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हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से झटका, अंतरिम जमानत याचिका पर कल फिर होगी सुनवाई

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. उनकी अंतरिम याचिका पर कोर्ट में बुधवार को फिर विचार होगी. वहीं, अदालत ने उनकी दलीलों के बाद मामले पर अहम टिप्पणी की और कहा कि जांच एजेंसी ED के पास मेरिट पर अच्छा केस है.

Former Jharkhand Chief Minister Hemant Soren (Credits: PTI) Former Jharkhand Chief Minister Hemant Soren (Credits: PTI)
कनु सारदा/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 21 मई 2024,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. उनकी अंतरिम याचिका पर कोर्ट में कल यानी 22 मई को फिर विचार करेगा. हेमंत की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने  अपनी दलील में कहा कि निचली अदालत और हाईकोर्ट में जो आधार रखे थे वो सुप्रीम कोर्ट में कैसे बदल गए. वहीं, अदालत ने उनकी दलीलों के बाद मामले पर अहम टिप्पणी की और कहा कि जांच एजेंसी ED के पास मेरिट पर अच्छा केस है.

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जमीन घोटाले में आरोपी हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर आज कोर्ट में सुनवाई पूरी नहीं हो पाई है. इसी वजह से बुधवार को भी कोर्ट में सुनवाई करेगा.

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच के समक्ष कपिल सिब्बल ने दिल्ली के सीएम केजरीवाल की तरह सोरेन ने भी चुनाव प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत की मांग की है. सोरेन की अंतरिम जमानत की मांग का विरोध करते हुए ईडी ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक अधिकार और न ही कानूनी अधिकार है.

ट्रांसफर नहीं हो सकती जमीन: कपिल सिब्बल

सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि ये कुछ 8.86 एकड़ जमीन का मामला है. ये आदिवासियों की जमीन है. इस जमीन का ट्रांसफर नहीं हो सकता. वहां कुल 12 प्लॉट हैं. गैर-आदिवासियों का नाम रजिस्टर में 1976 से 1986 तक दर्ज था, जबकि उस वक्त सोरेन की उम्र महज 4 साल थी. उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन आरोप लगाया गया है कि 2009-10 में हेमंत सोरेन ने जबरन जमीन पर कब्जा किया हुआ है. आखिरकार 20 अप्रैल 2023 को सोरेन के खिलाफ ईडी की कार्रवाई हुई. इस दौरान किसी ने शिकायत नहीं की थी.

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'जमीन पर मिला हुआ है बिजली कनेक्शन'

उन्होंने यह भी कहा कि इस जमीन पर बिजली का कनेक्शन मिला हुआ है. कनेक्शन आरोपी नंबर 4 के नाम पर है जो 2015 के रजिस्टर्ड पट्टे के तहत जमीन पर खेती कर रहा था तो जाहिर है कि मेरा कब्जा नहीं था. पट्टा मालिक राजकुमार के पास है. मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है.

सिब्बल ने कहा कि ईडी के लोग सर्वे करने के नाम पर धारा 50 के तहत उन लोगों के बयान दर्ज करते हैं जो कहते हैं कि यह जमीन हेमंत सोरेन की है. अवैध रूप से कब्जा कब, क्या, किस साल, कौन आया, कोई सबूत नहीं! सिर्फ़ मौखिक सबूत है इनके पास, जबकि कोई कब्जा नहीं है.

सिब्बल ने दलील दी कि 21 और 24 अप्रैल को एक सर्किल ऑफिसर समेत कई लोगों के बयान दर्ज किए गए. ये वही लोग हैं, जिनके नाम 1976-86 के रजिस्टर में नाम दर्ज हैं. ये गैर आदिवासी लोग हैं, इन्हें आरोपी बनाया जाना चाहिए था.

चुनाव की घोषणा के बाद हेमंत को नहीं किया गिरफ्तार: ASG

ASG राजू ने कहा कि अदालत ने इस मामले में संज्ञान ले लिया है. पीएमएलए की धारा 45 के तहत जमानत दाखिल की गई और खारिज हो गई. ये भी कि चुनाव की घोषणा होने के बाद सोरेन को गिरफ्तार नहीं किया गया था. सोरेन के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाए जाने पर विशेष न्यायालय ने संज्ञान लिया है. अभियोजन पक्ष की शिकायत में उनका नाम था. उस संज्ञान के आदेश को चुनौती नहीं दी गई है. अरविंद केजरीवाल के मामले में ऐसा नहीं था. केजरीवाल मामले में कोर्ट की प्रक्रिया जारी थी. प्रथम दृष्टया यह माना जा रहा है  कि अपराध हुआ है. यहां ये नहीं कहा जा सकता कि अपराध नहीं हुआ है. सोरेन की जमानत याचिका दाखिल की गई और खारिज कर दी गई.

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ASG राजू ने कहा कि 15 अप्रैल 2024 को सोरेन ने जमानत याचिका दायर की थी. 13 मई 2024 को इन्हीं आरोपों के आधार पर जमानत याचिका खारिज हो गई. PMLA के तहत सिर्फ कब्जा ही पर्याप्त है. स्वामित्व की आवश्यकता नहीं है. मामले में नोटिस जारी होने के बाद सोरेन ने मूल भूमि मालिकों में से एक से संपर्क किया और स्थिति को पलटने की कोशिश की. कई तरह की छेड़छाड़ की गई है. इन सभी बातों पर ट्रायल कोर्ट ने विचार किया है.

'जमीन पर है सोरेन का कब्जा'

रिकॉर्ड के मुताबिक, 2009- 10 से ही ये जमीन अवैध कब्जे में है. इस 8.86 एकड़ जमीन के प्लॉट का न तो सोरेन के पास मालिकाना हक है, न ही किसी रिकॉर्ड में उसका नाम दर्ज है. लेकिन वह उनके कब्जे में है जो एक अपराध है.

इसके बाद कपिल सिब्बल ने कहा कि मैं रेगुलर बेल नहीं मांग रहा हूं. आपके सभी आरोप अपनी जगह हैं. मैं तो अंतरिम जमानत की मांग कर रहा हूं. मैंने गिरफ्तारी को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. यह अर्जी 2 से 2.5 महीने तक लंबित रही. ऐसी स्थिति में मैं नियमित जमानत नहीं मांग सकता था. अत: मैंने आम चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने की गुहार लगाई है.

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अवैध कब्जा करना शेड्यूल्ड अपराध नहीं: सिब्बल

सिब्बल ने कहा कि केजरीवाल और सोरेन के मामले में अंतर है. ASG एसवी राजू और SG तुषार मेहता मेहता ने इस दलील पर ऐतराज जताया. इस पर सिब्बल ने कहा कि अपराध की आय की व्याख्या सख्ती से की जानी चाहिए. इसे शेड्यूल्ड अनुसूचित अपराध से संबंधित होना चाहिए. जमीन पर अवैध कब्जा करना शेड्यूल्ड अपराध नहीं है. 

वहीं, जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि हमें इस बात से संतुष्ट होना चाहिए कि इस मामले में संज्ञान लेने के आदेश के बाद, गिरफ़्तारी का आधार बना रहेगा. पुरकायस्थ मामला तथ्यात्मक रूप से अलग था. वहां आधार नहीं दिए गए थे.

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