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दिल टूटना भी एक बड़ी बीमारी! 10 साल में 74 हजार से ज्यादा लोगों ने किया सुसाइड

दिल टूटने के कारण साल 2013 से 2022 के बीच 10 साल में कुल 74 हजार 180 लोगों ने आत्महत्या की, जिसमें 76 फीसदी लोगों ने प्यार में दिल टूटने की वजह से आत्महत्या की, जबकि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स के कारण 13.3 फीसदी लोगों ने सुसाइड किया. प्यार में पार्टनर का किसी और से संबंध होने के शक में लगभग 10 फीसदी लोगों ने खुदखुशी कर ली.

 80 फीसदी लोग दिल टूटने की समस्या को महसूस करते हैं 80 फीसदी लोग दिल टूटने की समस्या को महसूस करते हैं
आजतक ब्यूरो
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:50 PM IST

हमारे समाज में प्रेम संबंधों को किताबों और शेर-ओ शायरी के ज़रिए बेहद सकारात्मक जगह दी गई है. चाहे किताबों में लिखी गई प्रेम कहानियां हों या फिल्मों में दिखाए गए खूबसूरत रिश्ते, यहां हमेशा हैप्पी एंडिंग ही होती है, लेकिन असल जिंदगी में प्रेम संबंधों से जुड़े कुछ आंकड़े देखकर आप ये सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या प्रेम संबंधों से जुड़ी ये सारी बातें सिर्फ कि़ताबी और फिल्मी हैं? क्योंकि यहां अक्सर प्यार के रिश्तों की एंडिंग बिल्कुल भी हैप्पी नहीं होती है.

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हमारे देश में हार्ट अटैक की बीमारी अक्सर चर्चा में रहती है, लेकिन दिल से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है जिसकी हम कभी बात नहीं करते हैं और वो है हार्ट ब्रेक यानि दिल टूटने की बीमारी. और 80 फीसदी लोग जीवन में दिल टूटने की समस्या को कभी ना कभी जरूर महसूस करते हैं.

दिल टूटने के कारण साल 2013 से 2022 के बीच 10 साल में कुल 74 हजार 180 लोगों ने आत्महत्या की, जिसमें 76 फीसदी लोगों ने प्यार में दिल टूटने की वजह से आत्महत्या की, जबकि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स के कारण 13.3 फीसदी लोगों ने सुसाइड किया. प्यार में पार्टनर का किसी और से संबंध होने के शक में लगभग 10 फीसदी लोगों ने खुदखुशी कर ली.

1990 में आई फिल्म 'दिल' में एक गाने की लाइन थी 'प्यार में जिएंगे मर जाएंगे', लेकिन इन आंकड़ों को देखकर लगेगा कि पिछले कुछ साल में लोग प्यार में जीने के बजाए मरने पर मजबूर हैं और इसलिए आज प्यार में जान गंवाने वालों की संख्या हजारों में है.

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कई बार पार्टनर ही बन जाते हैं हत्यारे

प्रेम संबंधों में कई बार पार्टनर ही हत्यारे बन जाते हैं. कई मामले ऐसे हैं, जिनमें, पार्टनर ने ही अपने प्रेमी की हत्या कर दी है. दिल्ली में कथित तौर पर बॉयफ्रेंड द्वारा श्रद्धा वॉल्कर की हत्या जैसे कई मामले देखने के बाद समाज में प्रेम संबंधों को लेकर कई सवाल खड़े होते हैं. साल 2013 से 2022 के बीच सिर्फ 10 साल में प्यार के मामलों में लगभग 30 हजार लोगों की हत्या कर दी गई. जिसमें लगभग 52 फीसदी मामलों में हत्या का कारण था लव अफेयर्स, जबकि 46.6 फीसदी मामलों में पार्टनर के गलत संबंध को आधार मानकर उसकी हत्या कर दी गई. जब युवाओं के प्रेम संबंध से परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा या मर्यादा को ठेस पहुंचती है, तो परिवार ही अपनों का हत्यारा बन जाता है. वर्ष 2013 से 2022 के बीच ऐसी कुल 517 हत्याएं हुई हैं, जिसमें अपने सगे और परिवार के लोग ही प्यार के रिश्तों के लिए जानलेवा बन गए.

10 साल में 2 लाख 80 हजार महिलाओं का अपहरण हुआ

दिल टूटने के बाद अगर प्रतिशोध की भावना होती है तो बात सिर्फ हत्या या आत्महत्या तक ही सीमित नहीं रहती है, बल्कि अपहरण भी इसके कई अंजामों में से एक है. साल 2013 से 2022 के बीच जबरन शादी करने के लिए 2 लाख 80 हजार महिलाओं का अपहरण हुआ और इन दस वर्षों में हर 10 में से 4 महिलाओं के अपहरण की वजह प्रेम संबंध था.

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औसतन 45 लोगों ने दिल टूटने के कारण रोजाना आत्महत्या की 

आजकल स्कूल में पढ़ाई-लिखाई करने वाले नाबालिग बच्चे भी प्यार का खतरनाक खेल...खेल रहे हैं. इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार स्मार्ट फोन और सोशल मीडिया है. आज देश में छोटे-बड़े शहरों से लेकर पिछड़े गांव तक भी लगभग हर क्षेत्र में स्मार्ट फोन उपलब्ध है. आज सोशल मीडिया पर एक क्लिक से आप किसी को भी, किसी भी उम्र में अपना दोस्त बना सकते हैं और बात आगे बढ़ते-बढ़ते प्यार तक पहुंच जाती है, लेकिन जब बात घर वालों तक पहुंचती है, तो परिवार और कानूनी लड़ाई में फंसकर कई बार कम उम्र के ये रिश्ते हत्या या आत्महत्या पर आकर खत्म हो जाते हैं. वर्ष 2012 में जब देश में सोशल मीडिया का इतना प्रसार नहीं था, तब 3 हजार 849, यानि रोजाना करीब 10 लोग प्यार में आत्महत्या करते थे,  जबकि सोशल मीडिया आने के बाद वर्ष 2022 में प्रेम संबंधों की वजह से जान देने वालों की संख्या 16 हजार 751 हो गई. यानि रोजाना 45 लोगों ने दिल टूटने के कारण आत्महत्या की. 

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