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हाथरस की सच्चाई छुपाने में जुटी यूपी सरकार, विपक्ष-मीडिया की गांव में एंट्री बैन

प्रशासन ने इस मामले में जिस तरह से रिएक्ट किया है, उसपर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. एक तरफ तो प्रदेश सरकार एसआईटी बनाकर सात दिन में मामले की जांच का भरोसा देती है, दूसरी ओर यूपी पुलिस बयान देकर कहती है कि पीड़िता का रेप ही नहीं हुआ था.

हाथरस में बढ़ा दी गई है सुरक्षा (PTI) हाथरस में बढ़ा दी गई है सुरक्षा (PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 2:10 PM IST
  • हाथरस रेप कांड को लेकर देशभर में गुस्सा
  • प्रशासन ने गांव में घुसने पर लगा दी रोक
  • डीएम ने की परिवार को धमकाने की कोशिश

उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के साथ गैंगरेप और फिर मौत की वारदात से पूरे देश में गुस्सा है. पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन गैंगरेप की बात को गलत करार दिया है. अब देश में दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग हो रही है, लेकिन इस बीच स्थानीय प्रशासन की ओर से कई तरह की सख्ती बरती जा रही है.

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गांव में मीडिया की एंट्री पर रोक लगा दी गई, किसी नेता को जाने नहीं दिया जा रहा है, खुद डीएम जाकर परिवार से धमकी भरे अंदाज में बात कर रहे हैं. 

पहले गुरुवार को राहुल गांधी, प्रियंका गांधी को हाथरस जाने से रोका गया. अब शुक्रवार को टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को रोका गया और उनके साथ बदसलूकी की गई. इतना ही नहीं अब पीड़िता के गांव में मीडिया की एंट्री पर भी रोक लगा दी गई है. 

शुक्रवार को ही लखनऊ में इस मसले पर प्रदर्शन कर रहे समाजवादी पार्टी के नेताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इस दौरान कई कार्यकर्ताओं को चोट आई, सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया को भी चोटें आई.

पूरी खबर पढ़ें: हाथरस जाने से TMC सांसदों को पुलिस ने रोका, धक्कामुक्की में गिरे डेरेक ओ ब्रायन

क्या छुपाना चाह रहा है हाथरस प्रशासन, उठ रहे सवाल!
जब ये सभी कड़ियां मिलती हैं तो प्रशासन के रवैये और उनके मकसद पर सवाल खड़े होते हैं. क्योंकि प्रशासन सच बाहर आने से बचना चाहता है, इसी वजह से किसी की एंट्री पर रोक लगा दी है. आखिर वो कौन-सी तस्वीरें सामने आई हैं, जिनसे प्रशासन के रवैये पर सवाल खड़े होते हैं. 

1.    हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार का एक वीडिया सामने आया, जिसमें वो पीड़िता के परिवार से बात कर रहे हैं. यहां डीएम परिवार से कह रहे हैं मीडिया आज है, कल चला जाएगा. आपको हमारे साथ रहना है, ऐसे में मदद स्वीकार कर लीजिए. साफ तौर पर डीएम परिवार को धमकाकर मामले को दबाने की कोशिश में जुटे हैं. 

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2.    हाथरस के ही एडीएम जेपी सिंह और वकील सीमा कुशवाहा का एक वीडियो सामने आया. जहां सीमा कुशवाहा पीड़िता के परिवार से मिलने जाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन एसडीएम उन्हें आगे नहीं जाने दे रहे हैं. बता दें कि सीमा कुशवाहा ने ही दिल्ली की निर्भया का केस लड़ा था और उन्होंने हाथरस की निर्भया के परिवार को मदद की बात कही है. 

3.    मंगलवार की रात को जब पीड़िता का शव हाथरस के गांव पहुंचा तो आधी रात को ही उसे जला दिया गया. इंडिया टुडे की रिपोर्टर तनुश्री पांडे इस दौरान वहां पर ही रहीं, लेकिन जब तनुश्री ने सवाल किया तो पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया. और तुरंत ही डेडबॉडी को जला दिया. 


4.    हाथरस जिले की सीमाएं सील कर दी गई हैं, साथ ही धारा 144 लगाई गई है. इसके अलावा प्रशासन ने मीडिया को गांव के अंदर जाने से रोक दिया है. शुक्रवार को हाथरस में पीड़िता के गांव में ग्राउंड रिपोर्ट के लिए मौजूद आजतक संवाददाता चित्रा त्रिपाठी के साथ कुछ अधिकारियों ने बदसलूकी की है. हाथरस में एक बड़े सरकारी अधिकारी ने आजतक संवाददाता को धमाकाया और बदसलूकी की है. 

5.    मीडिया के अलावा विपक्ष के नेताओं को भी जिले में नहीं जाने दिया जा रहा है. गुरुवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को नोएडा में ही रोक लिया गया, शुक्रवार को टीएमसी और सपा के सांसद जिले की सीमा तक पहुंचे तो आगे नहीं जाने दिया गया.

साफ है कि प्रशासन ने इस मामले में जिस तरह से रिएक्ट किया है, उसपर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. एक तरफ तो प्रदेश सरकार एसआईटी बनाकर सात दिन में मामले की जांच का भरोसा देती है, दूसरी ओर यूपी पुलिस बयान देकर कहती है कि पीड़िता का रेप ही नहीं हुआ था. इसके अलावा फॉरेंसिंक रिपोर्ट में भी यही दावा किया जाता है कि पीड़िता का यौन शोषण नहीं हुआ था, सिर्फ हार्ट अटैक से मौत हुई थी. 

ऐसे में पुलिस और प्रशासन के रवैये को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं और आरोप लग रहे हैं कि सच्चाई से दूर रखा जा रहा है और मामले में कुछ छुपाया जा रहा है.

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