूर्ति की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए. जहां शिवलिंग मिला है उसके नीचे तहखाने की जांच की जाए और शिवलिंग के आकार को नापने की भी इजाजत दी जाए.
इस बीच, ज्ञानवापी मस्जिद की रखरखावकर्ता संस्था ‘अंजुमन इंतजामिया मसाजिद’ के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा, अगर हमें इजाजत दी जाए तो हम उस फव्वारे के नीचे पाइप लगाकर पानी निकालने को भी तैयार हैं. हौज (जलकुंड) में पहले सरकारी पाइप से पानी भरा जाता था, अब कुएं से जेट पंप लगाकर पानी भरा जाता है. फव्वारे का पाइप अलग है. फव्वारे के पास भी पाइप लगा है ताकि पानी का फव्वारा निकले. उन्होंने बताया कि सर्वे वाले दिन उन निशानों में से एक में एक सलाई डाली गई थी जो लगभग 64 सेंटीमीटर अंदर चली गई थी. यानी कि वह छेद है जिसमें से पानी निकलता था.
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इस दावे पर मुस्लिम पक्ष के वकील रईस अहमद अंसारी ने कहा कि इस संबंध में हम नहीं बता सकते कि नंदी को कब और क्यों स्थापित किया गया? हमारी जानकारी के मुताबिक, मंदिर परिसर में बारादरी को बहुत बाद में बनाया गया था, जहां नंदी स्थापित हैं. मौजूदा वक्त में उस बारादरी को तोड़कर अब कॉरिडोर बना दिया गया है.
वकील अंसारी का भी दावा है कि वजूखाने में शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है. क्योंकि किसी उस आकृति के बीचों बीच एक सुराख यानी छेद है. और किसी शिवलिंग में सुराख नहीं होता है. साथ ही उसके ऊपर पांच खांचे बने हुए हैं, जिससे प्रतीत होता है कि उस पर कोई चीज रखकर कसा गया होगा और वह टूट गया होगा. वहीं, बीच में जो सुराख है, वो पानी निकलने का पाइप है.
चौथी दलील: फिर सर्वे का विरोध क्यों?
इस मामले में महिला याचिकाकर्ताओं के वकील सुभाष रंजन चतुर्वेदी का कहना है कि हमने आजतक शिवलिंग के आकार का फव्वारा नहीं देखा गया है और फव्वारा हमेशा पानी के बाहर होता है, न कि अंदर. हिंदू पक्ष ने यह भी पूछा है कि अगर ज्ञानवापी में शिवलिंग नहीं था तो मुस्लिम पक्ष वर्षों से सर्वे का विरोध क्यों कर रहा था?