Advertisement

हजारों मंदिर तोड़े गए, अब बात करने का फायदा नहीं, इतिहास फिर नहीं लिख सकते- सद्गुरु

मंदिर-मस्जिद को लेकर जारी विवाद पर सद्गुरु की तरफ से बड़ा बयान आया है. आजतक से बात करते हुए उन्होंने कहा है कि पहले हजारों मंदिर तोड़े गए हैं. लेकिन अब उस बारे में बात नहीं करनी चाहिए.

सद्गुरु ने की आजतक से खास बातचीत सद्गुरु ने की आजतक से खास बातचीत
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2022,
  • अपडेटेड 1:37 AM IST
  • 'हर विवाद को हिंदू-मुस्लिम के चश्मे से ना देखें'
  • 'परेशानी से ज्यादा समाधान पर जोर देने की जरूरत'

देश में कई जगहों पर मंदिर बनाम मस्जिद की लड़ाई तेज हो गई है. यूपी का ज्ञानवापी मामला तो कोर्ट तक पहुंच चुका है. अब इन तमाम विवादों के बीच आजतक ने आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव उर्फ सद्गुरु से खास बातचीत की है. उनकी तरफ से इन मुद्दों पर विस्तार से अपने विचार रखे गए.

सद्गुरु ने जोर देकर कहा कि हजारों मंदिर तोड़े गए थे. लेकिन तब उन्हें नहीं बचाया जा सका. अब उस बारे में बात करने का कोई फायदा नहीं क्योंकि इतिहास को कभी फिर नहीं लिखा जा सकता. वे कहते हैं कि दोनों समुदाय को साथ बैठकर फैसला लेना चाहिए कि किन दो तीन जगहों को लेकर विवाद है, फिर सभी का एक साथ एक बार में ही समाधान निकाल लेना चाहिए. एक बार में सिर्फ एक विवाद पर मंथन कर विवाद को बढ़ाने का कोई फायदा नहीं है. कुछ लेना कुछ देना जरूरी रहता है. इसी तरीके से कोई देश आगे बढ़ सकता है. हर विवाद को सिर्फ हिंदू-मुस्लिम के चश्मे से देखने की जरूरत नहीं है.

Advertisement

वे ये भी मानते हैं कि इस समय भारत एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर खड़ा हुआ है. अगर सही समय पर सही फैसले लिए गए, तो भारत दुनिया की एक बड़ी ताकत बन जाएगा. लेकिन इसके लिए हर मुद्दे को विवाद बनाने की जरूरत नहीं है. समाधान पर ध्यान देना चाहिए. वैसे सद्गुरु से सवाल तो ज्ञानवापी मामले पर भी किया गया, लेकिन उस पर कमेंट करने से उन्होंने मना कर दिया. सिर्फ इतना कहा गया कि वे अभी इस मामले से अपडेटेडे नहीं है.

बातचीत के दौरान भाषा विवाद पर भी सवाल-जवाब हुए. हिंदी बनाम साउथ को लेकर जब सद्गुरु से जानने का प्रयास हुआ तो उन्होंने साफ कर दिया कि इस देश में हर भाषा का अपना एक महत्व होता है. वे कहते हैं कि हर भाषा का अपना महत्व है. वैसे साउथ की भाषाओं के पास ज्यादा लिट्रेचर है. भारत एक अनोखा देश है. उनके मुताबिक सिर्फ इस आधार पर कोई परिवर्तन नहीं करना चाहिए कि किसी भाषा को बोलने वाले ज्यादा लोग हैं. 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement