
वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में अब सुप्रीम कोर्ट अक्टूबर महीने के अगले हफ्ते में सुनवाई करेगा. आज हुई सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि अभी उस मामले में निचली अदालत में सुनवाई चल रही है, इसलिए इस पर हम अभी सुनवाई नहीं करेंगे. जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस नरसिम्हा की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पिछली सुनवाई में हमने ऑर्डर 7 नियम 11 पर सुनवाई करने की सिफारिश के साथ निचली अदालत में सुनवाई ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. इस पर ज्ञानवापी मामले में मस्जिद कमिटी की तरफ से बताया गया कि निचली अदालत में बहस चल रही है. मस्जिद पक्ष के वकील अहमदी ने कहा कि सर्वे कमीशन की नियुक्ति को लेकर हम बहस कर रहे हैं. इस मामले में कमिश्नर की नियुक्ति सही नहीं हैं. ये कमिश्नर की नियुक्ति का मामला ही नहीं है. हाईकोर्ट क कमिश्नर की नियुक्ति का आदेश सही नहीं था. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अभी तो मामला ऑर्डर 7 नियम 11 को लेकर है. अभी तो बात सर्वे कमिश्नर तक आई ही नहीं है.
कोर्ट ने पूछी मुस्लिम पक्ष की आपत्ति
कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से पूछा कि आपकी आपत्ति है कि कमिश्नर बिना आपकी सहमति के नियुक्त हुए है? तो वकील ने बताया कि हमने पहले भी कमिश्नर की नियुक्ति पर आपत्ति दर्ज कराई थी. निचली अदालत ने उसे खारिज कर दिया तो हम हाई कोर्ट भी गए. जस्टिस नरसिम्हा ने मस्जिद पक्ष के पैरोकार हुजैफा अहमदी से पूछा कि क्या आपने कमिश्नर नियुक्ति सहित अन्य मसलों पर अपनी आपत्ति जिला जज को दी हैं? इस पर हिंदू पक्षकारों के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि वहां अभी ये मसला ही नहीं है. इनको कमिश्नर की नियुक्ति के कोर्ट के अधिकार को चुनौती देने का अधिकार नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि हम निचली अदालत को कहेंगे कि सुनवाई के दौरान वो हाई कोर्ट के आदेश से बिना प्रभावित मामले की सुनवाई करे. ऐसे में आपकी याचिका अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित रखने का क्या मतलब है? इसके जवाब में मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया कि इस मामले में सुनवाई की जरूरत है. हम अपनी बात कोर्ट के सामने रखेंगे.
निचली अदालत के फैसले का करें इंतजार
जस्टिस चंद्रचूड़ ने मस्जिद पक्ष से कहा कि निचली अदालत में सुनवाई पूरी होने और आदेश आने का इंतजार कीजिए. आपके कानूनी रास्ते को हम खुला रखेंगे. मान लीजिए अगर निचली अदालत का फैसला आपके खिलाफ जाता है तो फिर आपके पास ऊंची अदालत में उसे चुनौती देने के कानूनी विकल्प होंगे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर के पहले हफ्ते में इन याचिकाओं पर सुनवाई करने का आदेश दिया.
शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और GPRS पर सुनवाई से इनकार
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और जीपीआरएस सर्वे कराने की मांग पर सुनवाई से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत में मामला उठाइए. कोर्ट ने राजेश मणि त्रिपाठी को भी कहा कि वो ज्ञानवापी परिसर से मिले शिवलिंग की सावन में सेवा पूजा करने की इजाजत दी जाने वाली याचिका वापस लें क्योंकि अभी तो इस पर सुनवाई ही चल रही है.