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ओडिशा: सड़क बनाने से सरकार ने किया था इनकार, 30 सालों की मेहनत से शख्स ने तैयार किया 3 किलोमीटर रोड

ओडिशा के हरिहर बेहरा ने पर्वतीय इलाकों में बीते 30 साल से अथक कोशिशों के बाद एक सड़क बना दी है. यह सड़क 3 किलोमीटर लंबी है, जो मुख्य सड़क से हरिहर के गांव को जोड़ती है. पहाड़ों और घने जंगलों के बीच सड़क बनाने के लिए इस शख्स ने 3 दशक लगा दिए.

ओडिशा के माउंटेन मैन हैं हरिहर बेहरा. ओडिशा के माउंटेन मैन हैं हरिहर बेहरा.
मोहम्मद सूफ़ियान
  • भुवनेश्वर,
  • 04 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 11:12 PM IST
  • ग्रामीणों को जंगली जानवरों का भी था खतरा
  • पहाड़ लांघकर जाना पड़ता था बाजार
  • परिवार-गांव के लिए शख्स ने तैयार की सड़क

दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं है. अगर इंसान के इरादे बुलंद हो तो पहाड़ों को भी तोड़कर राह निकाली जा सकती है. कुछ ऐसा ही किया है ओडिशा के एक सुदूर गांव में रहने वाले आदिवासी किसान हरिहर बेहरा ने. हरिहर बेहरा ने 30 वर्षों की अथक कोशिशों के बाद पथरीले पहाड़ को तोड़कर 4 किलोमीटर का रास्ता बना दिया है. राज्य के एक मंत्री ने कई साल पहले यह दावा किया था यहां सड़क बनाई ही नहीं जा सकती.

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हरिहर बेहरा, राज्य की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 85 किलोमीटर की दूरी पर नयागढ़ जिले के तुलुबी गांव में रहते हैं. तुलुबी गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली कोई सीधी सड़क नहीं थी. यह इलाका इतना पिछड़ा है कि कच्चा रोड तक इस गांव में नहीं आता. हरिहर और अन्य ग्रामीणों के परिवार के सदस्यों को हर दिन बाजार पहुंचने के लिए पहाड़ और जंगल में कई किलोमीटर भटकना पड़ता था. अक्सर हरिहर के घर आने वाले रिश्तेदार रास्ता भूल जाते थे और जंगल में भटकने लगते थे.

बाजार जाने से अलग हटकर घने जंगलों से गुजरना, उनके बच्चों के लिए लगातार जोखिम भरा रहता था. पहाड़ी इलाके में सघन जंगली क्षेत्र होने की वजह से इस इलाके में जहरीले सापों और जंगली जीवों के हमले की भी आशंका बनी रहती थी. हरिहर ने सड़क निर्माण के लिए जिला प्रशासन से संपर्क किया था और उनसे अपने गांव की ओर जाने वाली केवल 3 किलोमीटर सड़क बनाने की मांग भी रखी थी. अधिकारियों का सड़क निर्माण पर एक लाइन का जवाब होता कि नहीं, यह संभव नहीं है.

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पहाड़ों से घिरा हुआ है पूरा गांव

हरिहर बेहरा का गांव, पूरी तरह से पहाड़ों से घिरा हुआ है. यही वजह है कि यहां पहुंचने का कोई साधन भी नहीं है. हरिहर अपने परिवार के सदस्यों के साथ खेती-किसानी का काम करते हैं. सड़क बनाने के कठिन काम में उनके भाई कृष्णा बेहरा भी साथ देते थे, लेकिन उनका निधन हो गया. हरिहर ने आजतक से बातचीत में कहा कि उन्होंने तुलुबी गांव के कुछ निवासियों के साथ एक मंत्री से भी मुलाकात की थी, लेकिन मंत्री ने हमारे अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कोई भी तुलुबी जैसे पहाड़ी गांव के लिए सड़क नहीं बना सकता है.

 

प्रशासन ने नहीं की थी ग्रामीणों की मदद.


ऐसे बनाई 3 किलोमीटर लंबी सड़क

हरिहर ने कहा कि जब प्रशासन और मंत्री ने उनकी बात नहीं सुनी तो उन्होंने तय किया कि सड़क तो बनाकर रहेंगे. फिर क्या, लगातार अपने खेतों का काम पूरा करने के बाद गांव की सड़क को शहर से जोड़ने के लिए दोनों भाइयों ने कमर कस ली. शुरुआती दौर में सड़कों पर लगे पेड़ों को काटना शुरू किया, फिर बड़े-बड़े चट्टानों को तोड़ने का काम शुरू हुआ. कई साल बाद अब जाकर 3 किलोमीटर का रास्ता बन पाया है. इससे वे बहुत खुश हैं.
  
सच हुआ ग्रामीणों का सपना

एक स्थानीय निवासी दीनबंद्धु ने कहा कि परिवार के लिए और मंत्री की चुनौती के बाद हरीहर अपने भाई के साथ पहाड़ों को काट कर रास्ता बना दिया. इसी काम को पूरा करने के लिए ग्रामीणों ने भी उनका सहयोग किया. पहाड़ी इलाके में गांव होने के कारण ग्रामवासियों को दिक्कतों का सामना कर शहर जाना पड़ता था. हमारे लिए आसानी से गांव से शहर जाना, एक सपने की तरह था. लेकिन अब सड़क बन जाने के बाद यह सपना सच हो गया है. अब पूरे जिले में हरिहर के इस काम की तारीफ हो रही है.
 

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पहाड़ काटकर शख्स ने तैयार कर ली सड़क.


बच्चे आसानी से जा सकेंगे स्कूल

अब एक फोल व्हीलर गाड़ी भी हरिहर से घर सीधे पहुंच सकती है. ग्रामीण पास के बाजार और हाटों तक कम ही वक्त में पहुंच सकते हैं. वहीं स्कूल जाने वाले बच्चों को अब पहाड़ियों के चारों ओर चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और पड़ोसी गांव में बने स्कूल में जाने के लिए उन्हें लंबी दूरी नहीं तय करनी होगी. 

बीजेपी ने सरकार को घेरा

नयागढ़ के पूर्व विधायक और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी(BJP) नेता लाला मनोज रे ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि सरकार ने आज तक इलाके में सड़कें क्यों नहीं बनाईं. उन्होंने सत्तारूढ़ सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि क्या यह गरीब लोगों के रहने और संख्या में बहुत कम होने की वजह से ऐसा काम सरकार कर रही है.
 

 

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