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Weather Updates: उत्तर भारत में फिर आई झुलसाने वाली गर्मी, 2 से 3 डिग्री और बढ़ेगा तापमान, जानें कब मिलेगी राहत

देश के अधिकांश राज्यों में इस साल भीषण गर्मी पड़ रही है. पिछले कुछ दिनों में थोड़ी राहत के बाद सोमवार को उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में लू की स्थिति फिर से लौट आई. गर्मी की सितम इतना बढ़ रहा है कि कई इलाकों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है. मौसम विभाग के अनुसार, अगले पांच दिनों में तापमान में दो से तीन डिग्री की वृद्धि होने की उम्मीद है.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 जून 2024,
  • अपडेटेड 1:29 PM IST

देश में इस साल भीषण गर्मी पड़ रही है. पिछले कुछ दिनों में थोड़ी राहत के बाद सोमवार को उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में लू की स्थिति फिर से लौट आई है. गर्मी का सितम इतना बढ़ गया कि कई इलाकों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है. मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत में भीषण गर्मी का दौर फिर से शुरू हो गया है. वहीं, अगले पांच दिनों में तापमान में दो से तीन डिग्री की वृद्धि होने की उम्मीद है. 

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सोमवार को पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदानी इलाकों के कुछ हिस्सों में लू से लेकर भीषण लू की स्थिति बनी रही. जबकि उत्तर प्रदेश, दक्षिण बिहार, दिल्ली और झारखंड के कुछ इलाकों में भी लू की स्थिति रही. दिल्ली में नरेला 46.6 डिग्री सेल्सियस के साथ सबसे गर्म रहा. जबकि नजफगढ़ 46.3 डिग्री सेल्सियस के साथ दूसरे स्थान पर रहा.

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उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में सात स्थानों पर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रहा, जिसमें प्रयागराज 46.3 डिग्री सेल्सियस के साथ देश का सबसे गर्म स्थान रहा. इसके अलावा बिहार शिक्षा विभाग ने बढ़ते तापमान को देखते हुए सभी सरकारी स्कूलों को 15 जून तक बंद करने का आदेश दिया है. 

राजस्थान, पंजाब और दिल्ली के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान 42 से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा. वहीं, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में और बिहार, झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल व पूर्वी मध्य प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर सामान्य से ज्यादा तापमान दर्ज किया गया. 

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मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि गर्म हवाओं का ताजा दौर जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और गंगीय पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों को प्रभावित कर सकता है. 

भारत में इस साल अप्रैल और मई में तेज गर्मी और गर्म हवाओं का अनुभव किया गया, जिससे लोगों का जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा सहित कई राज्यों में गर्मी और लू की वजह से मौतें भी हुई है. मौसम विभाग की मानें तो इतनी तेज गर्मी पड़ने का कारण एल नीनो, समुद्र की सतह का गर्म होना और वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों का तेजी से बढ़ना है. 

इसके अलावा तेजी से हो रहे शहरीकरण ने शहरी क्षेत्रों में गर्मी को और बढ़ा दिया है, जिसका खामियाजा बाहरी कामगारों और कम आय वाले परिवारों को भुगतना पड़ रहा है. मई में हीटवेव चलने के कारण असम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश की पहाड़ियों सहित देश भर में कई स्थानों पर अब तक का सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया. राजस्थान में पारा 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया और दिल्ली और हरियाणा में भी यह इस निशान के करीब पहुंच चुका है. 

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देश में हुआ बिजली और पानी का संकट

जलवायु वैज्ञानिकों के एक समूह 'वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन' के अनुसार, हर 30 साल में एक बार चलने वाली ऐसी ही हीटवेव जलवायु परिवर्तन के कारण लगभग 45 गुना ज्यादा बढ़ गई है. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, भारत में 150 प्रमुख जलाशयों में जल भंडारण इस सप्ताह उनके वर्तमान भंडारण का केवल 22 प्रतिशत रह गया, जिससे कई राज्यों में पानी की कमी बढ़ गई और जलविद्युत उत्पादन पर भी काफी असर पड़ा है. 

भीषण गर्मी ने पहले ही भारत की बिजली की मांग को रिकॉर्ड 246 गीगावाट तक पहुंचा दिया है क्योंकि घरों और कार्यालयों में एसी व कूलर पूरी क्षमता से चल रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मार्च से मई तक भारत में हीट स्ट्रोक के लगभग 25,000 संदिग्ध मामले दर्ज किए गए हैं और गर्मी से संबंधित बीमारियों के कारण 56 मौतें हुई हैं. 

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 46 मौतें अकेले मई (30 मई तक) में दर्ज की गई हैं. वहीं 1 से 30 मई के बीच देश में हीट स्ट्रोक के 19,189 संदिग्ध मामले सामने आए हैं. हालांकि इस डेटा में उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली में हुई मौतें शामिल नहीं हैं. लगातार तीन सालों से भारत के कई हिस्सों में भीषण गर्मी ने बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित किया है, जिसका असर स्वास्थ्य, पानी की उपलब्धता, कृषि, बिजली उत्पादन और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर पड़ा है. 

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विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक गर्मी के कारण उत्पादकता में गिरावट के कारण अनुमानित 80 मिलियन वैश्विक नौकरियों में से 34 मिलियन नौकरियां भारत में जा सकती हैं. एक स्टडी में पता चला है कि भारत को हर साल 13 बिलियन डॉलर के खाने की चीजों के नुकसान का सामना करना पड़ता है, जिसमें सिर्फ चार प्रतिशत ताजा उपज को कोल्ड चेन सुविधाओं द्वारा कवर किया जाता है. 

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