
वाराणसी के ज्ञानवापी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. अब अगली सुनवाई 1 दिसंबर को होगी. श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई होनी है. हाईकोर्ट ने श्रृंगार गौरी मामले को सुनवाई योग्य माना था. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को अपनी दलीलों का संक्षिप्त नोट जमा करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट 3 पहलुओं से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करेगा.
1. ज्ञानवापी मस्जिद की कार्बन डेटिंग.
2. संरचना पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति.
3. हिंदू पक्षों द्वारा दायर याचिका की विचारणीयता.
सुप्रीम कोर्ट ने आज दोनों पक्षों से अपनी दलीलों पर संक्षिप्त नोट दाखिल करने को कहा है.
वाराणसी जिला अदालत ने पिछले सप्ताह शनिवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने के लिए 10 और दिन का समय दिया है. दरअसल, एएसआई को पहले रिपोर्ट सौंपने के लिए 17 नवंबर तक का समय दिया गया था लेकिन शुक्रवार को उसके वकील ने अदालत से 15 दिन और मांगे थे.
हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव के मुताबिक, तकनीकी रिपोर्ट नहीं आने के कारण एएसआई ने और समय मांगा. शनिवार को मामले की सुनवाई करते हुए जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने एएसआई को 28 नवंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा.
बता दें कि 2 नवंबर को एएसआई ने अदालत को बताया था कि उसने सर्वेक्षण पूरा कर लिया है, लेकिन सर्वेक्षण कार्य में उपयोग किए गए उपकरणों के विवरण के साथ रिपोर्ट संकलित करने में कुछ और समय लग सकता है. इसके बाद अदालत ने दस्तावेज जमा करने के लिए 17 नवंबर तक का अतिरिक्त समय दे दिया. 5 अक्टूबर को कोर्ट ने एएसआई को चार हफ्ते का और वक्त दिया था और कहा था कि सर्वे की अवधि इससे ज्यादा नहीं बढ़ाई जाएगी.
3 महीने से ज्यादा समय तक चला ASI का सर्वे
कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कार्य शुरू हुआ, जो तीन महीने से ज्यादा समय तक चला. ASI की 40 सदस्यीय टीम ने सर्वे में ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार सिस्टम सहित कई अत्याधुनिक उपकरणों की मदद ली. नई-नई तकनीक के जरिए ज्ञानवापी परिसर में बने ढांचे और इसके तहखानों से लेकर गुंबद और शीर्ष की नाप-जोख कर डिटेल रिपोर्ट तैयार की गई है. इसमें हैदराबाद और कानपुर के एक्सपर्ट ने भी सहयोग दिया. सर्वे में थ्री डी फोटोग्राफी और स्कैनिंग के साथ डिजिटल मैपिंग भी कराई गई है.