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हेमा समिति की रिपोर्ट में मलयालम इंडस्ट्री के बारे में कई चौंकाने वाले दावे, फिर से सुर्खियों में #MeToo

19 अगस्त को हेमा समिति की रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें मलयालम इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न, शोषण और लॉबिंग का खुलासा किया गया है. आइए जानते हैं कि समिति के गठन की वजह क्या थी और अब तक क्या सामने आया है.

हेमा समिति की रिपोर्ट 2019 में पिनाराई विजयन सरकार को सौंपी गई थी. (फाइल फोटो) हेमा समिति की रिपोर्ट 2019 में पिनाराई विजयन सरकार को सौंपी गई थी. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • चेन्नई,
  • 26 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:13 PM IST

हेमा समिति (Hema Committee) की रिपोर्ट केरल (Kerala) के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को सौंपे जाने के पांच साल बाद 19 अगस्त, 2024 को जारी की गई. चौंकाने वाली रिपोर्ट में शोषण, यौन उत्पीड़न, सत्ता के दुरुपयोग और लॉबिंग के बारे में काले कारनामे सामने आए हैं. रिपोर्ट जारी होने के बाद से ही कुछ महिलाएं अभिनेताओं और निर्देशकों के खिलाफ यौन दुराचार के आरोप लगाने के लिए आगे आई हैं.

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कहां से शुरू हुआ था मामला?

फरवरी 2017 में, एक लोकप्रिय मलयालम अभिनेत्री (जो तमिल और कन्नड़ फिल्मों में अपने अभिनय के लिए मशहूर हैं) पर कथित तौर पर चलती कार में हमला किया गया था. पांच लोगों ने उनका अपहरण कर लिया, हमले का वीडियो बनाया और उसे वहीं छोड़ दिया. अभिनेत्री ने हिम्मत जुटाई और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. 

जांच के दौरान पता चला कि केरल के एक शक्तिशाली और प्रभावशाली शख्स मलयालम अभिनेता दिलीप ने कथित तौर पर कुछ लोगों के साथ मिलकर अभिनेत्री को 'सबक सिखाने' की साजिश रची थी.

एक्टर पर हमले का केस कोर्ट में अभी भी चल रहा है. पिछले कुछ वर्षों में कई गवाह अपने बयान से पलट गए. कई साल बाद, निर्देशक बालचंद्र कुमार ने चौंकाने वाले दावे किए कि अभिनेता दिलीप के पास मजिस्ट्रेट की अदालत में हमले के सीन देखने से पहले ही मौजूद थे. उनके आरोप मामले में एक अहम मोड़ साबित हुए.

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सिनेमा में महिलाओं का समूह (WCC) का गठन

मलयालम एक्टर यौन उत्पीड़न मामले के बाद वीमेन इन सिनेमा कलेक्टिव (WOMEN IN CINEMA COLLECTIVE) ग्रुप वजूद में आया. मलयालम इंडस्ट्री की 10 महिलाओं के एक ग्रुप ने मंजू वारियर, पार्वती, रीमा कलिंगल, रेम्या नामबीसन सहित कई महिलाओं ने महिलाओं के लिए इंडस्ट्री को बेहतर और सुरक्षित वर्कप्लेस बनाने के लिए कलेक्टिव बनाने का कदम उठाया. 

हालांकि, इंडस्ट्री में कई महिला एक्टर्स ने इसे एक बेहतर कदम के रूप में देखा, लेकिन इसमें कई बाधाएं भी आईं. हमले के मामले में पीड़िता का समर्थन करने वाले कई एक्टर्स को काम से हाथ धोना पड़ा या फिर उन्हें अनौपचारिक प्रतिबंध का सामना करना पड़ा.

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हेमा समिति का गठन

नवंबर 2017 में जस्टिस हेमा, अभिनेत्री सारदा और नौकरशाह केबी वलसाला कुमारी वाली हेमा समिति ने अपना काम शुरू किया. उन्होंने एक बयान जारी कर महिलाओं से आगे आने को कहा और वादा किया कि गोपनीयता बनाए रखी जाएगी. 80 से ज्यादा महिलाओं ने जस्टिस हेमा के सामने गवाही दी और मलयालम इंडस्ट्री के माहौल के बारे में बताया.

साल 2019 में, समिति ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विनयजन को 296 पेज की रिपोर्ट सौंपी. हालांकि, पांच साल तक रिपोर्ट ठंडे बस्ते में पड़ी रही. सरकार को अपनी चुप्पी और रिपोर्ट को जनता के लिए उपलब्ध न कराने के फैसले के लिए कड़ी आलोचना भी झेलनी पड़ी. 

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कई लोगों ने दावा किया कि सरकार बड़े लोगों को बचा रही है, जो रिपोर्ट सामने आने पर बेनकाब हो जाएंगे.

हेमा कमेटी की रिपोर्ट क्या कहती है? 

296 पेज की रिपोर्ट आखिरकार 19 अगस्त को पब्लिक की गई. इसमें इंडस्ट्री की कई महिलाओं की गवाही शामिल की गई है. कुछ जगहों पर रिपोर्ट में महिलाओं की जगह लड़कियों का भी जिक्र है, जो इस बात की तरफ इशारा है कि नाबालिग भी यौन उत्पीड़न का शिकार हो सकती हैं. पूरी रिपोर्ट में अपराधियों का नाम नहीं बताया गया है. इसमें कुछ समाधान भी दिए गए हैं, जिनमें से कुछ हास्यास्पद हैं. रिपोर्ट के जरिए मलयालम सिनेमा की सबसे काली सच्चाई को उजागर किया गया है, जिसके दुनिया भर में बड़े पैमाने पर प्रशंसक हैं.

हेमा समिति की रिपोर्ट में बताया गया कि महिलाओं के लिए बुनियादी सुविधाएं- जैसे चेंजिंग रूम और शौचालय उपलब्ध नहीं कराए गए थे. लेकिन, जिस बात ने सभी को झकझोर कर रख दिया, वह थी यौन उत्पीड़न की कहानियां, एक पॉवरफुल लॉबी (जिसमें इंडस्ट्री के टॉप डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और टेक्नीशियन शामिल हैं) का अस्तित्व और अन्य प्रणालीगत मुद्दे.

गौरतलब है कि आखिरी रिपोर्ट से कई पन्ने काट दिए गए. इससे सवाल उठता है कि किसे संरक्षण दिया जा रहा है.

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यौन उत्पीड़न के दावे और चौंकाने वाली सच्चाइयां

रिपोर्ट में एक अलग सैक्शन है, जिसमें नशे में धुत पुरुषों (एक्टर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर) द्वारा महिला एक्टर्स के कमरे में सेक्स के लिए जाने की बात की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है, "मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाली महिलाओं को शूटिंग स्थानों पर मांग के मुताबिक सेक्स करने के लिए मजबूर किया जाता है. इनकार करने पर उन्हें माफियाओं द्वारा परेशान किए जाने की बात कही जाती है.'

उत्पीड़न के दावों के अलावा, रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि महिलाओं को उनके पुरुष साथियों की तुलना में बहुत कम भुगतान किया गया था. इसमें यह भी कहा गया है कि 'टेक ऑफ' अभिनेत्री (जिसने फिल्म का नेतृत्व किया) को इसमें शामिल पुरुषों की तुलना में कम भुगतान किया गया था.

मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में Me Too का फिर से उभार? 

हेमा समिति की रिपोर्ट जारी होने के कुछ दिनों बाद, दो अभिनेत्रियां खुद के साथ दुर्व्यवहार करने वाले का पर्दाफाश करने के लिए आगे आईं. एक अभिनेत्री ने आरोप लगाया कि दिग्गज अभिनेता सिद्दीकी ने 19 साल की उम्र में उनका रेप किया और उन्हें परेशान किया. साल 2019 में, अभिनेत्री ने एक्टर पर यौन दुराचार का आरोप लगाया. उस वक्त, झूठे आरोप लगाने की बात बोलकर उनकी आलोचना की गई थी. 

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हेमा समिति की रिपोर्ट के बाद, अभिनेत्री ने तफ्सील से बताया कि कैसे सिद्दीकी ने उनका उत्पीड़न किया और उनके साथ रेप किया, आरोपों के बाद, सिद्दीकी ने एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स (AMMA) के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया.

हाल ही में बंगाली अभिनेत्री श्रीलेखा मित्रा ने मलयालम डायरेक्टर रंजीत पर अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगाया. इसके बाद, रंजीत ने केरल चलचित्र अकादमी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. इस बीच, अभिनेत्री मीनू मुनीर ने फेसबुक पोस्ट में मुकेश, मनियानपिला राजू, इदावेला बाबू और जयसूर्या पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया. उन्होंने बताया कि यह घटना 2013 की एक फिल्म के सेट पर हुई थी.

टॉप मलयालम एक्टर्स और टेक्नीशियन्स की चौंकाने वाली चुप्पी

19 अगस्त को हेमा समिति की रिपोर्ट जारी होने के बाद, मलयालम मूवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (AMMA) के सदस्यों ने इसे कमतर आंकते हुए कहा कि उन्होंने अभी तक रिपोर्ट पूरी तरह नहीं पढ़ी है. सरकार ने भी कहा कि जब तक पीड़िता कानूनी शिकायत दर्ज नहीं कराती, तब तक वे कार्रवाई नहीं करेंगे. मोहनलाल (AMMA के अध्यक्ष), ममूटी और कई अन्य सहित टॉप अभिनेता मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में चौंकाने वाले आरोपों के बारे में चुप हैं.

(रिपोर्ट- जननी के)

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